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भारतीय अर्थव्यवस्था

पोषक तत्त्व से समृद्ध हाइब्रिड मक्का

  • 23 Oct 2018
  • 4 min read

चर्चा में क्यों

हाल ही में भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (IARI) ने एक हाइब्रिड मक्का विकसित किया है जिसके बारे में दावा किया जा रहा है कि यह लाइसिन और ट्रिप्टोफेन के साथ-साथ प्रो-विटामिन-A में भी समृद्ध, दुनिया का पहला मक्का है।

महत्त्वपूर्ण बिंदु

  • गेहूँ और चावल के बाद मक्का भारत का तीसरा सबसे महत्त्वपूर्ण खाद्यान्न है। इसका उपयोग चिप्स, फ्लेक्स, पॉपकॉर्न इत्यादि जैसे खाद्य पदार्थ बनाने के लिये किया जाता है।
  • मक्के के दाने में कार्बोहाइड्रेट की मात्रा ज़्यादा (65-75%) और प्रोटीन कम (7-12%) होता है तथा इस प्रोटीन में आवश्यक अमीनो एसिड जैसे लाइसिन एवं ट्रिप्टोफेन भी काफी कम मात्रा में होते हैं।
  • लाइसिन एवं ट्रिप्टोफेन आवश्यक अमीनो एसिड (प्रोटीन के बिल्डिंग ब्लॉक) होते हैं जिन्हें शरीर द्वारा संश्लेषित नहीं किया जा सकता है। आहार के द्वारा ही इनकी आपूर्ति की जानी चाहिये।

विकसित मक्का

  • यह हाइब्रिड मक्का (पूसा विवेक QPM 9) लाइसिन और ट्रिप्टोफेन के साथ-साथ प्रो-विटामिन-A में भी समृद्ध, दुनिया का पहला मक्का है।
  • यद्यपि विटामिन-A समृद्ध मक्का कुछ अन्य जगहों पर विकसित किया जा चुका है फिर भी यह नई किस्म महत्त्वपूर्ण है क्योंकि यह न केवल विटामिन-A बल्कि अन्य दो आवश्यक एमिनो एसिड से भी समृद्ध है।
  • इस संशोधित मक्के में दो जीन शामिल हैं। पहला, ओपेक-2 (Opaque-2) जीन जो लाइसिन और ट्रिप्टोफेन की मात्रा को बढ़ाता है तथा दूसरा, सीआरटीआरबी1 (crtRB1) जीन, जिसके परिणामस्वरूप कैरोटीनॉयड (बीटा-कैरोटीन, अल्फा-कैरोटीन और बीटा-क्रिप्टोक्सैंथिन) अधिक मात्रा में प्राप्त होते हैं जो कि शरीर में पहुँचकर विटामिन-A में परिवर्तित हो जाते हैं।
  • सामान्य मक्के में ल्यूटिन और ज़ीएक्सैंथिन अधिक होते हैं। ये ऐसे कैरोटीनॉयड होते हैं जो विटामिन-A में परिवर्तित नहीं हो सकते हैं।
  • बायो-फोर्टिफाइड हाइब्रिड आनुवंशिक रूप से संशोधित नहीं है, क्योंकि ओपेक-2 और सीआरटीआरबी1 जीन किसी भिन्न/असंबंधित पौधे या सूक्ष्मजीव की बजाय मक्के से ही प्राप्त किये गए हैं।

विकसित मक्के की महत्ता

  • भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (IARI) द्वारा विकसित किया गया यह मक्का भुखमरी से लड़ने में कारगर हथियार साबित हो सकता है।
  • यह व्यापक आबादी को कुपोषण से छुटकारा दिला सकने में सक्षम है। इसके साथ ही यह ग्लोबल हंगर इंडेक्स (GHI) में भारत की रैंकिंग (2018 में 119 देशों की सूची में भारत 103वें स्थान पर था) में सुधार ला सकता है।
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