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हैदराबाद शहर की संपूर्ण छत-आधारित सौर क्षमता के दोहन की योजना

  • 13 Apr 2018
  • 4 min read

चर्चा में क्यों ?

हाल ही में हैदराबाद में हुए एक हालिया अध्ययन में यह अनुमान लगाया गया है कि शहर की कुल छत-आधारित सौर क्षमता (Rooftop Solar potential) के समुचित दोहन द्वारा वहाँ की ऊर्जा आवश्यकता में लगभग 15 प्रतिशत की कमी लाई जा सकती है।

प्रमुख बिंदु

  • ध्ययन के अनुसार शहर की कुल छत-आधारित  सौर क्षमता 1,730 MW है जिसमें से 1,193 MW उत्पादन रिहायशी क्षेत्रों से किया जा सकता है।
  • यह अध्ययन ग्रेटर हैदराबाद नगर निगम के अंतर्गत आने वाले 18 सर्किलों में किया गया।
  • रिहायशी क्षेत्र के अलावा लगभग 178 MW ऊर्जा का उत्पादन सार्वजनिक और अर्द्ध-सार्वजनिक उपयोग वाले क्षेत्रों से किया जा सकता है। ऐसे क्षेत्रों में उस्मानिया विश्वविद्यालय प्रांगण, हैदराबाद मेट्रो रेल स्टेशन एवं अन्य रेलवे स्टेशन, बस डिपो, एयरपोर्ट शामिल हैं।
  • अध्ययन में यह बात भी सामने आई कि सौर ऊर्जा से संबंधित मौज़ूदा नीतियों के बावजूद छत सौर ऊर्जा की स्थिति निराशाजनक है।
  • यह अध्ययन ग्रीनपीस इंडिया और गुजरात एनर्जी रिसर्च एंड मैनेजमेंट इंस्टीट्यूट द्वारा संयुक्त रूप से किया गया।
  • ध्यातव्य है कि सरकार ने 2022 तक 100 गीगावॉट सौर ऊर्जा उत्पादन का लक्ष्य निर्धारित किया है, जिसमें से 40 गीगावॉट सौर ऊर्जा छत पर लगने वाले सौर ऊर्जा पैनलों को लगाकर प्राप्त करने का लक्ष्य है।

छत पर लगे सौर ऊर्जा पैनलों के लाभ 

  • बड़े पैमाने पर सौर ऊर्जा उत्पादन संयंत्रों के विपरीत, इसे इमारतों की छतों पर आसानी से स्थापित किया जा सकता है। 
  • यह कंपनियों और आवासीय क्षेत्रों को ग्रिड द्वारा प्रदान की गई बिजली के स्रोत का विकल्प प्रदान करता है। 
  • इसका मुख्य लाभ पर्यावरण की दृष्टि से है, क्योंकि इससे जीवाश्म-ईंधन से उत्पन्न ऊर्जा स्रोतों पर निर्भरता कम हो जाती है।  
  • छतों-आधारित सौर ऊर्जा उन जगहों पर ऊर्जा की आपूर्ति बढ़ा सकती है, जहाँ इसे स्थापित करना कठिन है।
  • इससे उन क्षेत्रों में भी बिजली उपलब्ध कराई जा सकती है जो अभी तक ग्रिड से जुड़े नहीं हैं या जहाँ विद्युत स्टेशनों एवं विद्युत लाइनों को स्थापित करना मुश्किल है।

इसे व्यापक रूप से क्यों नहीं अपनाया जा सका है ?

  • छत-आधारित सौर ऊर्जा के साथ प्रमुख समस्या आपूर्ति में परिवर्तनशीलता है।  
  • सौर पैनलों की दक्षता इस पर निर्भर करती है कि सूर्य का प्रकाश किस दिन कितना उज्ज्वल है।  
  • ये रात में ऊर्जा उत्पादन नहीं कर सकते हैं।
  • इनके रखरखाव से संबंधित खर्च अभी भी अधिक है जो इनके व्यापक प्रयोग में बाधा उत्पन्न करता है।
  • सोलर सैलों की दक्षता केवल 20-40 प्रतिशत है जो काफी कम है।   

समाधान क्या है ? 

  • इसका समाधान भंडारण क्षमता में वृद्धि से संभव है। 
  • सौर ऊर्जा की भंडारण तकनीक अभी भी अल्प विकसित है और भंडारण के तरीके महँगे हैं, फिर भी इस दिशा में प्रयास ज़ारी हैं।
  •  सरकार को सौर ऊर्जा से संबंधित शोधों को बढ़ावा देना चाहिये ताकि इसकी उत्पादन लागत में प्रभावी कमी लाई जा सके। 
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