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होटल वर्गीकरण मार्गदर्शन नियमों को सरल, पारदर्शी और समयबद्ध बनाने के लिये व्यवस्थित करना

  • 19 Jan 2018
  • 4 min read

चर्चा में क्यों?
हाल ही में भारत सरकार द्वारा होटल वर्गीकरण मार्गदर्शन नियमों को सरल, पारदर्शी और समयबद्ध बनाने के लिये नए दिशा-निर्देश जारी किये गए हैं। इन नए दिशा-निर्देशों के तहत बहुत से महत्त्वपूर्ण बदलाव किये गए हैं

महत्त्वपूर्ण बिंदु

  • शुल्कों के वर्गीकरण और भुगतान के लिये आवेदनों को केवल डिजिटल प्लेटफॉर्म के माध्यम से तैयार किया गया है।
  • साथ ही डाक द्वारा आवेदन करने और डिमांड ड्राफ्ट द्वारा शुल्कों के भुगतान विकल्पों को भी समाप्त कर दिया गया है। इससे मानवीय हस्तक्षेप के कारण होने वाले संभावित विलंब अथवा चालाकी को समाप्त करने में सहायता प्राप्त होगी।
  • इसी प्रकार किसी होटल की कमियों को दूर करने के लिये एक निश्चित समय-सीमा को निर्धारित किया गया है।
  • इसका कारण यह है कि इस प्रकार की कमियों को दूर करने हेतु वर्तमान प्रणाली में कोई निर्धारित समय-सीमा निर्धारित नहीं की गई थी।
  • जबकि, वर्तमान संशोधनों में तीन महीने की समय-सीमा को शामिल किया गया है। इसके अतिरिक्त इस मामले में किसी भी प्रकार के अधिकार को भी खत्म कर दिया गया है। इससे समयबद्ध अनुपालन और मामलों का शीघ्र निपटान सुनिश्चित होगा।
  • उक्त संशोधनों के अंतर्गत यह स्पष्ट किया गया है कि किसी भी अस्पष्टता को दूर करने के लिये शराब को बार से अलग होटल परिसर में शराब की दुकानों/शराब के भंडारों पर ‘शराब के साथ’ स्टार होटल श्रेणी में वर्गीकरण के लिये किसी प्रकार का कोई विचार नहीं किया जाएगा। 
  • सभी श्रेणियों के अंतर्गत सभी होटलों के लिये यह अनिवार्य कर दिया गया है कि वे अपनी वर्गीकरण स्थिति को स्वागत काउंटर पर स्पष्ट रूप से प्रदर्शित करें और ओपनिंग पेज पर एक अलग आईकॉन के रूप में वेबसाइटों पर भी डालें, जिसमें पर्यटन मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा जारी वर्गीकरण आदेश को भी प्रदर्शित किया जाए।
  • संशोधनों में वर्गीकरण को पूरा करने के लिये विस्तृत समय-सीमा को भी शामिल किया गया है।
  • प्रत्येक मामले में अपेक्षित दस्तावेज़ों और प्रक्रियाओं को पूरा करने वाले वर्गीकरण को 90 दिन में पूरा कर दिया जाएगा।
  • प्रत्येक कार्य के लिये समय-सीमा (जैसे -निरीक्षण, निरीक्षण रिपोर्ट प्रस्तुत करना, कमियों को दूर करने संबंधी मुद्दों के हल हेतु रिपोर्ट प्रस्तुत करना, सक्षम प्राधिकारी की अनुमति और वर्गीकरण पत्र प्रस्तुत करना) निर्धारित की गई है ताकि वैसे मामलें जिनमें किसी प्रकार की कोई कमी या अनुपालन का मुद्दा शामिल नहीं है, ऐसे सभी मामलों को आवेदन प्राप्त होने की तारीख से लेकर 90 दिनों के भीतर वर्गीकृत किया जा सकें।
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