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भारतीय अर्थव्यवस्था

घरेलू उपभोक्ता व्यय सर्वेक्षण

  • 25 Apr 2022
  • 5 min read

प्रिलिम्स के लिये:

घरेलू उपभोक्ता व्यय सर्वेक्षण, एनएसएसओ, एनएसओ

मेन्स के लिये:

घरेलू उपभोक्ता व्यय सर्वेक्षण आयोजित करने का महत्त्व 

चर्चा में क्यों? 

शीघ्र ही अखिल भारतीय घरेलू उपभोक्ता व्यय सर्वेक्षण (All-India Household Consumer Expenditure Survey) लंबे अंतराल के बाद इस वर्ष (2022) फिर से शुरू होने वाला है।

  • परिणामों में ग्रामीण और शहरी भागों के लिये अलग-अलग डेटा सेट तथा प्रत्येक राज्य एवं केंद्रशासित प्रदेश के लिये अलग-अलग खर्च का पैटर्न, साथ ही विभिन्न सामाजिक-आर्थिक समूह शामिल होंगे।

प्रमुख बिंदु 

 सरकार द्वारा सर्वेक्षण को बंद करने का कारण:

  • सरकार द्वारा "डेटा गुणवत्ता" (Data Quality) मुद्दों का हवाला देते हुए वर्ष 2017-18 में किये गए पिछले सर्वेक्षण के निष्कर्षों को बंद कर दिया था।
    • वर्ष 2019 में सरकार द्वारा उन रिपोर्टों को खारिज कर दिया गया था जिसमें उपभोक्ता खर्च में गिरावट को दर्शाते हुए प्रतिकूल परिणामों के कारण वर्ष 2017-18 के सर्वेक्षण के निष्कर्षों को रोक दिया गया था। 
  • यह भी देखा गया कि न केवल उपभोग पैटर्न के स्तरों में बल्कि वस्तुओं और सेवाओं के वास्तविक उत्पादन जैसे अन्य प्रशासनिक डेटा स्रोतों की तुलना में परिवर्तन की दिशा में भी अंतर में उल्लेखनीय वृद्धि हुई थी।
  • "विशेष रूप से परिवारों द्वारा स्वास्थ्य और शिक्षा के क्षेत्र में खपत के लिये सर्वेक्षण की क्षमता/संवेदनशीलता (Ability/Sensitivity) के बारे में चिंता व्यक्त की गई।

घरेलू उपभोक्ता खर्च सर्वेक्षण:

  • समय अंतराल:
    • यह एक पंचवर्षीय सर्वेक्षण है जिसे सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वन मंत्रालय के (Ministry of Statistics and Programme Implementation-MOSPI) के राष्ट्रीय प्रतिदर्श सर्वेक्षण कार्यालय (National Sample Survey Office-NSSO) द्वारा प्रकाशित किया जाता है।
  • क्षेत्र/विस्तार:
    • पूरे देश के शहरी तथा ग्रामीण क्षेत्रों से प्राप्त सूचना के आधार पर यह घरेलू स्तर पर होने वाले व्यय के पैटर्न को दर्शाता है।
  • सूचना प्रदाता:
    • माल (खाद्य और गैर-खाद्य) एवं सेवाओं पर औसत व्यय का पता चलता है।
    • प्राप्त आँकड़ों के आधार पर किसी परिवार द्वारा वस्तुओं (खाद्य एवं गैर-खाद्य) तथा सेवाओं पर किये जाने वाले औसत खर्च एवं मासिक प्रति व्यक्ति व्यय (Monthly Per Capita Expenditure-MPCE) का अनुमान लगाया जाता है।
  • सामान्य महत्त्व:
    • यह अर्थव्यवस्था की मांग की गतिशीलता की गणना करने में मदद करता है।
    • वस्तुओं और सेवाओं के बास्केट्स के संदर्भ में स्थानांतरण प्राथमिकताओं को समझने में मदद करता है, इस प्रकार वस्तुओं के उत्पादकों व सेवाओं के प्रदाताओं को संकेत प्रदान करता है।
    • विभिन्न स्तरों पर जीवन स्तर तथा विकास प्रवृत्तियों का आकलन करता है।
  • नीति निर्माताओं के लिये महत्त्व:
    • CES एक विश्लेषणात्मक और साथ ही एक पूर्वानुमान उपकरण है जो सरकार को आवश्यक हस्तक्षेपों व नीतियों हेतु योजना बनाने में मदद करता है।
    • संभावित संरचनात्मक विसंगतियों का पता लगाने और उन्हें संबोधित करने के लिये जो जनसंख्या के एक विशिष्ट सामाजिक-आर्थिक या क्षेत्रीय विभाजन में एक विशेष तरीके से बदलाव की मांग कर सकते हैं।. 
    • सकल घरेलू उत्पाद (GDP) और अन्य समष्टि-आर्थिक संकेतकों को पुन: आधार बनाना।

 स्रोत: द हिंदू 

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