भारतीय अर्थव्यवस्था
नई कृषि नीति में भारतीय चाय की उपेक्षा
- 11 Dec 2018
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चर्चा में क्यों?
चाय उद्योग पिछले कुछ वर्षों से बढ़ती कीमतों के कारण दबाव का सामना कर रहा है। देश में चाय उत्पादन में तेज़ी से वृद्धि के साथ-साथ इसके उपभोग में भी वद्धि हुई है, अतः इसका असर कीमतों पर पड़ा है। अतः यह क्षेत्र नई कृषि निर्यात नीति में कुछ राहत पाने की उम्मीद कर रहा है।
महत्त्वपूर्ण बिंदु
- मुख्य रूप से बढ़ती मज़दूरी के कारण चाय बागान क्षेत्र की निश्चित लागत में लगभग 45 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, जबकि पिछले तीन वर्षों में मूल्य प्राप्ति/अर्जन में केवल 17 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
- चाय का निर्यात पिछले कुछ वर्षो में भी स्थिर रहा है। भारत ने वर्ष 2017 में 240 मिलियन किलोग्राम (mkg) चाय का निर्यात किया।
- भारत से वस्तु निर्यात योजना (Merchandise Exports From India Scheme) के तहत निर्यात को बढ़ावा देने के लिये भारतीय चाय संघ (ITA) मौजूदा 5 प्रतिशत की दर को बढ़ाकर लगभग 10 प्रतिशत की उच्च दर करने की मांग कर रहा है।
इंडियन टी एसोसिएशन (ITA)
1881 में स्थापित इंडियन टी एसोसिएशन (ITA) भारत में चाय उत्पादकों का प्रमुख और सबसे पुराना एसोसिएशन है।
ITA, प्लांटेशन एसोसिएशन की सलाहकार समिति (CCPA) के सचिवालय के रूप में कार्य करता है जो भारत में चाय उत्पादक संघों की शीर्ष निकाय है।
- केंद्रीय मंत्रिमंडल ने हाल ही में नई कृषि निर्यात नीति को मंज़ूरी दी, जिसका लक्ष्य बुनियादी ढाँचे को बढ़ावा देना और विभिन्न वस्तुओं पर निर्यात प्रतिबंधों को हटाकर 2022 तक कृषि निर्यात को दोगुना करना है।
- उपर्युक्त नीति उच्च मूल्य और मूल्य वर्द्धित कृषि निर्यात को बढ़ावा देकर देश से निर्यात किये जाने वाले मदों और गंतव्यों तक इनकी उपलब्धता सुनिश्चित करने की मांग करती है ताकि चीन, अमेरिका, ईरान और इराक में लक्षित बाज़ारों तक अपने निर्यात को बढ़ा सके।
- ऑर्गेनिक चाय, ग्रीन टी और परंपरागत रूप से प्रचलित चाय की आमतौर पर 'मूल्य वृद्धि' की जानी चाहिये।
- परंपरागत रूप से प्रचलित चाय के उत्पादन की लागत, CTC की तुलना से लगभग प्रति ₹ 20 किलो अधिक है।
- इस उद्योग से संबंधित अध्ययन के मुताबिक, उत्पादक पूंजीगत व्यय, राजस्व की अनुमानित हानि और मूल्य प्राप्ति की अनिश्चितता के कारण CTC को परंपरागत रूप में प्रचलित चाय से परिवर्तित करने के इच्छुक नहीं हैं।