होप आइलैंड (Hope Island) | 05 Nov 2018

चर्चा में क्यों?

एक लंबे अंतराल के बाद कोरिंगा वन्यजीव अभयारण्य (Coringa Wildlife Sanctuary) के होप आइलैंड में ग्रेटर फ्लेमिंगो पक्षी दिखाई दिया है। शीतकाल की शुरुआत होते ही देश के विभिन्न क्षेत्रों में प्रवासी पक्षियों का आगमन शुरू हो जाता है। यह एक अनवरत प्रक्रिया है, जो सदियों से चली आ रही है। लेकिन इधर हाल ही में देश में प्रदूषण और इनकी राह असुरक्षित होने के कारण इनकी संख्या में कमी आई है।

पृष्ठभूमि

  • विश्व में लगभग 13 हज़ार से अधिक प्रजातियों के पक्षी पाए जाते हैं, जिनमें से लगभग 1300 प्रजातियाँ हमारे देश में पाई जाती हैं।
  • इन पक्षियों के जीवन का एक महत्त्वपूर्ण पक्ष है स्थलांतरण अर्थात् प्रवासन, लेकिन  इस विषय में लोगों को पर्याप्त जानकारी नहीं है।
  • हज़ारों-लाखों विदेशी पक्षी लंबी उड़ान भरकर प्रतिवर्ष शीतकाल में हमारे देश के विभिन्न भागों में आते हैं और मार्च के अंत में गर्मी का मौसम शुरू होने पर वापस अपने देश चले जाते हैं।

कैसे पता चलता है प्रवासन का समय?

  • पक्षी बदलते मौसम की पहचान आकाश में सूर्य से आने वाले प्रकाश की मात्रा और दैनिक प्रकाश की राशि के आधार पर करते हैं।
  • ऐसे में जब वे महसूस करते हैं कि प्रवास का समय आ गया है तो वे अपनी लंबी यात्रा प्रारंभ कर देते हैं। प्रवास का सही समय निर्धारित करने में उपलब्ध भोजन की आपूर्ति, खराब मौसम या तूफान, हवा का तापमान और उसका पैटर्न जैसे कारकों की भूमिका अहम् होती है।
  • प्रवास की यात्रा के दौरान पक्षी अपनी यात्रा को सुरक्षित बनाने के अपने व्यवहार में भी परिवर्तन करते हैं।

क्यों करते हैं प्रवासन?

  • तापमान और खाद्यान्न की उपलब्धता पक्षी प्रवास के प्रमुख कारणों में से हैं। सर्दियों में पूर्वी यूरोप तथा यूरेशिया के देशों में भयंकर ठंड पड़ती है और बर्फीले क्षेत्रों में खाद्यान्न की उपलब्धता भी कम हो जाती है।
  • ऐसे में उस क्षेत्र से लाखों-करोड़ों पक्षी प्रतिवर्ष अपेक्षाकृत कम ठंडे देशों (अधिकांशतः अफ्रीकी देश) की ओर उड़ चलते हैं। वैसे तो यह प्रवास अधिकांशतः शीतकाल में होता है, लेकिन कमोबेश इसे गर्मियों तथा मानसून के समय भी देखा जा सकता है।
  • उत्तर और दक्षिण ध्रुवों पर रहने वाले लगभग 50% पक्षी शीतकाल में अपना ठिकाना छोड़कर सुरक्षित ठिकाने की तलाश में उड़ जाते हैं और सर्दियाँ समाप्त होते ही ये अपने मूल स्थानों की ओर लौट जाते हैं।

ग्रेटर फ्लेमिंगो

  • यह गुजरात का राज्य पक्षी है। ग्रेटर फ्लेमिंगो सभी प्रकार के फ्लेमिंगो में आकार में सबसे बड़ा होता है।
  • ग्रेटर फ्लेमिंगो अफ्रीका के विभिन्न क्षेत्रों, एशिया के दक्षिण-पूर्वी हिस्सों के साथ-साथ दक्षिणी यूरोप में भी पाए जाते हैं। एशियाई क्षेत्र में यह भारत और पाकिस्तान के तटीय क्षेत्रों में पाया जाता है।
  • ये क्षारीय और नमकीन झीलों में वास करते है।
  • यह प्रजाति मॉलस्क (mollusks), क्रस्टेसियन (crustaceans), कीड़े, केकड़ों और छोटी मछलियों का सेवन करती है। इनके आहार में विभिन्न पौधे जैसे-शैवाल आदि भी शामिल है।
  • ये तटीय आर्द्रभूमि में पाई जाने वाली ब्राइन श्रिंप और शैवाल के सेवन से विशेष गुलाबी रंग प्राप्त करते हैं। फ्लेमिंगो एक स्वस्थ तटीय पर्यावरण के संकेतक है।

कोरिंग वन्य जीवन अभ्यारण्य

  • यह भारत में पश्चिम बंगाल के सुंदरवन डेल्टा के बाद देश का दूसरा सबसे बड़ा मैंग्रोव वन क्षेत्र है। यह आंध्रप्रदेश में अवस्थित है।
  • यहाँ मैंग्रोव की कुल 24 प्रजातियाँ पाई जाती हैं। इन प्रजातियों में 94 प्रवासी पक्षियों सहित पक्षियों की कुल 266 प्रजातियाँ पाई जाती हैं।