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भारतीय अर्थव्यवस्था

भारतीय दिवाला और शोधन अक्षमता बोर्ड नियम, 2016 में संशोधन

  • 27 Jul 2019
  • 4 min read

चर्चा में क्यों?

भारतीय दिवाला और शोधन अक्षमता बोर्ड (The Insolvency and Bankruptcy Board of India-IBBI) ने भारतीय दिवाला और शोधन अक्षमता बोर्ड (कॉरपोरेट्स के लिये दिवालियापन समाधान प्रक्रिया) नियम, 2016 और भारतीय दिवाला और शोधन अक्षमता बोर्ड (ऋण शोधन प्रक्रिया) नियम, 2016 में संशोधन किया है।

भारतीय दिवाला और शोधन अक्षमता बोर्ड (कॉरपोरेट्स के लिये दिवालियापन समाधान प्रक्रिया) नियम, 2016 में हुए प्रमुख संशोधन निम्न प्रकार हैं:

  • संशोधन द्वारा ऋणदाताओं की समिति (Committee of Creditors-CoC) के गठन से पूर्व तथा CoC के गठन के पश्चात् आवेदन को वापस लेने की प्रक्रिया को निश्चित किया गया है।
  • संकल्प योजना को मंजूरी देते समय अथवा कॉरपोरेट देनदार के ऋण शोधन का फैसला करते समय CoC परिसमापन लागत (Lliquidation Cost) को पूरा करने में योगदान करने के लिये योजना को मंजूरी दे सकता है।

भारतीय दिवाला और शोधन अक्षमता बोर्ड (ऋण शोधन प्रक्रिया) नियम, 2016

  • यह संशोधन कॉरपोरेट कर्ज़दार (corporate debtor) की बिक्री की प्रक्रियाओं को निर्धारित करता है।
  • इसके अतिरिक्त इसमें इस बात की भी व्यवस्था की गई है कि जैसे ही एक बार कॉरपोरेट देनदार की बिक्री होती है, वैसे ही ऋण शोधन की प्रक्रिया को कॉरपोरेट देनदार के विलय के बिना बंद कर दिया जाएगा।
  • संशोधन के तहत यह आवश्यक है कि ऋण शोधन की प्रक्रिया शुरू होने के एक वर्ष के भीतर इसे पूरा कर लिया जाए।
  • संशोधन में ऋणशोधन की प्रक्रिया में प्रत्येक कार्य के लिए एक मॉडल समय-सीमा निर्धारित की गई है। इसमें कंपनी कानून, 2013 की धारा 230 के तहत हितधारकों द्वारा प्रस्तावित किसी समझौते को पूरा करने के लिए ऋणशोधन के आदेश से अधिकतम 90 दिनों का समय निर्दिष्ट करने की व्यवस्था की गई है, जिससे ऋणशोधन की प्रक्रिया जल्द-से-जल्द खत्म होना सुनिश्चित हो सकेगा।
  • संशोधन में एक हितधारकों की परामर्श समिति के गठन का भी प्रावधान किया गया है, जिसमें सुरक्षित वित्तीय ऋणदाताओं, असुरक्षित वित्तीय ऋणदाताओं, कामगारों और कर्मचारियों, सरकार, अन्य परिचालन ऋणदाताओं और शेयरधारकों का प्रतिनिधित्व होगा, जो ऋणशोधन कराने वाले को बिक्री से संबंधित मामलों में सलाह देंगे। हालाँकि, इस समिति की सलाह को मानने के लिए ऋणशोधन कराने वाला बाध्य नहीं है।
  • संशोधन ने एक व्यापक अनुपालन प्रमाण पत्र (Comprehensive Compliance Certificate) प्रस्तुत किया है जिसे अंतिम रिपोर्ट के साथ अधीनस्थ प्राधिकार को प्रस्तुत किया जाना है।

स्रोत: पी.आई.बी.

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