विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी
साइंस स्टार्ट-अप इन्क्यूबेशन को बढ़ावा देगा IISC
- 30 Jun 2018
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चर्चा में क्यों?
वर्ष 1909 में जमशेदजी टाटा और मैसूर के पूर्व महाराजा कृष्णराज वाडियार चतुर्थ ने भारतीय विज्ञान संस्थान (Indian Institute of Science) की स्थापना की थी। अपनी स्थापना के बाद से संस्थान ने विज्ञान एवं तकनीकी के क्षेत्र में बहुत-सी उपलब्धियाँ हासिल की है। आईआईएस, साइंस टेक कंपनियों को विकसित करने हेतु अगले तीन वर्षों में बंगलरू में एक शोध पार्क खोलने की योजना बना रहा है।
कॉर्पोरेट सहयोग
- इस कार्य को सुचारु रूप से पूरा करने के लिये आईआईएस द्वारा टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज़, वोल्वो, गूगल इंक, जनरल मोटर्स, माइक्रोसॉफ्ट रिसर्च, आईबीएम रिसर्च, बोइंग, रॉबर्ट बॉश फाउंडेशन और प्रैट एंड व्हिटनी जैसी कंपनियों का भी सहयोग लिया जा रहा है।
- इसके अलावा यह भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन, एयरोनॉटिकल डेवलपमेंट एजेंसी (Aeronautical Development Agency) और सेंटर फॉर डेवलपमेंट ऑफ एडवांस्ड कंप्यूटिंग (Centre for Development of Advanced Computing) के साथ मिलकर काम कर रहा है।
- इसके अतिरिक्त सोसाइटी फॉर इनोवेशन एंड डेवलपमेंट आर्म (एक अंतर अनुशासनिक निकाय) के अंतर्गत शामिल लगभग 12 कंपनियों द्वारा एंडोस्कोपी के लिये उपयोग किये जाने वाले सिमुलेटर, कम लागत पर इंटरनेट की पहुँच सुनिश्चित करने हेतु माइक्रोसाइटेलाइट्स, एक मेडिकल डायग्नोस्टिक किट और चंदन से तेल निकालने हेतु एक सुपरवेव तकनीक को शामिल किया गया है।
प्रमुख उपलब्धियाँ
पाथशोध (Pathshodh) क्या है?
- यह सुपरवेव प्रौद्योगिकी का उपयोग करने वाला एक उपकरण है। इसकी सहायता से मरीज़ को बिना सुई लगाए दवा दी जा सकती है।
- इसके अलावा संस्थान ने खुले दूषित [नमूना] जल को साफ जल में परिवर्तित करने में सफलता हासिल की है।
- इसी प्रकार वैज्ञानिकों द्वारा एक वातानुकूलित कंबल का भी आविष्कार किया गया है। यह बहुत-सी परतों वाला एक कंबल है जो कि व्यक्तिगत एयर कंडिशनर के रूप में कार्य करता है। इसके लिये पूरे कमरे को ठंडा करने की ज़रूरत नहीं होती है।
रॉबर्ट बॉश सेंटर (Robert Bosch Centre)
- साइबर-भौतिक प्रणालियों (Cyber-Physical Systems) के लिये 2011 में रॉबर्ट बॉश सेंटर की स्थापना की गई। साइबर-भौतिक प्रणालियों में अनुसंधान को बढ़ावा देने के लिये इसे एक अंतःविषय अनुसंधान (interdisciplinary research) और अकादमिक केंद्र के रूप में स्थापित किया गया।
एंडोस्कोपी सिम्युलेटर (Endoscopy Simulator)
- संस्थान से संबद्ध मिमिक मेडिकल सिम्युलेशन (Mimyk Medical Simulations) ने गैस्ट्रोएंटेरोलॉजिस्ट (gastroenterologists) के लिये एंडोस्कोपी सिम्युलेटर (Endoscopy Simulator) विकसित किया है।
- इसके अलावा इंटरनेट ऑफ थिंग्स पर आधारित एक भौतिक नेटवर्क के संबंध में काम किया गया है जहाँ एक डिवाइस दूसरे डिवाइस से बात कर सकती हैं।
- इसके साथ-साथ रोबोटिक्स (robotics) और स्वायत्त प्रणाली (autonomous systems) जैसी व्यवस्थाओं के संबंध में अनुसंधान प्रगति पर हैं।
- इन सबके अलावा भविष्य की परियोजनाओं में सबसे महत्त्वाकांक्षी परियोजना फ्लाइंग कार यानी उड़ने वाली कार की है। इस कार्य के संबंध में अनुसंधान प्रगति है, साथ ही विभिन्न स्रोतों से फंडिंग भी प्राप्त हो रही है।