विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी
चंद्रयान -2 (मून मिशन)
- 13 Jul 2019
- 7 min read
चर्चा में क्यों?
भारत के महत्त्वाकांक्षी अभियान चंद्रयान- 2 (Chandrayaan- 2) मिशन के चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर लैंड करने की तैयारी लगभग पूरी हो चुकी है। 15, जुलाई 2019 को इसे इसरो द्वारा प्रक्षेपित किया जाएगा।
लक्ष्य
- 53 से 54 दिन के सफर के पश्चात् (6 या 7 सितंबर को) यह चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरेगा।
- चंद्रयान-2 की सफल लैंडिंग के साथ ही भारत चंद्रमा की सतह पर पहुँचने वाला दुनिया का चौथा देश बन जाएगा।
- दक्षिणी ध्रुव पर पानी मिलने की संभावना सबसे अधिक है, इस मिशन के तहत चंद्रमा की सतह पर पानी की मौजूदगी का पता लगाया जाएगा।
चंद्रयान- 2
Chandrayaan-2
- चंद्रयान-2 अभियान को श्रीहरिकोटा से प्रक्षेपित किया जाएगा।
- यह (चंद्रमा के लिये भारत का दूसरा मिशन) पूरी तरह से स्वदेशी मिशन है।
- इस मिशन में तीन घटक ऑर्बिटर, लैंडर (विक्रम), रोवर (प्रज्ञान) को शामिल किया गया है।
- GSLV मार्क-3 चंद्रयान-2 आर्बिटर और लैंडर को धरती की कक्षा में स्थापित करेगा, जिसके बाद उसे चंद्रमा की कक्षा में पहुँचाया जाएगा।
- चंद्रयान-2 के चंद्रमा की कक्षा में पहुँचने के बाद लैंडर चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग करेगा और रोवर को तैनात करेगा।
- रोवर पर लगाए गए उपकरण चंद्रमा की सतह का अवलोकन करेंगे और डेटा भेजेंगे, जो चंद्रमा की मिट्टी के विश्लेषण के लिये उपयोगी होगा।
प्रमुख बिंदु
- चंद्रयान 2 को भारत के सबसे शक्तिशाली रॉकेट GSLV मार्क- III द्वारा लॉन्च किया जाएगा।
- इस मिशन के साथ 13 पेलोड भेजे जाएंगे। इनमें से 8 पेलोड ऑर्बिटर में, 3 लैंडर में और 2 रोवर में रहेंगे।
- मिशन के तहत निम्नलिखित कार्यों पर विशेष ध्यान दिया जाएगा:
- चंद्रमा की सतह का नक्शा तैयार करना। इससे चंद्रमा के अस्तित्व एवं उसके विकास का पता लगाने में सहायता मिलेगी।
- चंद्रमा पर ही कुछ खनिजों जैसे- सोडियम, मैग्नीशियम, एल्यूमीनियम और सिलिकॉन का विश्लेषण किया जाएगा।
- सूरज की किरणों में मौजूद सोलर रेडिएशन की तीव्रता का पता लगाया जाएगा।
- चंद्रमा की सतह की हाई रेजोल्यूशन तस्वीरें ली जाएगी जिससे वह उपस्थित वस्तुओं का विस्तृत अध्ययन किया जा सकें।
- चंद्रमा की सतह पर चट्टान या गड्ढे को पहचानना ताकि लैंडर की सॉफ्ट लैंडिंग हो।
- दक्षिणी ध्रुव पर पानी की मौजूदगी और खनिजों का पता लगाना।
- ध्रुवीय क्षेत्र के गड्ढों में बर्फ के रूप में जमा पानी का पता लगाना।
- उल्लेखनीय है कि अब तक सिर्फ अमेरिका ने ही मनुष्य को चंद्रमा पर भेजा है। पूर्व सोवियत संघ तथा चीन के उपकरण चंद्रमा पर मौजूद हैं। इस साल अप्रैल में इज़राइल ने भी प्रयास किया था लेकिन असफल रहा।
इसलिये यदि यह मिशन सफल रहा तो भारत चंद्रमा पर कदम रखने वाला चौथा देश हो सकता है।
चंद्रमा का दक्षिणी ध्रुव
- यह दुनिया का पहला यान है जो चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर जा रहा है। इससे पहले चीन के चांग'ई-4 यान ने दक्षिणी ध्रुव से कुछ दूरी पर लैंडिंग की थी।
- हालाँकि अब तक यह क्षेत्र वैज्ञानिकों के लिये अनभिज्ञ है।
- चंद्रमा के अन्य हिस्सों की तुलना में यहाँ पर अधिक छाया होने के कारण इस क्षेत्र में बर्फ के रूप में पानी होने की संभावना अधिक है।
- यदि चंद्रयान-2 यहाँ पर बर्फ की खोज कर लेगा तो भविष्य में यहाँ मानव के रुकने लायक व्यवस्था करने की संभावनाएँ बढ़ जाएंगी। साथ ही यहाँ बेस कैम्प बनाए जा सकेंगे। साथ ही अंतरिक्ष में नई खोज का रास्ता खुलेगा।
GSLV मार्क- III
- चंद्रयान-2 के लिये चुना गया GSLV मार्क III इसरो द्वारा विकसित तीन-चरणों वाला भारत का सबसे शक्तिशाली प्रमोचक रॉकेट है। इसमें दो ठोस स्ट्रैप-ऑन (Solid Strap-Ons), एक क्रोड द्रव बूस्टर (Core Liquid Booster) और एक क्रायोजेनिक ऊपरी चरण (Cryogenic Upper Stage) शामिल है।
- GSLV मार्क III की विशेषताएँ
- ऊँचाई : 43.43 मीटर
- व्यास : 4.0 मीटर
- ताप कवच का व्यास : 5.0 मीटर
- चरणों की संख्या : 3
- उत्थापन द्रव्यमान : 640 टन
- GSLV मार्क III को भूतुल्यकालिक अंतरण कक्षा (Geosynchronous Transfer Orbit- GTO) में 4 टन श्रेणी के उपग्रहों या निम्न भू-कक्षा में लगभग 10 टन का वहन करने हेतु डिजाइन किया गया है। उल्लेखनीय है कि GSLV मार्क III की यह क्षमता GSLV मार्क II से लगभग दोगुनी है।
- GSLV मार्क III का प्रथम विकासात्मक प्रमोचन 05 जून, 2017 को किया गया था जिसके तहत GSLV मार्क III-D1 की सहायता से GSAT-19 उपग्रह को भूतुल्यकालिक अंतरण कक्षा में सफलतापूर्वक स्थापित किया गया था।
- उल्लेखनीय है कि GSLV मार्क III-D2 ने 14 नवंबर, 2018 को उच्च क्षमता वाले संचार उपग्रह GSAT-29 का सफलतापूर्वक प्रमोचन किया था।