इंदौर शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 11 नवंबर से शुरू   अभी कॉल करें
ध्यान दें:

डेली अपडेट्स


विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी

पेट्रोलियम अपशिष्ट टॉलुईन का परिवर्तन: IIT मद्रास

  • 02 Apr 2019
  • 5 min read

चर्चा में क्यों?

हाल ही में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) मद्रास की दो-सदस्यीय टीम ने प्लैटिनम नैनोकैटलिस्ट (Platinum Nanocatalyst) का उपयोग करते हुए पेट्रोलियम अपशिष्ट-उत्पाद टॉलुईन से बेंजोइक एसिड बनाने में सफलता प्राप्त की है।

  • बेंजोइक एसिड का उपयोग खाद्य परिरक्षक (E210) और कवक एवं जीवाणु संक्रमण के लिये दवा के रूप में किया जाता है।
  • टॉलुईन एक उत्प्रेरक ‘बाईनेफ्थिल-स्टेब्लिश्ड प्लैटिनम नैनो पार्टीकल्स (Binaphthyl-stabilised Platinum Nanoparticles- Pt-BNP) की उपस्थिति में निश्चित एवं नियंत्रित ऑक्सीकरण के माध्यम से बेंजोइक एसिड में परिवर्तित हो जाता है।

ग्रीन ऑक्सीडेंट
Green oxidant

  • आमतौर पर कार्बनिक अभिक्रियाओं के संचालन में विलायक के रूप में कार्बनिक विलायक का उपयोग किया जाता है, जो इसे महँगा बनाता है और विषाक्त अपशिष्ट भी उत्पन्न करता है।
  • इस नई प्रक्रिया में रसायन विज्ञान विभाग की टीम ने इस प्रक्रिया को पर्यावरण के अनुकूल बनाने के लिये पानी को विलायक के रूप में उपयोग किया है।
  • इसके अलावा ग्रीन ऑक्सीडेंट (70% एक्वस टर्शिअरी-ब्यूटाइल हाइड्रोपरॉक्साइड या TBHP) का उपयोग टॉलुईन को बेंजोइक एसिड में परिवर्तित करने के लिये किया जाता है।

प्रमुख बिंदु

  • आमतौर पर टॉलुईन के ऑक्सीकरण में चार उत्पाद बेंजोइक एसिड, अल्कोहल, एल्डिहाइड और एस्टर प्राप्त होते हैं। लेकिन जब उत्प्रेरक (बाईनेफ्थिल-स्टेब्लिश्ड प्लैटिनम नैनोपार्टीकल्स) की उपस्थिति में इसका ऑक्सीकरण कराया जाता है तो केवल बेंजोइक एसिड का उत्पादन होता है।
  • टीम द्वारा विकसित यह उत्प्रेरक द्वारा रासायनिक अभिक्रिया में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई गई है।
  • आमतौर पर प्लैटिनम नैनोपार्टिकल्स प्रकृति में स्थाई अवस्था में प्राप्त नहीं होते हैं क्योंकि वे एग्लोमेरेट (Agglomerate-संकुलन) करके मैक्रोपार्टिकल्स बन जाते हैं। फलस्वरूप उत्प्रेरक गतिविधि कम हो जाती है।
  • बाईनैफ्थिल जो प्लैटिनम नैनोपार्टिकल्स से बंधा होता है, एक स्टेबलाइजर के रूप में काम करता है और नैनोपार्टिकल्स के संकुलन/ढेर (Agglomerate) बनने की प्रक्रिया को रोकता है।
  • आमतौर पर जब टॉलुईन को ऑक्सीकरण करके बेंजोइक एसिड प्राप्त किया जाता है तो ऑक्सीजन अणु अकेले टॉलुईन का ऑक्सीकरण नहीं करता है परिणामस्वरूप कोई भी बेंजोइक एसिड नहीं बनता है।
  • इसलिये शोधकर्त्ताओं ने एक ऑक्सीडाइज़र (Oxidiser) के रूप में TBHP का इस्तेमाल किया। उत्प्रेरक TBHP के साथ ऑक्सीकरण प्रतिक्रिया शुरू करने के लिये प्रतिक्रिया करता है, जहाँ टॉलुईन प्रतिक्रिया चरणों की एक श्रृंखला के माध्यम से बेंजोइक एसिड में परिवर्तित हो जाता है।

आर्थिक संयोजन

  • इस रूपांतरण के लिये अकेले TBHP का उपयोग करने पर TBHP (TBHP का एक भाग टॉलुईन का चार भाग) की बड़ी मात्रा में आवश्यकता होती है जो आर्थिक रूप से अनुकूल नहीं है।
  • अतः उपयोग किये जाने वाले TBHP की मात्रा को कम करने के लिये शोधकर्त्ताओं ने आणविक ऑक्सीजन (Molecular Oxygen) का भी उपयोग किया।
  • आणविक ऑक्सीजन की उपस्थिति में रूपांतरण के लिये TBHP के केवल दो भागों की आवश्यकता होती है। आणविक ऑक्सीजन सस्ती है, इसलिये TBHP के साथ इसका उपयोग लागत को कम करने में मदद करता है।
  • आणविक ऑक्सीजन के साथ-साथ TBHP के उपयोग से भी बेंजोइक एसिड के उत्पादन में वृद्धि हुई है।

स्रोत- द हिंदू

close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2