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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

यमन में शांति की उम्मीद

  • 21 Apr 2023
  • 8 min read

प्रिलिम्स के लिये:

हौथिस, यमन का क्षेत्र और पड़ोस, ऑपरेशन राहत

मेन्स के लिये:

यमन गृह युद्ध, हौथी संघर्ष का महत्त्व, भारत की रुचि

चर्चा में क्यों? 

यमन में युद्धरत पक्ष सैकड़ों कैदियों की अदला-बदली कर रहे हैं, जिसने सऊदी समर्थित सरकारी बलों और ईरान समर्थित हौथी विद्रोहियों के बीच एक स्थायी युद्धविराम की उम्मीद जगाई है।

YEMEN

यमन में युद्ध की शुरुआत:

  • यमन गृह युद्ध 2011 में सत्तावादी राष्ट्रपति अली अब्दुल्ला सालेह (Ali Abdullah Saleh) के अपदस्थ होने के बाद शुरू हुआ। नए राष्ट्रपति, अब्दरब्बुह मंसूर हादी, आर्थिक और सुरक्षा समस्याओं के कारण देश को स्थिरता प्रदान करने में असमर्थ रहे।
  • जैदी शिया मुस्लिम अल्पसंख्यक समूह हौथिस ने इसका फायदा उठाया और वर्ष 2014 में उत्तर और राजधानी सना पर नियंत्रण कर लिया।  
    • इसने सऊदी अरब को चिंतित कर दिया, जिसे डर था कि हौथिस उनके प्रतिद्वंद्वी ईरान के सहयोगी बन जाएंगे। सऊदी अरब ने तब एक गठबंधन का नेतृत्व किया जिसमें अन्य अरब देश शामिल थे और वर्ष 2015 में यमन में सेना भेजी। हालाँकि वे सना के साथ-साथ देश के उत्तर से हौथियों को खदेड़ने में असमर्थ थे।
    • अप्रैल 2022 में संयुक्त राष्ट्र ने सऊदी के नेतृत्त्व वाले गठबंधन और हौथी विद्रोहियों के बीच संघर्ष विराम की मध्यस्थता की, हालाँकि पक्षकार छह महीने बाद इसे नवीनीकृत करने में विफल रहे।                     

स्टॉकहोम समझौता:

  • यमन के कुछ हिस्सों पर नियंत्रण रखने वाले युद्धरत पक्षों ने दिसंबर 2018 में संघर्ष-संबंधी बंदियों को मुक्त करने के लिये स्टॉकहोम समझौते पर हस्ताक्षर किये थे।  
  • संयुक्त राष्ट्र द्वारा मध्यस्थता किये गए समझौते के तीन मुख्य घटक थे:
    • हुदायाह समझौता:
      • हुदायाह समझौते में होदेइदाह शहर में युद्धविराम और शहर में कोई सैन्य सुदृढ़ीकरण न होने जैसे अन्य खंड शामिल थे और संयुक्त राष्ट्र की उपस्थिति को मज़बूत किया गया था।
    • कैदी विनिमय समझौता: 
      • अंतर्राष्ट्रीय रेड क्रॉस समिति इस प्रक्रिया की देख-रेख और समर्थन करेगी, जिसकी देख-रेख यमन के महासचिव के विशेष दूत के कार्यालय द्वारा की गई थी।
        • उनका उद्देश्य मौलिक मानवीय सिद्धांतों और प्रक्रियाओं को सुनिश्चित करना है जो यमन में घटनाओं के दौरान अपनी स्वतंत्रता से वंचित सभी व्यक्तियों की रिहाई या स्थानांतरण या प्रत्यावर्तन की सुविधा प्रदान करते हैं।
    • ताइज़ समझौता:
      • ताइज़ समझौते में नागरिक समाज और संयुक्त राष्ट्र की भागीदारी के साथ एक संयुक्त समिति का गठन शामिल है।

इस युद्ध का यमन पर प्रभाव: 

  • संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, यमन में अब दुनिया का सबसे बड़ा मानवीय संकट है, जिसकी 80% आबादी सहायता और सुरक्षा पर निर्भर है।
  • वर्ष 2015 से 30 लाख से अधिक लोग अपने घरों से विस्थापित हुए हैं और स्वास्थ्य सेवा, जल, स्वच्छता एवं शिक्षा जैसे सार्वजनिक सेवा क्षेत्र या तो समाप्त हो गए हैं या गंभीर स्थिति में हैं।
  • यमन आर्थिक रूप से संकट में है, आर्थिक उत्पादन में 90 बिलियन अमेरिकी डॉलर का नुकसान हुआ है, साथ ही 6,00,000 से अधिक लोगों ने अपनी नौकरी खो दी है। देश की आधी से ज़्यादा आबादी व्यापक गरीबी में जी रही है।

यमन संकट के कारण भारत और विश्व की चिंताएँ: 

  • वैश्विक: 
    • अंतर्राष्ट्रीय तेल शिपमेंट के लिये अदान की खाड़ी से लाल सागर को जोड़ने वाले जलसंधि में यमन का अवस्थित होना यह चिंता उत्पन्न करता है कि कि यमन संकट विश्व भर में तेल की कीमतों को किस प्रकार प्रभावित करेगा।
    • यमन में अल-कायदा और IS से जुड़े समूहों की उपस्थिति वैश्विक सुरक्षा के लिये जोखिम पैदा करती है।
  • भारत: 
    • यमन भारत के लिये कच्चे तेल का एक प्रमुख स्रोत है और तेल आपूर्ति शृंखला में कोई भी व्यवधान भारत की ऊर्जा सुरक्षा पर गंभीर प्रभाव डाल सकता है।
      • यमन, सऊदी अरब, ईरान में रह रहे भारतीय प्रवासियों की बड़ी आबादी भारत के लिये एक चुनौती है।
        • भारत पर अपने नागरिकों की सुरक्षा और संरक्षा सुनिश्चित करने एवं प्रेषित धन (Remittances) में किसी भी व्यवधान के प्रभाव का प्रबंधन करने की ज़िम्मेदारी है, जो भारत में कई परिवारों के लिये आय का एक महत्त्वपूर्ण स्रोत है।

भारत की पहलें: 

  • ऑपरेशन राहत: 
    • भारत ने अप्रैल 2015 में यमन से 4000 से अधिक भारतीय नागरिकों को निकालने के लिये बड़े पैमाने पर हवाई और समुद्री अभियान शुरू किये
  • मानवीय सहायता:
    • भारत ने अतीत में यमन को भोजन एवं चिकित्सा सहायता प्रदान की है तथा विगत कुछ वर्षों में हज़ारों यमन- नागरिकों ने भारत में चिकित्सा उपचार का लाभ उठाया है। 
    • भारत विभिन्न भारतीय संस्थानों में बड़ी संख्या में यमन- नागरिकों को शिक्षा की सुविधा भी प्रदान करता है।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रश्न. हाल ही में निम्नलिखित में से किन देशों में लाखों लोग या तो भयंकर अकाल एवं कुपोषण से प्रभावित हुए या उनकी युद्ध/संजातीय संघर्ष के चलते उत्पन्न भुखमरी के कारण मृत्यु हुई? (2018)

(a) अंगोला और ज़ाम्बिया
(b) मोरक्को और ट्यूनीशिया
(c) वेनेज़ुएला और कोलंबिया
(d) यमन और दक्षिण सूडान

उत्तर: (d)

स्रोत: द हिंदू

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