भारतीय अर्थव्यवस्था
IIPDF योजना
- 07 Nov 2022
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प्रिलिम्स के लिये:भारत अवसंरचना परियोजना विकास निधि योजना (IIPDF योजना), सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPP) मॉडल, बिल्ड-ऑपरेट-ट्रांसफर (BOT), बिल्ड-ओन-ऑपरेट (BOO), बिल्ड-ऑपरेट-लीज़-ट्रांसफर (BOLT), डिज़ाइन-बिल्ड-ऑपरेट-ट्रांसफर (DBFOT), लीज़-डेवलप-ऑपरेट (LDO), ऑपरेट-मेंटेन-ट्रांसफर (OMT)। मेन्स के लिये:सार्वजनिक-निजी भागीदारी का समर्थन करने के लिये पहल और विकास योजनाएँ। |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में आर्थिक मामलों के विभाग (DEA), वित्त मंत्रालय ने सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPP) परियोजनाओं के परियोजना विकास व्यय के लिये वित्तीय सहायता हेतु भारत अवसंरचना परियोजना विकास निधि योजना (IIPDF योजना) को अधिसूचित किया।
भारत अवसंरचना परियोजना विकास निधि योजना (IIPDF योजना):
- परिचय:
- IIPDF योजना की स्थापना वर्ष 2007 में की गई थी।
- यह वर्ष 2022-23 से 2024-25 तक तीन साल की अवधि के लिये 150 करोड़ रुपए के कुल परिव्यय के साथ एक केंद्रीय क्षेत्र की योजना है।
- यह परियोजना विकास लागत को पूरा करने के लिये PPP परियोजनाओं के प्रायोजक प्राधिकरणों के लिये उपलब्ध है।
- PPP परियोजना विकास गतिविधियों को शुरू करने और बड़े नीति एवं नियामक मुद्दों को संबोधित करने के लिये PPP सेल का निर्माण तथा उन्हें सशक्त बनाने हेतु प्रायोजक प्राधिकरण के लिये यह आवश्यक होगा।
- उद्देश्य:
- इसका उद्देश्य गुणवत्तापूर्ण परियोजना विकास गतिविधियों के लिये वित्तीय सहायता प्रदान करना है।
- महत्त्व:
- प्रायोजक प्राधिकरण, PPP लेन-देन लागत के एक हिस्से को कवर करने के लिये वित्तपोषण के स्रोत के रूप में सक्षम होगा, जिससे उनके बजट पर खरीद से संबंधित लागतों के प्रभाव को कम किया जा सकेगा।
- वित्तीय परिव्यय:
- IIPDF परियोजना विकास खर्च का 75% तक प्रायोजक प्राधिकरण को ब्याज़ मुक्त ऋण के रूप में योगदान देगा। शेष 25% प्रायोजक प्राधिकरण द्वारा सह-वित्तपोषित किया जाएगा।
- बोली प्रक्रिया के सफल समापन पर सफल बोलीदाता से परियोजना विकास व्यय की वसूली की जाएगी।
- हालाँकि बोली की विफलता के मामले में ऋण को अनुदान में परिवर्तित किया जाएगा।
- यदि प्रायोजक प्राधिकरण किसी कारण से बोली प्रक्रिया पूरी नहीं करता है, तो योगदान की गई पूरी राशि IIPDF को वापस कर दी जाएगी।
सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPP) मॉडल के प्रकार:
- बिल्ड-ऑपरेट-ट्रांसफर (BOT): यह एक पारंपरिक PPP मॉडल है जिसमें निजी भागीदार डिज़ाइन, निर्माण, संचालन (अनुबंधित अवधि के दौरान) और सुविधा को सार्वजनिक क्षेत्र में वापस स्थानांतरित करने के लिये ज़िम्मेदार होते हैं।
- निजी क्षेत्र के भागीदार को किसी परियोजना के लिये वित्त की व्यवस्था करनी होती है और इसके निर्माण एवं रखरखाव की ज़िम्मेदारी लेनी होती है।
- सार्वजनिक क्षेत्र, निजी क्षेत्र के भागीदारों को उपयोगकर्त्ताओं से राजस्व एकत्र करने की अनुमति देगा। PPP मोड के तहत NHAI द्वारा अनुबंधित राष्ट्रीय राजमार्ग परियोजनाएँ BOT मॉडल का एक प्रमुख उदाहरण है।
- बिल्ड-ओन-ऑपरेट (BOO): इस मॉडल में नवनिर्मित सुविधा का स्वामित्व निजी पार्टी के पास रहेगा।
- पारस्परिक रूप से नियमों और शर्तों पर सार्वजनिक क्षेत्र की भागीदार परियोजना द्वारा उत्पादित वस्तुओं एवं सेवाओं की 'खरीद' करने पर सहमति बनाई जाती है।
- बिल्ड-ओन-ऑपरेट-ट्रांसफर (BOOT): इसके अंतर्गत समय पर बातचीत के बाद परियोजना को सरकार या निजी ऑपरेटर को स्थानांतरित कर दिया जाता है।
- BOOT मॉडल का उपयोग राजमार्गों और बंदरगाहों के विकास के लिये किया जाता है।
- बिल्ड-ऑपरेट-लीज़-ट्रांसफर (BOLT): इस मॉडल में सरकार निजी साझेदार को सुविधाओं के निर्माण, डिज़ाइन, स्वामित्त्व और लीज़ का अधिकार देती है तथा लीज़ अवधि के अंत में सुविधा का स्वामित्व सरकार को हस्तांतरित किया जाता है।
- डिज़ाइन-बिल्ड-फाइनेंस-ऑपरेट (DBFO): इस मॉडल में अनुबंधित अवधि के लिये परियोजना के डिज़ाइन, उसके विनिर्माण, वित्त और परिचालन का उत्तरदायित्त्व निजी साझीदार पर होता है।
- लीज़-डेवलप-ऑपरेट (LDO): इस प्रकार के निवेश मॉडल में या तो सरकार या सार्वजनिक क्षेत्र के पास नवनिर्मित बुनियादी ढाँचे की सुविधा का स्वामित्व बरकरार रहता है और निजी प्रमोटर के साथ लीज़ समझौते के रूप में भुगतान प्राप्त किया जाता है।
- इसका पालन अधिकतर एयरपोर्ट सुविधाओं के विकास में किया जाता है।
- इंजीनियरिंग, खरीद और निर्माण (EPC) मॉडल: इस मॉडल के तहत लागत पूरी तरह से सरकार द्वारा वहन की जाती है। सरकार निजी कंपनियों से इंजीनियरिंग कार्य के लिये बोलियाँ आमंत्रित करती है। कच्चे माल की खरीद और निर्माण लागत सरकार द्वारा वहन की जाती है। निजी क्षेत्र की भागीदारी न्यूनतम तथा इंजीनियरिंग विशेषज्ञता के प्रावधान तक सीमित होती है। इस मॉडल की एक समस्या यह है कि इससे सरकार पर वित्तीय बोझ बढ़ता है।
- हाइब्रिड एन्युटी मॉडल (HAM): भारत में नया HAM, BOT-एन्युइटी और EPC मॉडल का मिश्रण है। डिज़ाइन के अनुसार, सरकार वार्षिक भुगतान के माध्यम से पहले पाँच वर्षों में परियोजना लागत का 40% योगदान देगी। शेष भुगतान सृजित परिसंपत्तियों एवं विकासकर्त्ता के प्रदर्शन के आधार पर किया जाएगा।
यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न. सार्वभौम अवसंरचना सुविधा (ग्लोबल इंफ्रास्ट्रक्चर फैसिलिटी)- (2017) (a) एशिया में अवसंरचना के उन्नयन के लिये ASEAN का उपक्रमण है, जो एशियाई विकास बैंक द्वारा दिये गए साख (क्रेडिट) से वित्तपोषित है। उत्तर: B व्याख्या:
अतः विकल्प (b) सही उत्तर है। मेन्स:प्रश्न: सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPP) मॉडल के तहत संयुक्त उद्यमों के माध्यम से भारत में हवाई अड्डों के विकास का परीक्षण कीजिये। इस संबंध में अधिकारियों के सामने क्या चुनौतियाँ हैं? (मुख्य परीक्षा, 2017) प्रश्न. ढाँचागत परियोजनाओं में सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPP) की आवश्यकता क्यों है? भारत में रेलवे स्टेशनों के पुनर्विकास में PPP मॉडल की भूमिका का परीक्षण कीजिये। (मुख्य परीक्षा, 2022) |