मानव तस्करी एक चुनौतीपूर्ण मुद्दा | 22 Jun 2019
चर्चा में क्यों?
हाल ही में अमेरिकी विदेश विभाग ने तस्करी पर वर्ष 2019 की ट्रैफिकिंग इन पर्सन्स (Trafficking in Persons- TIP) रिपोर्ट जारी की जिसमें मानव तस्करी के खिलाफ की जाने वाली कार्रवाई की आवश्यकता पर बल दिया गया है।
- उल्लेखनीय है कि इस रिपोर्ट में भारत को तस्करी के पैमाने पर टियर 2 (Tier 2) में रखा गया है।
मानव तस्करी
संयुक्त राष्ट्र की परिभाषा के अनुसार, किसी व्यक्ति को डराकर, बलपूर्वक या उससे दोषपूर्ण तरीके से काम लेना, एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाना या बंधक बनाकर रखने जैसे कृत्य तस्करी की श्रेणी में आते हैं।
मानव तस्करी के कारण
- गरीबी और अशिक्षा (सबसे बड़ा कारण)
- मांग और आपूर्ति का सिद्धांत
- बंधुआ मज़दूरी
- देह व्यापार
- सामाजिक असमानता
- क्षेत्रीय लैंगिक असंतुलन
- बेहतर जीवन की लालसा
- सामाजिक सुरक्षा की चिंता
- महानगरों में घरेलू कामों के लिये भी होती है लड़कियों की तस्करी
- चाइल्ड पोर्नोग्राफी (Child Pornography) के लिये भी होती है बच्चों की तस्करी
रिपोर्ट के प्रमुख बिंदु
- रिपोर्ट के अनुसार, विश्व भर में लगभग 25 मिलियन वयस्क तथा बच्चे श्रम एवं यौन तस्करी से पीड़ित हैं।
- वर्ष 2019 की तस्करी रिपोर्ट में तस्करी की राष्ट्रीय प्रकृति पर प्रकाश डाला गया है जिसके अनुसार 77% मामलों में पीड़ितों को उनके देश की सीमाओं से बाहर ले जाने के बजाय देश के अंदर ही उनकी तस्करी की जाती है।
- पश्चिमी और मध्य यूरोप, मध्य-पूर्व और कुछ पूर्व एशियाई देशों को छोड़कर दुनिया के सभी क्षेत्रों में विदेशी तस्कर पीड़ितों की तुलना में घरेलू तस्कर पीड़ितों की संख्या ज़्यादा पाई गई है।
- अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (International Labour Organisation- ILO) के आँकड़ों के अनुसार, यौन तस्करी के मामले में शिकार लोगों की देश की सीमाओं से बाहर तस्करी होने की संभावना होती है, जबकि जबरन श्रम के शिकार लोगों की तस्करी सामान्यतः अपने ही देशों में की जाती है।
- 2000 में अधिनियमित अमेरिकी कानून, ‘तस्करी पीड़ित शिकार संरक्षण अधिनियम (Trafficking Victims Protection Act- TVPA)’ के आधार पर रिपोर्ट को तीन वर्गों (टियर1, टियर2 और टियर3) में विभाजित किया गया है।
- यह वर्गीकरण देश की तस्करी की समस्या के परिमाण पर आधारित न होकर मानव तस्करी के उन्मूलन के लिये न्यूनतम मानकों को पूरा करने के प्रयासों पर आधारित है।
- वर्गीकरण के आधार पर यू.एस. टियर 1 शामिल हैं।
तस्करी में भारत की स्थिति
- भारत को टियर 2 श्रेणी में रखा गया है।
- रिपोर्ट के अनुसार भारत सरकार तस्करी के उन्मूलन के लिये न्यूनतम मानकों को पूरी तरह से पूरा नहीं कर पाई है लेकिन उन्मूलन के लिये महत्त्वपूर्ण प्रयास कर रही है। हालाँकि पिछले रिपोर्ट की तुलना में इस बार भारत की स्थिति बेहतर है।
- रिपोर्ट में सरकार द्वारा तस्करी पर रोक लगाने के प्रयासों एवं विफलताओं दोनों पर प्रकाश डाला गया है।
- रिपोर्ट में आई जानकारी के बाद सरकार ने जबरन श्रम और यौन तस्करी के मामलों में कुछ कार्रवाई की है फिर भी सरकार द्वारा संचालित और सरकारी वित्त पोषित आश्रय घरों में जबरन श्रम और यौन तस्करी को रोकने में सरकार की विफलता एक गंभीर समस्या बनी हुई है।
- रिपोर्ट में भारत में तस्करी से संबंधित दंड संहिता की धारा 370 में संशोधन किये जाने की सिफारिश की गई है।
तस्करी से निपटने के प्रयास
- TIP रिपोर्ट के निष्कर्षों को देखते हुए वर्ष 2000 में पालेर्मो प्रोटोकॉल (Palermo Protocol) लाया किया गया जो तस्करी से निपटने के लिये एक अंतरराष्ट्रीय तंत्र है, वर्तमान में भी तस्करी से निपटने हेतु विभिन्न प्रयास किये जा रहे हैं।
- हालाँकि घरेलू तस्करी से निपटने के संदर्भ में तस्करों पर मुकदमा चलाने और बचे हुए लोगों की देखभाल करने के लिये कानूनी ढाँचा तैयार करने वाले देशों के संदर्भ में, विशेष रूप से और अधिक प्रयास करने की जरूरत है।
- घरेलू स्तर पर तस्करी से निपटने के लिये राजनीतिक प्रयासों के साथ-साथ स्थानीय निवासियों तथा अन्य क्षेत्रों में काम करने वाले लोगों का भी सहयोग लिया जा सकता है।