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विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी

ट्रेनों में ईंधन के रूप में हाइड्रोजन

  • 08 Jan 2020
  • 5 min read

प्रीलिम्स के लिये:

हाइड्रोजन संचालित ट्रेन

मेन्स के लिये:

फ़्यूल-सेल/ नवीकरणीय ऊर्जा स्त्रोत

चर्चा में क्यों?

हाल ही में संपन्न हुए भारतीय विज्ञान काॅन्ग्रेस के 107वें अधिवेशन में पूर्व अंतरिक्ष वैज्ञानिक डी. नारायण राव ने हाइड्रोजन से चलने वाले रेल इंजन बनाने के लिये रेलवे द्वारा किये जा रहे प्रयासों के बारे में जानकारी दी।

भारतीय विज्ञान काॅन्ग्रेस: भारतीय विज्ञान काॅन्ग्रेस का आयोजन प्रतिवर्ष भारतीय विज्ञान काॅन्ग्रेस संस्था द्वारा किया जाता है। इस संस्था की स्थापना वर्ष 1914 में कोलकाता में की गई थी। वार्षिक अधिवेशनों के आयोजनों के अतिरिक्त यह संस्था विज्ञान के प्रचार-प्रसार को बढ़ावा देने के लिये शोधपत्रों व पुस्तकों का प्रकाशन और वैज्ञानिक प्रयोगों हेतु आर्थिक मदद प्रदान करती है।

मुख्य बिंदु:

  • यह पहल रेलवे द्वारा ट्रेन संचालन के लिये वैकल्पिक ईंधन की खोज करने तथा जीवाश्म ईंधन पर आधारित ऊर्जा स्रोतों की निर्भरता को कम करने के प्रयासों का परिणाम है।
  • ध्यातव्य है कि नवंबर 2019 में भारतीय रेलवे के वैकल्पिक ऊर्जा स्रोत संगठन (Indian Railways Organisation for Alternate Fuels-IROAF) ने हाइड्रोजन संचालित रेल इंजनों के निर्माण में अपनी रुचि दिखाई थी।
  • इस क्षेत्र में IROAF ने एसआरएम. विश्वविद्यालय (SRM University) के साथ मिलकर हाइड्रोजन पर चलने वाले फ्यूल-सेल आधारित इंजन के निर्माण के लिये ज़रूरी तकनीकी विशेषज्ञता हासिल की है।
  • प्रस्तावित ट्रेन में चार यात्री कोच होंगे और इसकी अधिकतम रफ्तार 75 किमी./घंटा होगी, साथ ही एक अन्य कोच पर हाइड्रोजन गैस सिलेंडर, फ्यूल-सेल, सुपर-कैपेसिटर व डीसी कन्वर्टर को रखा जाएगा।

हाइड्रोजन फ्यूल-सेल:

इस प्रणाली में ईंधन के रूप में हाइड्रोजन का प्रयोग होता है। फ्यूल-सेल में हाइड्रोजन तथा ऑक्सीजन को सममिश्रित कर विद्युत का निर्माण किया जाता है और इस प्रक्रिया में उप-उत्पाद (Byproduct) के रूप में पानी (H2O) का निर्माण होता है। परंपरागत बैटरियों की तरह ही हाइड्रोजन फ्यूल-सेल में भी रासायनिक ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में परिवर्तित किया जाता है।

योजना का भविष्य:

  • 10 जनवरी, 2020 को इस तकनीकी को रेलवे के समक्ष प्रस्तुत किया जाएगा तथा वर्ष 2021 के अंत तक इस सक्रिय मॉडल के बनकर तैयार होने की उम्मीद है।
  • वैज्ञानिक राव के अनुसार, एक बार सफल परीक्षण के बाद यह ट्रेन देश के कुछ उप-महानगरों में चलाई जाएगी।
  • इस पहल के अंतर्गत अगले चरण में ट्रेन पर ही पानी से हाइड्रोजन का निर्माण करने की योजना है।

हाइड्रोजन संचालित ट्रेन पर वैश्विक नज़रिया:

  • वर्तमान में यातायात हेतु वैकल्पिक ऊर्जा स्रोतों की खोज के लिये विश्व में अनेक प्रकार के परीक्षण किये जा रहे हैं।
  • हाइड्रोजन फ्यूल-सेल और बैटरी के प्रयोग से प्रोटाॅन एक्सचेंज मेम्ब्रेन (Proton Exchange Membrane-PEM) द्वारा फ्यूल-सेल आधारित रेल प्रणोदक तकनीकी के माध्यम से रेल संचालन संबंधी प्रयोग विश्व के कई देशों में किये जा रहे हैं।
  • हालाँकि वर्तमान में हाइड्रोजन से संचालित ट्रेन का सफल परीक्षण विश्व में सिर्फ जर्मनी ने ही किया है।

हाइड्रोजन फ्यूल-सेल की चुनौतियाँ:

  • हाइड्रोजन का ऊर्जा घनत्व बहुत कम होने के कारण इसे पर्याप्त मात्रा में जमा करने के लिये बड़े पात्र/टैंक की आवश्यकता होती है।
  • हाइड्रोजन एक रंगहीन और गंधहीन गैस है तथा इसके दहन में एक रंगहीन लौ उत्पन्न होती है। अतः इसके रिसाव का पता लगाने के लिये विशेष उपकरणों की आवश्यकता होती है।

स्रोत: द इंडियन एक्सप्रेस

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