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भारत में शुरू होगी हाइपरलूप परिवहन तकनीक

  • 13 Apr 2019
  • 4 min read

चर्चा में क्यों?

दुनिया की पहली वर्जिन हाइपरलूप वन (VHO) वाणिज्यिक परियोजना 2025 तक मुंबई और पुणे के बीच शुरू हो सकती है।

प्रमुख बिंदु

  • वर्जिन हाइपरलूप वन (VHO) के अनुसार, यदि सब कुछ योजना के मुताबिक हुआ तो दुनिया की पहली हाइपरलूप वन परियोजना भारत में होगी।
  • महाराष्ट्र सरकार ने भी इस परियोजना को आधिकारिक अवसंरचना घोषित कर दिया है।
  • वर्जिन हाइपरलूप वन (VHO) के अनुसार, हाइपरलूप वन परियोजना भारत जैसे देशों में ही व्यवहार्य है क्योंकि भारत में प्रतिवर्ष लगभग 8-19 करोड़ लोग दो शहरों के बीच यात्रा करते हैं।

हाइपरलूप परिवहन तकनीक

  • वर्तमान में कई कंपनियों द्वारा विकसित की जा रही हाइपरलूप ज़मीनी यातायात का एक नया रूप है।
  • हाइपरलूप परिवहन की एक ऐसी तकनीक है जिसमें बड़े-बड़े पाइपों के अंदर वैक्यूम या निर्वात जैसा माहौल तैयार कर वायु की अनुपस्थिति में पॉड जैसे वाहन में बैठकर 1000 से लेकर 1300 किलोमीटर प्रति घंटे की गति से यात्रा की जा सकती है।
  • ट्यूब्स के अंदर निर्वात पैदा करने से वायु द्वारा उत्पन्न प्रतिरोध (air friction) समाप्त हो जाता है, जिससे पॉड को तेज़ गति से चलाया जा सकता है।
  • इन ट्यूब्स के अंदर ट्रेन या पॉड को लेविटेशन (उत्तोलन) तकनीक के सहारे आगे बढ़ाया जाता है।
  • लेविटेशन तकनीक के अंतर्गत ट्रेन को बड़े-बड़े इलेक्ट्रिक चुंबकों के ऊपर चलाया जाता है। इसमें चुंबकीय शक्ति के प्रभाव से ट्रेन थोड़ी ऊपर उठ जाती है और तेज़ गति से ट्रैक के ऊपर चलती है।
  • इस तकनीक में अग्रणी विभिन्न कंपनियों ने भारत में विभिन्न मार्गों पर हाइपरलूप के निर्माण का प्रस्ताव रखा है। जैसे- डिनक्लिक्स ग्राउंडवर्क्स कंपनी ने दिल्ली-मुंबई मार्ग पर, ऐकॉम बंगलूरू-चेन्नई मार्ग पर हाइपरलूप के निर्माण में रुचि दिखाई है।
  • यह तो निश्चित है कि इस तकनीक को परिवहन ढाँचे में समाविष्ट करके यात्रा की अवधि को बहुत कम किया जा सकता है। यह देश के व्यस्ततम रेलवे और वायुमार्गों पर दबाव को कम करेगा।
  • भारतीय परिप्रेक्ष्य में हाइपरलूप से सबंधित कुछ चुनौतियाँ निम्नलिखित हैं- इस परियोजना के लिये वित्त की व्यवस्था करना एक बड़ी चुनौती है, क्योंकि इसकी लागत अरबों डॉलर में होगी तथा भारतीय परिवहन व्यवस्था में इसे बिना सब्सिडी प्रदान किये चला पाना भी संभव नहीं होगा।
  • अभी इस तकनीक की टेस्टिंग पूरी तरह से संपन्न नहीं हो पाई है, अतः इसमें सुरक्षित परिवहन पर अब भी कुछ संदेह है।
  • भारत में यात्रियों की बड़ी संख्या मौजूद है। हाइपरलूप कुछ ही लोगों को सुविधा दे पाएगा। यात्रा के समय में कटौती और तीव्र परिवहन समय की मांग है।
  • भारत को अपनी क्षमता के अनुसार तथा उस तकनीक की भारतीय परिप्रेक्ष्य में उपयोगिता को ध्यान में रखकर ही आगे कदम बढ़ाना चाहिये।
  • फिलहाल भारत में नीति-निर्माताओं की प्राथमिकता हाई-स्पीड ट्रेनों और बुलेट ट्रेन पर आधारित रेलवे परिवहन के विकास की है।

स्रोत- बिज़नेस लाइन

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