सामाजिक न्याय
मानव तस्करी मामले में तीव्र वृद्धि
- 13 Feb 2019
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चर्चा में क्यों?
हाल ही में गृह मंत्रालय द्वारा लोकसभा में प्रस्तुत किये गए आँकड़ों के अनुसार देश में मानव तस्करी के मामले में बहुत तीव्र वृद्धि दर्शाई गई है जिसमें पश्चिम बंगाल में पिछले तीन वर्षों में मानव तस्करी के मामले में दोगुनी वृद्धि पाई गई है।
- 2013 से 2016 के बीच देश में मानव तस्करी के मामलों की संख्या दोगुनी हो गई है।
- 2013 में राष्ट्रव्यापी मामलों की संख्या 3,940 थी जो 2014 में बढ़कर 5,235; 2015 में 7,143 और 2016 में 8,132 हो गई।
- इस बीच भारत में मानव तस्करी के मामलों में पश्चिम बंगाल का लगभग एक-तिहाई भाग लिप्त पाया गया।
- पिछले 4 वर्षों में देश भर में कुल 24,450 मामलों में से सबसे अधिक 8,115 मामले पश्चिम बंगाल में पाए गए। 3,278 मामलों के साथ दूसरे स्थान पर राजस्थान था।
- 2016 में 8,132 मामलों में से अकेले पश्चिम बंगाल राज्य में 3,579 (44%), राजस्थान में 1,422 मामले पाए गए थे।
मानव तस्करी क्या है?
संयुक्त राष्ट्र की परिभाषा के अनुसार, किसी व्यक्ति को डराकर, बलपूर्वक या उससे दोषपूर्ण तरीके से काम लेना, एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाना या बंधक बनाकर रखने जैसे कृत्य तस्करी की श्रेणी में आते हैं।
मानव तस्करी के कारण
- गरीबी और अशिक्षा (सबसे बड़ा कारण)
- मांग और आपूर्ति का सिद्धांत
- बंधुआ मज़दूरी
- देह व्यापार
- सामाजिक असमानता
- क्षेत्रीय लैंगिक असंतुलन
- बेहतर जीवन की लालसा
- सामाजिक सुरक्षा की चिंता
- महानगरों में घरेलू कामों के लिये भी होती है लड़कियों की तस्करी
- चाइल्ड पोर्नोग्राफी के लिये भी होती है बच्चों की तस्करी
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स्रोत – द हिंदू