भारतीय अर्थव्यवस्था
आईएमएफ: वर्ष 2020 में भारतीय अर्थव्यवस्था में तीव्र गिरावट
- 25 Jun 2020
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प्रीलिम्स के लिये:अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष के बारे में मेन्स के लिये:अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष द्वार जारी रिपोर्ट के अनुसार वैश्विक अर्थव्यवस्था की वर्तमान स्थिति |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में COVID-19 महामारी के चलते वैश्विक अर्थव्यवस्था में आई स्थिरता के कारण ‘अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष’ ( International Monetary Fund- IMF) द्वारा वर्ष 2020 में भारतीय अर्थव्यवस्था में 4.5% तक की गिरावट आने का अनुमान लगाया है। जो अपने आप में एक ऐतिहासिक गिरावट हो सकती है।
प्रमुख बिंदु:
- ‘अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष’ के अनुसार वर्ष 2020 के लिये वैश्विक विकास दर 4.9% रहने का अनुमान लगाया जा रहा है, जो कि अप्रैल 2020 में वर्ल्ड इकोनॉमी आउटलुक (World Economic Outlook-WEO) में जारी अनुमान से 1.9 % कम है।
- COVID-19 महामारी के कारण वर्ष 2020 की पहली छमाही में वैश्विक अर्थव्यवस्था पर अधिक नकारात्मक प्रभाव दिखा है जो सभी क्षेत्रों में देखा गया है।
- चीन में हालांकि पहली तिमाही में आई गिरावट के बाद से अर्थव्यवस्था में सुधार प्रक्रिया जारी है, अतः चीन में वर्ष 2020 में विकास दर 1 प्रतिशत अनुमानित की गई है।
- रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2021 में वैश्विक विकास दर 5.4 फीसदी अनुमानित की गई है।
भारत की स्थिति:
- ‘अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष’ के अनुसार, लंबे समय तक चली लॉकडाउन की स्थिति एवं धीमी आर्थिक गतिविधयों के कारण भारतीय अर्थव्यवस्था में 4.5 प्रतिशत तक की गिरावट आने का अनुमान है।
- अर्थव्यवस्था में यह गिरावट वर्ष 1961 के बाद से अब तक की सबसे निम्न विकास दर को दर्शाती है।
- हालांकि रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि वर्ष 2021 में भारतीय अर्थव्यवस्था पुनः वापसी के साथ 6 % की विकास दर हासिल कर लेगी।
- वर्ष 2019 में भारत की वृद्धि दर 4.2 % पर रही थी।
- ‘अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष’ द्वार भारत की वर्ष 2020 की स्थित का यह अनुमान अप्रैल के अनुमान से बेहतर है. क्योंकि अप्रैल में अनुमान था कि वर्ष 2020 में यह गिरावट 6.4% तक रह सकती है।
- वर्ष 2021 में 6 % वृद्धि का अनुमान अप्रैल में आई रिपोर्ट की तुलना में 1.4 % कम है।
महामारी का वैश्विक अर्थव्यस्था पर प्रभाव:
- वर्ष 2020 में विकसित, उभरती एवं विकासशील अर्थव्यवस्थाओं में बड़ी गिरावट देखने को मिलेगी।
- विकसित अर्थव्यवस्था में जहाँ वृद्धि दर में 8% की गिरावट देखी जाएगी वहीं उभरती एवं विकासशील अर्थव्यवस्थाओं के मामले में वृद्धि दर 3 % तक घटेगी और अगर चीन को हटा दिया जाए तो यह गिरावट 5 प्रतिशत होगी।
- वर्ष 2020 में 95% से अधिक देशों में प्रति व्यक्ति आय में भी नकारात्मक वृद्धि देखने को मिलेगी।
वर्तमान परिदृश्य:
- 75 % से अधिक देश अब अपनी अर्थव्यवस्थाओं को एक साथ खोल रहे हैं तो दूसरी तरफ कई उभरते बाज़ारों में इस महामारी के तेज़ी से फैलने के कारण तथा चिकित्सा सुविधाओं के अभाव के कारण रिकवरी की अनिश्चिता की स्थिति बनी हुई है।
- इन अनिश्चिताओं के चलते विभिन्न क्षेत्रों एवं देशों की अर्थव्यवस्था की वृद्धि पर इसका प्रभाव अलग-अलग देखा जा रहा है।
- अगर संक्रमण के बढ़ने की दर तीव्र होती है तो खर्च और बढ़ेंगे तथा वित्तीय स्थिति और ख़राब होगी।
- इसके अलावा वर्तमान भू-राजनीतिक एवं व्यापार तनाव वैश्विक अर्थव्यवस्था को और नुकसान पहुँचा सकते है जब व्यापार में करीब 12 प्रतिशत की गिरावट आने की आशंका है।