कितना आवश्यक है वित्त वर्ष में बदलाव | 25 Apr 2017
समाचारों में क्यों?
केंद्रीय बजट पेश करने की तारीख को कुछ माह आगे करने के उपरान्त केंद्र सरकार ने अब राज्य सरकारों से कहा है कि वे अपने वित्त वर्ष को जनवरी से दिसंबर के चक्र में तब्दील करने पर विचार करें। ऐसा करने पर एक बार फिर बजट पेश करने की तारीख बदलनी होगी। सरकार का मानना है कि भारत जैसे देश में जहाँ कृषिगत आय अत्यंत अहम है वहाँ बजट को वर्ष की कृषि संबंधी आय के निर्धारण के तत्काल बाद तैयार किया जाना चाहिये।
ज्ञात हो कि वित्त वर्ष में बदलाव की मांग वर्षों से चली आ रही है। इस संबंध में आवश्यक उपाय सुझाने के लिये सन 1970 के दशक के अंत में और 1980 के दशक के आरंभ में सरकार ने एल. के. झा. के अधीन एक समिति गठित की थी।
क्या होगा प्रभाव?
गौरतलब है कि वर्तमान वित्त वर्ष को बदलने के पीछे सबसे बड़ी दलील यह दी जा रही है कि यह कृषि कार्यों के अनुकूल नहीं है और इसके तहत मानसूनी बारिश के असर को पूरी तरह ध्यान में रखना संभव नहीं होता है।
देश की जीडीपी का लगभग 15 फीसदी हिस्सा कृषि से आता है और लगभग 58 फीसदी परिवारों की जीविका कृषि पर निर्भर है। चूँकि अक्सर किसी न किसी राज्य में जून-सितंबर के बीच सूखे की स्थिति रहती है, ऐसे में जनवरी से वित्त वर्ष शुरू होने से कृषिगत आवंटन करने में मदद मिलेगी, क्योंकि फिर बजट की तारीख और पहले आ जाएगी।
ध्यातव्य है कि विकसित देशों समेत दुनिया के अधिकांश मुल्कों में कैलेंडर वर्ष ही वित्त वर्ष है। वैश्विक स्तर पर 156 देश जनवरी-दिसंबर को ही अपना वित्त वर्ष मानते हैं और उसी के अनुरूप वित्तीय योजनाएँ बनाते हैं। यहाँ तक कि विश्व बैंक और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष जैसे शीर्ष संगठन भी इसी व्यवस्था को अपनाते हैं।
निष्कर्ष
यदि भारत इस व्यवस्था को अपनाता है तो वैश्विक वित्तीय संगठनों को दो तरह की व्यवस्थाओं से नहीं जूझना होगा। इससे भारत और उनके बीच बेहतर तालमेल होगा।
हालाँकि कैलेंडर वर्ष को वित्त वर्ष बनाने से सभी स्तर पर कई तरह के बदलाव करने होंगे। बजट की तारीख बदलने के अलावा कर निर्धारण वर्ष और कर संरचना में परिवर्तन करना होगा। संसद के सत्र में भी बदलाव करना पड़ सकता है।
जैसा कि हम जानते हैं कि सरकार इस साल जीएसटी लागू करने जा रही है, ऐसे में अगर वित्त वर्ष में बदलाव किया जाता है तो कंपनियों को अपने स्तर पर कई तरह के बदलाव करने पड़ सकते हैं। इससे उनकी परेशानी बढ़ सकती है। इस पर काफी समय और शक्ति जाया हो सकती है।