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शासन व्यवस्था

जम्मू-कश्मीर में परीक्षण के आधार पर इंटरनेट बहाली

  • 12 Aug 2020
  • 7 min read

प्रिलिम्स के लिये

अनुच्छेद 370 तथा अन्य संबंधित प्रावधान

मेन्स के लिये 

इंटरनेट शटडाउन और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता से संबंधित मुद्दे 

चर्चा में क्यों?

जम्मू-कश्मीर में 4G इंटरनेट सेवाओं की बहाली को लेकर सर्वोच्च न्यायालय द्वारा गठित विशेष समिति ने सुरक्षा स्थिति पर प्रभाव का आकलन करने के लिये एक विशिष्ट सीमित क्षेत्र में परीक्षण के आधार पर उच्च गति इंटरनेट शुरू करने की सिफारिश की है।

प्रमुख बिंदु

  • शुरुआत के तौर पर समिति ने 15 अगस्त के बाद जम्मू और कश्मीर डिवीज़न के एक-एक ज़िले में उच्च गति के इंटरनेट की बहाली की सिफारिश की है।

जम्मू-कश्मीर में 4G निलंबन

  • बीते वर्ष 5 अगस्त के ही दिन केंद्र सरकार ने एक ऐतिहासिक निर्णय लेते हुए जम्मू-कश्मीर राज्य से संविधान का अनुच्छेद 370 हटाकर राज्य का विभाजन दो केंद्रशासित क्षेत्रों- जम्मू-कश्मीर एवं लद्दाख के रूप में कर दिया था। 
  • इसी के साथ जम्मू-कश्मीर का अलग संविधान रद्द हो गया था और वहाँ भारतीय संविधान लागू हो गया था। वहीं जम्मू-कश्मीर के अलग झंडे की अवधारणा भी समाप्त हो गई।
  • साथ ही क्षेत्र विशिष्ट में इंटरनेट सेवाएँ भी पूरी तरह से बंद कर दी गई थीं और हज़ारों की संख्या में लोगों को हिरासत में ले लिया गया था।
  • इंटरनेट सेवाओं को बंद करते हुए सरकार ने तर्क दिया था कि इस निर्णय का उद्देश्य अनुच्छेद 370 हटने के बाद घाटी में होने वाली हिंसा को रोकना है।

समिति की सिफारिशें 

  • समिति के अनुसार, 4G इंटरनेट सेवाओं की बहाली से आंतरिक सुरक्षा पर पड़ने वाले प्रभाव का आकलन करने हेतु जम्मू-कश्मीर के कुछ हिस्सों को परीक्षण के आधार पर अंशांकित (Calibrated) तरीके से उच्च गति इंटरनेट तक पहुँच प्रदान की जा सकती है।
  • समिति की सिफारिशों के मुताबिक जम्मू और कश्मीर डिविज़न के एक-एक ज़िले में इंटरनेट को बहाल किया जा सकता है।
  • हालाँकि इन ज़िलों का चयन करते समय यह ध्यान रखा जाएगा कि वे अंतर्राष्ट्रीय सीमा या नियंत्रण रेखा से दूर हों, और इनमें आतंकवादी गतिविधियों की तीव्रता कम हो।
  • इसके अलावा राज्य स्तरीय समिति द्वारा 4G इंटरनेट से संबंधित इस परीक्षण का समय-समय पर मूल्यांकन भी किया जाएगा।
  • साथ ही केंद्रीय समिति दो माह की अवधि के पश्चात् अथवा उससे पूर्व ही परीक्षण के परिणामों की समीक्षा करेगी।
  • खतरे की स्थिति को मद्देनज़र रखते हुए ये नियम 15 अगस्त, 2020 के बाद लागू होंगे।

प्रतिबंध हटाने का प्रभाव

  • ध्यातव्य है कि वर्तमान समय में अधिकांश वाणिज्यिक गतिविधियाँ उच्च गति इंटरनेट पर निर्भर करती हैं।
  • 4G इंटरनेट सेवाओं को बहाल करने से क्षेत्र के लोग ई-कॉमर्स जैसी सुविधाओं का लाभ उठा सकेंगे और साथ ही GST तथा आयकर रिटर्न भी दाखिल कर सकेंगे।
  • इसके माध्यम से स्थानीय राजस्व में भी बढ़ोतरी करने में भी मदद मिल सकेगी।

इंटरनेट शटडाउन का मुद्दा

  • सरल शब्दों में कहें तो समय की एक निश्चित अवधि के लिये सरकार द्वारा एक या एक से अधिक इलाकों में इंटरनेट पर पहुँच को अक्षम करना’ इंटरनेट शटडाउन कहलाता है।
  • इंटरनेट शटडाउन की इस परिभाषा से मुख्यतः दो घटक सामने आते हैं, पहला यह कि इंटरनेट शटडाउन हमेशा सरकार द्वारा किया जाता है। इंटरनेट सेवा प्रदाताओं को किसी क्षेत्र विशेष में इंटरनेट सेवाओं को बंद करने का आदेश सरकार की एक निश्चित एजेंसी द्वारा दिया जाता है।
  • दूसरा यह कि इंटरनेट शटडाउन सदैव किसी विशेष क्षेत्र में लागू किया जाता है, जहाँ एक क्षेत्र विशेष के सभी लोग इंटरनेट का प्रयोग नहीं कर पाते हैं। साथ ही यह एक निश्चित अवधि के लिये ही लागू किया जा सकता है, न कि सदैव के लिये।
  • इंटरनेट स्वतंत्रता के क्षेत्र में कार्य करने वाली संस्थाओं द्वारा एकत्रित आँकड़ों के अनुसार, वर्ष 2014 से वर्ष 2019 के बीच देश भर के तमाम क्षेत्रों में तकरीबन 419 बार इंटरनेट शटडाउन देखा गया।
  • वर्ष 2019 में भारत में कुल 106 बार इंटरनेट शटडाउन दर्ज किया गया, जिसमें से 56 प्रतिशत तो जम्मू-कश्मीर में ही था।
  • जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 के निरसन के बाद से अब लगभग एक वर्ष बीत चुका हैं, परंतु अब तक यहाँ इंटरनेट की सेवाएँ पूरी तरह से बहाल नहीं की गई हैं।

इंटरनेट शटडाउन: पक्ष

  • कुछ मौकों पर इंटरनेट शटडाउन को लेकर सरकार का यह फैसला सही भी नज़र आता है। इतिहास में ऐसी कई घटनाएँ याद की जा सकती हैं, जहाँ यदि सरकार द्वारा सही समय पर इंटरनेट बंद का निर्णय नहीं लिया गया तो संभवतः हिंसा और भी विकराल हो सकती थी।
  • धार्मिक समूहों में अफवाह के कारण टकराव की संभावना को टालने के लिये भी ऐसा करना अनिवार्य प्रतीत होता है।

इंटरनेट शटडाउन: विपक्ष

  • विशेषज्ञों के अनुसार, इंटरनेट पर रोक लगाने से देश को आर्थिक नुकसान तो होता ही है, साथ ही इससे देश के नागरिकों की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार भी खतरे में आ जाता है।
  • यह समय का वह दौर है, जब व्यावसायिक से लेकर निजी रिश्ते तक डिजिटल कम्युनिकेशन पर निर्भर करते हैं। ऐसे में इंटरनेट बंद होना न सिर्फ असुविधा का कारण बनता है, बल्कि बहुत से मौकों पर सुरक्षा को खतरे में डालने वाला भी साबित हो सकता है।
  • साथ ही प्रदेश में 4G इंटरनेट पर प्रतिबंध के कारण बच्चों की ऑनलाइन शिक्षा काफी हद तक प्रभावित हो रही है।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

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