नोएडा शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 9 दिसंबर से शुरू:   अभी कॉल करें
ध्यान दें:

डेली अपडेट्स


जैव विविधता और पर्यावरण

मानवीय गतिविधियाँ, वन्यजीवन के लिये खतरा (man-animal conflict)

  • 31 Oct 2018
  • 3 min read

संदर्भ

हाल ही में WWF ने अपनी लिविंग प्लैनेट रिपोर्ट 2018 जारी की है। इस रिपोर्ट में वन्यजीवन पर मानवीय गतिविधियों के भयानक प्रभाव की चर्चा की गई है। रिपोर्ट में यह खुलासा किया गया है कि 1970 के बाद मानवीय गतिविधियों की वज़ह से वन्यजीवों की आबादी में 60 प्रतिशत तथा वेटलैंड्स में 87 प्रतिशत की कमी आई है।

महत्त्वपूर्ण बिंदु

  • यह रिपोर्ट वन्यजीवन, जंगलों, महासागरों, नदियों और जलवायु पर मानवीय गतिविधियों के प्रभाव की भयावह तस्वीर चित्रित करती है।

  • रिपोर्ट के इस संस्करण में मृदा जैव विविधता का खंड नया है। वैश्विक मृदा जैव विविधता पर गंभीर खतरा मंडरा रहा है। वेटलैंड्स का गायब होना भारत के लिये गंभीर चिंता का विषय है।

  • इस रिपोर्ट में प्राकृतिक आवास का ह्रास या कमी, संसाधनों का अत्यधिक दोहन, जलवायु परिवर्तन, प्रदूषण एवं आक्रामक प्रजातियों से होने वाले खतरों को भी सूचीबद्ध किया गया है।
  • विशेष रूप से यह कृषि और वनों की कटाई के द्वारा प्रकृति के अत्यधिक दोहन को इंगित करता है।
  • WWF-इंडिया के अनुसार, दुनिया भर में 4,000 से अधिक प्रजातियों की निगरानी की गई जिसमें 1970 से 2014 के बीच 60 प्रतिशत की गिरावट देखी गई है।
  • इस रिपोर्ट में, विशेष रूप से कशेरुकी प्रजातियों की निगरानी के आँकड़े थे। जिसे स्तनधारियों, पक्षियों, मछली, सरीसृपों और उभयचरों की लगभग 22,000 से अधिक जनसंख्या की जानकारी वाले डेटाबेस से लिया गया था।
  • WWF-इंडिया ने मृदा पारिस्थितिकी, भूमि क्षरण, आर्द्रभूमि और परागण करने वाले जीवों जैसे- मधुमक्खी पर मंडराते गंभीर खतरे की ओर भी इशारा किया है। गौरतलब है कि मधुमक्खी जैसे जीवों का मानव स्वास्थ्य और खाद्य सुरक्षा पर प्रत्यक्ष प्रभाव होता है।
  • ‘अग्रणी वैश्विक खाद्य फसलों’ में 75 प्रतिशत से अधिक फसलें परागण करने वाले जीवों पर निर्भर रहती हैं।
  • आर्थिक नजरिये से, परागण फसल उत्पादन के वैश्विक मूल्य में 237-577 बिलियन डॉलर प्रति वर्ष की बढ़ोतरी करता है।

निष्कर्ष

निश्चित रूप से वन्यजीव संरक्षण बेहद महत्त्वपूर्ण ही नहीं बल्कि एक पर्यावरणीय अनिवार्यता भी है, लेकिन यह भी सच है कि कम होते जा रहे जंगल अब वन्यजीवों को पूर्ण आवास प्रदान करने के लिये पर्याप्त नहीं हैं। अतः ऐसी नीतियाँ बनाने की ज़रूरत है, जिससे मनुष्य व वन्यजीव दोनों की ही सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।

स्रोत- इंडियन एक्सप्रेस

close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2
× Snow