हाइड्रो क्लोरो फ्लोरोकार्बन - 141b | 24 Jan 2020
प्रीलिम्स के लिये:
हाइड्रो क्लोरो फ्लोरो कार्बन - 141b मेन्स के लिये:फेज आउट मैनेजमेंट प्लान तथा इसके लाभ |
चर्चा में क्यों?
भारत द्वारा 1जनवरी, 2020 तक फोम विनिर्माण उद्यमों में उपयोग में लाये जाने वाले हाइड्रो क्लोरो फ्लोरो कार्बन [Hydro Chloro Fluoro Carbon (HCFC)] -141b नामक रसायन के प्रयोग को चरणबद्ध तरीके से हटा लिया गया है।
मुख्य बिंदु:
- पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (Ministry of Environment, Forest and Climate Change- MoEFCC) द्वारा 31 दिसंबर 2019 को, पर्यावरण के अनुकूल प्रौद्योगिकियों को बढ़ावा देने के लिये भारत के राजपत्र में एक अधिसूचना जारी की गई।
- इस अधिसूचना के द्वारा पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम, 1986 (Environment (Protection) Act, 1986) के अंतर्गत स्थापित किये गए ओज़ोन क्षयकारी पदार्थ (विनियमन और नियंत्रण) संशोधन नियम, 2019 (Ozone Depleting Substances (Regulation and Control) Amendment Rules, 2019) के तहत HCFC-141b के आयात संबंधी लाइसेंस प्रदान करने पर प्रतिबंध लगाया गया है।
- HCFC-141b का उपयोग फोम निर्माण उद्यमों में किया जाता है जो क्लोरो फ्लोरो कार्बन (CFCs) के बाद सबसे शक्तिशाली ओज़ोन क्षयकारी रासायनिक में से एक है।
- HCFC -141b मुख्य रूप से कठोर पॉलीयूरेथेन (Polyurethane) फोम के उत्पादन में एक ब्लोइंग एजेंट (Blowing Agent) के रूप में कार्य करता है।
- देश में HCFC-141b का उत्पादन नहीं किया जाता है इसलिये सभी घरेलू आवश्यकताओं को पूरा करने के लिये इसका आयत किया जाता है।
- हाइड्रो फ्लोरो कार्बन फेज़ आउट मैनेजमेंट प्लान (Hydro Chloro Phluro Phase Out Management Plan- HPMP) द्वारा प्रौद्योगिकी रूपांतरण परियोजनाओं की सहायता से देश में वर्ष 2009 -2010 तक बेसलाइन स्तर से HCFC 141-b की लगभग 7800 मीट्रिक टन मात्रा को हटा दिया गया है।
इस कदम की आवश्यकता क्यों?
- भारत द्वारा ओज़ोन परत क्षयकारी तत्त्वों (Ozone Depleting Substances-ODS) को चरणबद्ध तरीके से कम करने तथा पर्यावरण के अनुकूल और ऊर्जा कुशल प्रौद्योगिकियों को अपनाने के लिये यह कदम उठाया गया है।
- देश में लगभग 50% ओज़ोन क्षयकारी रसायनों का उत्सर्जन फोम सेक्टर में प्रयुक्त होने वाले HCFC-141 b के कारण होता था।
- मंत्रालय द्वारा HPMP के तहत गैर-ओजोन क्षयकारी पदार्थ (NON-ODS) और निम्न ग्लोबल वार्मिंग पोटेंशियल (Global warming potential- GWP) प्रौद्योगिकियों में तकनीकी और वित्तीय सहायता प्रदान करने के लिये फोम विनिर्माण उद्यमों से जुड़ने के लिये यह समग्र दृष्टिकोण अपनाया गया ।
- HPMP के तहत लगभग 175 फोम विनिर्माण उद्यमों को कवर किया गया है, जिनमें से 163 उद्यम HPMP के द्वितीय चरण के तहत आते हैं।
फोम सेक्टर:
- फोम सेक्टर के अंतर्गत मुख्य रूप से कोल्ड स्टोरेज इमारतें, कोल्ड चेन इंफ्रास्ट्रक्चर (cold chain infrastructure) , ऑटोमोबाइल, कमर्शियल रेफ्रिजरेशन (commercial refrigeration), वॉटर गीज़र (water geysers), थर्मो वेयर(thermo ware), ऑफिस और घरेलू फर्नीचर एप्लीकेशन, विशिष्ट उच्च मूल्य वाले घरेलू उपकरणों से संबंधित महत्त्वपूर्ण आर्थिक क्षेत्रों को शामिल किया जाता है।
- मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल के अनुच्छेद-5 के तहत (विकासशील देशों) फोम सेक्टर में HCFC141b के प्रयोग को फेज़ आउट मैनेजमेंट प्लान में सबसे उपर रखा गया है।
HCFC-141b के फेज आउट मैनेजमेंट प्लान के लाभ-
- HPMP समताप मंडल में ओज़ोन परत के क्षरण को रोकने में सहायक होगा।
- फोम विनिर्माण उद्यमों में प्रयुक्त तकनीकी जो जलवायु परिवर्तन के कारण ग्लोबल वार्मिंग को बढ़ाती है, HPMP द्वारा कम हो जाने से मददगार साबित होगी।
मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल (1987):
यह प्रोटोकॉल ओज़ोन क्षयकारी पदार्थों पर एक अंतर्राष्ट्रीय संधि है जो ओज़ोन परत के संरक्षण के लिये चरणबद्ध ढंग से ऐसे पदार्थों के उत्सर्जन को रोकने के लिये लागू की गई है।