रियाद पर हूती हमला | 02 Mar 2021
चर्चा में क्यों?
हाल ही में सऊदी अरब की राजधानी रियाद पर हूती विद्रोहियों द्वारा किये गए बैलिस्टिक मिसाइल हमले को सऊदी अरब के नेतृत्व वाले सैन्य गठबंधन द्वारा विफल कर दिया गया। उल्लेखनीय है कि सऊदी अरब के नेतृत्व वाला सैन्य गठबंधन पिछले एक वर्ष से यमन के साथ संघर्षरत है।
प्रमुख बिंदु
हालिया हमले के कारण:
- लाभ उठाने के लिये:
- हूती विद्रोही लगातार सफल होते जा रहे हैं, उनके विस्तार (विशेष रूप से सऊदी अरब की सीमा से लगे जॉफ प्रांत में) में अत्यधिक प्रगति हुई है।
- अब वे उत्तर में यमन सरकार के अंतिम गढ़ मारिब शहर पर हमला करने की योजना बना रहे हैं।
- ईरान का समर्थन:
- हूती विद्रोहियों द्वारा लिये जा रहे निर्णयों में ईरान शामिल होता है क्योंकि वह सऊदी अरब को यमन की अराजकता में उलझाए रखना चाहता है।
- ईरानी क्रांति के बाद पिछले 40 वर्षों से सऊदी अरब और ईरान एक-दूसरे के साथ छद्म युद्ध में संलग्न हैं। अब यमन इन संघर्ष पीड़ितों में से एक है।
पृष्ठभूमि:
- यमन संघर्ष:
- वर्ष 2014 से यमन बहुपक्षीय संघर्ष का सामना कर रहा है जिसमें स्थानीय, क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय अभिकर्त्ता शामिल हैं।
- लगभग 1,000 वर्षों तक यमन में एक राज्य पर शासन करने वाले हूती नामक ज़ैदी शिया मुसलमानों के एक समूह ने लंबे समय से प्रतीक्षित चुनावों को स्थगित करने और नए संविधान पर वार्ता स्थगन के राष्ट्रपति हादी के फैसले के खिलाफ व्यापक गुस्से का इज़हार किया।
- उन्होंने अपने गढ़ साडा प्रांत से राजधानी सना तक मार्च यानी प्रदर्शन किया और राष्ट्रपति के महल को घेर लिया, इस घटना में हादी को नज़रबंद कर लिया गया।
- सऊदी अरब द्वारा हस्तक्षेप:
- हूती विद्रोहियों के दक्षिण में प्रसार को जारी रखने तथा सरकार के अंतिम गढ़ अदन को जीतने की धमकी के बाद हादी के अनुरोध पर सऊदी अरब के नेतृत्व में एक सैन्य गठबंधन ने मार्च 2015 में विश्व के सबसे विकट राजनीतिक संकटों में से एक को रोकने के लिये यमन में हस्तक्षेप किया।
- संघर्ष विराम:
- यमन के हूती विद्रोहियों और यमन के राष्ट्रपति के प्रति वफादार सऊदी अरब के समर्थन वाले बलों ने वर्ष 2018 में संयुक्त राष्ट्र की मध्यस्थता वाले युद्धविराम समझौते पर सहमति व्यक्त की।
- हूती हमलों की पुनः शुरुआत:
- वर्ष 2019 में यमन के शिया हूती विद्रोहियों ने संघर्ष विराम समझौते का उल्लंघन कर सऊदी अरब में कच्चे तेल का उत्पादन करने वाली कंपनी अरामको पर हमला कर दिया।
चिंताएँ:
- यमन सामरिक रूप से अत्यंत महत्त्वपूर्ण है क्योंकि यह लाल सागर को अदन की खाड़ी से जोड़ने वाले एक जलडमरूमध्य पर स्थित है, जहाँ से विश्व के अधिकांश तेलवाहक जहाज़ गुज़रते हैं।
- इस देश में व्याप्त अस्थिरता के कारण उत्पन्न खतरे (जैसे कि अल कायदा अथवा IS से जुड़े हमले) पश्चिमी देशों के लिये चिंता का विषय है।
- संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा विद्रोहियों को आतंकवादियों की सूची से हटाने और छह वर्षों से जारी संघर्ष को समाप्त करने के प्रयासों के बावजूद राज्य पर हूती विद्रोहियों ने सीमा पार हमलों में वृद्धि की है।
- इस संघर्ष को शिया शासित ईरान और सुन्नी शासित सऊदी अरब के बीच एक क्षेत्रीय शक्ति संघर्ष के हिस्से के रूप में भी देखा जाता है।
भारत के हित:
- भारत की तेल सुरक्षा तथा इस क्षेत्र में रह रहे 8 मिलियन भारतीय प्रवासी जो भारत में प्रतिवर्ष 80 मिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक की धनराशि प्रेषित करते हैं, पर विचार किया जाए तो यमन में व्याप्त अस्थिरता भारत के लिये भी एक चुनौती है।
भारत द्वारा की गई पहलें:
- ऑपरेशन राहत:
- अप्रैल 2015 में 4000 से अधिक भारतीयों को यमन से सुरक्षित वापस लाने के लिये भारत ने व्यापक स्तर पर हवाई तथा समुद्री ऑपरेशन का संचालन किया।
- मानवीय सहायता:
- अतीत में भारत ने यमन को भोजन और चिकित्सा सहायता प्रदान की है तथा यमन के हज़ारों नागरिकों ने पिछले कुछ वर्षों के दौरान भारत में चिकित्सा उपचार का लाभ उठाया है।
- विभिन्न भारतीय संस्थानों में बड़ी संख्या में यमन के नागरिकों को शिक्षा की सुविधा प्रदान की जाती है।