अंतर्राष्ट्रीय संबंध
कैंसर कोशिकाओं को नियंत्रित करने में भारत की उपलब्धि
- 31 Jul 2017
- 5 min read
संदर्भ
गौरतलब है कि दिल्ली के सी.एस.आई.आर. के आई.जी.आई.बी. (Institute of Genomics and Integrative Biology - CSIR-IGIB) के शोधकर्त्ताओं ने एक ऐसी प्रक्रिया की खोज की है जिससे टेलोमिरेज़ (एक ऐसा एंजाइम जो कैंसर कोशिकाओं में टेलोमेयर को जोड़ता है) के उच्च स्तर पर नियंत्रण किया जा सकता है| यह एंजाइम कैंसर कोशिकाओं की वृद्धि को कम करने तथा कैंसर मेटास्टेसिस (Metastasis) को रोकने में भी सहायक सिद्ध हो सकता है|
महत्त्वपूर्ण विशेषता
- सामान्य कोशिकाओं के विपरीत, अधिकांश कैंसर कोशिकाओं में टेलोमिरेज़ (Telomeres) का उच्च स्तर पाया जाता है, जिसके कारण टेलोमेयर की सामान्य लम्बाई में वृद्धि हो जाती है|
- टेलोमेयर गुणसूत्रों के आखिरी हिस्से की रक्षा जूते के फीतों में लगी एक प्लास्टिक क्लिप की भाँति करते हैं| जब टेलोमेयर का आकार एक निश्चित सीमा से छोटा हो जाता है तो कोशिकाओं की मृत्यु हो जाती है
- कैंसर कोशिकाओं के मामले में टेलोमेयर की लम्बाई को एक निश्चित सीमा तक बनाए रखा जाता है ताकि कोशिकाओं के जीवन काल में विस्तार किया जा सकें|
- सामान्य कोशिकाओं में टेलोमिरेज़ को कड़े नियंत्रण में रखा जाता है परन्तु कैंसर के 85% मामलों में टेलोमिरेज़ का स्तर सामान्य से अधिक होता है जिसके कारण अनेक मामलों में कोशिकाओं में घातक परिवर्तन और आक्रामक रूप-परिवर्तन हो जाते हैं|
- यह पहले से ही ज्ञात है कि जब शरीर में एक विशेष प्रोटीन (जो कैंसर के फैलाव को रोकता है, इसे नॉनमेटास्टेटिक2 (Nonmetastatic2) कहा जाता है) की मात्रा अधिक हो जाती है तो कैंसर के फैलने की क्षमता कम हो जाती है| परन्तु टेलोमिरेज़ के स्तर को नियंत्रित करने में इस प्रोटीन की भूमिका अति महत्त्वपूर्ण साबित होती है|
प्रक्रिया
- इस समस्त शोध में शोधकर्त्ताओं द्वारा यह पाया गया कि एन.एम.ई.2 टेलोमिरेज़ प्रमोटर में पाई गई डी.एन.ए. संरचना (G-quadrauplex) से बंधा हुआ था| परंतु, एक बार इससे जुड़ने के पश्चात् एन.एम.ई.2 जीनों की अभिव्यक्ति के एक प्रमुख निरोधी (REST complex) को टेलोमिरेज प्रमोटर से बंधने के लिये प्रोत्साहित करता है और टेलोमिरेज़ के उत्पादन पर नियंत्रण कर लेता है|
- इन प्रयोगों में यह भी स्पष्ट हुआ कि यदि आपके पास एन.एम.ई.2 नहीं है तो ‘रेस्ट’ निरोधी को टेलोमिरेज़ प्रमोटर से सम्बद्ध नहीं किया जा सकता है और न ही टेलोमिरेज़ के उत्पादन पर नियंत्रण किया जा सकता है|
अन्य पक्ष
- ध्यातव्य है कि शोधकर्त्ताओं द्वारा इस बात का भी पता लगाया गया है कि यदि प्रमोटर से जुड़े हुए एन.एम.ई.2 की प्रक्रिया को ठीक तरीके से समझ लिया जाए (जिसका अनुसरण रेस्ट निरोधी जटिल करता है) तो डी.एन.ए. संरचना कैंसर की संभावित दवा का एक विकल्प साबित हो सकती है|
- डी.एन.ए. संरचना की भागीदारी के कारण शोधकर्त्ताओं द्वारा छोटे अणुओं का प्रयोग किया गया जिन्होंने इसकी विशिष्ट संरचना को मान्यता प्रदान की|
- चूँकि अनेक मेटास्टेटिक कैंसर कोशिकाओं में एन.एम.ई.2 की मात्रा कम होती है अतः शोधकर्त्ताओं ने छोटे अणुओं का उपयोग किया जो कि डी.एन.ए. संरचना से जुड़े होने के कारण एन.एम.ई.2 के समान कार्य करने में सक्षम थे|
- वर्तमान में इन शोधकर्त्ताओं द्वारा छोटे अणुओं द्वारा प्राप्त आरंभिक परिणामों के आधार पर नए अणुओं को चिकित्सकीय उपयोग में लाने हेतु उन्हें संश्लेषित करने की योजना बनाई जा रही हैं| उल्लेखनीय है कि इसके पश्चात् ही इन अणुओं का जानवरों पर परीक्षण किया जाएगा|