चिकित्सा क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार | 15 Oct 2019
प्रीलिम्स के लिये:
नोबल पुरस्कार, विश्व डोपिंग रोधी संस्था से संबंधित तथ्य
मेन्स के लिये:
डोपिंग से संबंधित मुद्दे और खेल नैतिकता
चर्चा में क्यों
अमेरिकी वैज्ञानिक विलियम जी. कैलिन, ग्रेग सेमेंजा और ब्रिटेन के पीटर जे. रैटक्लिफ को वर्ष 2019 के चिकित्सा क्षेत्र के नोबेल पुरस्कार के लिये चुना गया है।
प्रमुख बिंदु:
- यह पुरस्कार कोशिकाओं द्वारा शरीर में ऑक्सीजन की उपलब्धता के अनुसार अनुकूलित होने की प्रक्रिया पर अनुसंधान हेतु दिया गया है।
- तीनों वैज्ञानिकों ने उस आनुवंशिक प्रक्रिया के बारे में बताया जो कोशिकाओं को ऑक्सीजन के विभिन्न स्तरों पर प्रतिक्रिया करने की अनुमति देती है।
- गर्दन में बड़ी रक्त वाहिकाओं के बगल में मौजूद विशिष्ट कोशिकाएँ रक्त में ऑक्सीजन स्तर को महसूस करती हैं और मस्तिष्क को सतर्क करती हैं कि जब रक्त में ऑक्सीजन का स्तर कम हो तो वह श्वसन की दर को बढ़ाने हेतु आदेश दे। इस खोज को पहले ही 1938 में नोबेल पुरस्कार मिल चुका है।
- पिछली शताब्दी की शुरुआत में वैज्ञानिकों को पता था कि गुर्दे में मौजूद विशेष कोशिकाएँ एरिथ्रोपोइटिन नामक एक हार्मोन को उत्पादित और स्त्रावित करती हैं। ऊँचाई में जाने पर जब शरीर में ऑक्सीजन का स्तर कम होता है तो कोशिकाओं द्वारा इस हार्मोन का उत्पादन और स्त्रावण अधिक मात्रा में किया जाता है, जिससे अस्थि मज्जा में लाल रक्त कोशिकाओं के उत्पादन में वृद्धि होती है तथा शरीर को अधिक ऊँचाई हेतु अनुकूलित होने में मदद मिलती है।
- लाल रक्त कोशिकाओं को बढ़ाने के अलावा यह हार्मोन शरीर में रक्त की आपूर्ति बढ़ाने के लिये नई रक्त वाहिकाओं में भी वृद्धि करता है।
शोध संबंधी महत्त्वपूर्ण बिंदु :
- प्रो. ग्रेग सेमेंजा और सर रैटक्लिफ ने शोध किया कि किस प्रकार विभिन्न ऑक्सीजन स्तरों द्वारा एरिथ्रोपोइटिन (Erythropoitin) जीन को नियंत्रित किया जाता है।
- शोध के अनुसार, ऑक्सीजन संवेदी तंत्र केवल एरिथ्रोपोइटिन उत्सर्जित करने वाले गुर्दों तक ही सीमित नहीं है बल्कि यह अन्य ऊतकों की कोशिकाओं द्वारा भी नियंत्रित होता है।
- प्रो.सेमेंज़ा द्वारा एक जीन के जोड़े की पहचान की गई है, जो 2 प्रोटीनों को मुक्त करता है। इन प्रोटीनों में एक hif-1alpha है, जो ऑक्सीजन स्तर कम होने की स्थिति में एरिथ्रोपोइटिन हॉर्मोन के उत्पादन को बढ़ाने हेतु एरिथ्रोपोइटिन जीन सहित कुछ अन्य जीनों को सक्रिय कर देता है। हॉर्मोन के सक्रिय होते ही लाल रक्त कोशिकाओं के उत्पादन में वृद्धि कर ऑक्सीजन स्तर को बढ़ा देता है।
- प्रो.कैलिन “वॉन हिप्पेल-लिंडौ” (Von Hippel Lindau-VHL) नामक एक वंशानुगत बीमारी पर अध्ययन कर रहे थे, जिसमें उन्होंने पाया कि कोशिकाएँ, ऑक्सीजन के प्रति जो भी प्रतिक्रिया देती हैं, उसमें VHL जीन शामिल होता है।
- HIF-1alpha प्रोटीन, जो अधिक एरिथ्रोपोइटिन का उत्पादन करने के लिये जीन को सक्रिय करता है, ऑक्सीजन स्तर के सामान्य होने पर अवरुद्ध हो जाता है, लेकिन ऑक्सीजन का स्तर गिरते ही यह पुनः अपना कार्य शुरू कर देता है।
- सर रैटक्लिफ ने पाया कि VHL, HIF-1alpha प्रोटीन के साथ संपर्क करता है और ऑक्सीजन स्तर सामान्य होने पर इससे संपर्क तोड़ देता है। इसी कारण ऑक्सीजन स्तर सामान्य होने पर अतिरिक्त लाल रक्त कोशिकाओं का उत्पादन नहीं होता है।
शोध के अनुप्रयोग:
- जीव-जंतुओं के जीवन हेतु ऑक्सीजन अत्यंत आवश्यक है। इसके अतिरिक्त भोजन को उपयोगी ऊर्जा में बदलने के लिये भी माइट्रोकॉन्ड्रिया द्वारा ऑक्सीजन का ही उपयोग किया जाता है।
- ऑक्सीजन कोशिकाओं के अस्तित्व के लिये भी आवश्यक है, ऑक्सीजन कीअधिक या बहुत कम मात्रा प्रतिकूल स्वास्थ्य परिणाम पैदा कर सकती है।
- गहन व्यायाम के दौरान ऑक्सीजन की आपूर्ति मांसपेशियों में अस्थायी रूप से कम हो जाती है और ऐसी स्थितियों में कोशिकाएँ अपने चयापचय को कम ऑक्सीजन स्तर तक अनुकूलित करती हैं।
- भ्रूण और प्लेसेंटा की उचित वृद्धि कोशिकाओं की ऑक्सीजन को प्रबंधित करने की क्षमता पर निर्भर करती है।
- ऑक्सीजन संवेदी तंत्र के संबंध में अनुसंधान को बढ़ावा देकर कई बीमारियों का उपचार किया जा सकता है।
एरिथ्रोपोइटिन (Erythropoitin) क्या है?
- एरिथ्रोपोइटिन, जिसे हेमेटोपोइटिन (Hematopoietin) या हेमोपोइटिन (Hemopoietin) कहा जाता है, मुख्य रूप से गुर्दे की कोशिकाओं द्वारा उत्पादित हॉर्मोन है जो लाल रक्त कोशिकाओं के उत्पादन को बढ़ाने में सहायता करता है।
- क्रोनिक किडनी रोग के कारण रक्ताल्पता (Anaemia) के शिकार लोगों में एरिथ्रोपोइटिन का उपयोग रक्त में ऑक्सीजन का स्तर बढ़ाने हेतु किया जाता है।
- एथलीट्स के लिये एरिथ्रोपोइटिन का प्रयोग विश्व डोपिंग रोधी संस्था (World Anti Doping Agency-WADA) द्वारा प्रतिबंधित है।
वॉन हिप्पेल-लिंडौ (Von Hippel Lindau-VHL) सिंड्रोम:
- VHL एक वंशानुगत विकार है जिससे शरीर के अलग-अलग हिस्सों में ट्यूमर या अल्सर हो जाता है।
विश्व डोपिंग रोधी संस्था
(World Anti Doping Agency- WADA):
- विश्व डोपिंग रोधी एजेंसी की स्थापना वर्ष 1999 में स्विट्ज़रलैंड के लुसेन शहर में की गई थी।
- वैज्ञानिक अनुसंधान, शिक्षा, डोपिंग रोधी क्षमता का विकास और विश्व एंटी-डोपिंग कोड की निगरानी, सभी खेलों तथा देशों में डोपिंग विरोधी नीतियों में सामंजस्य रखना इसका प्रमुख काम है।