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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

हॉन्गकॉन्ग प्रोटेस्ट

  • 17 Jun 2019
  • 6 min read

चर्चा में क्यों?

पिछले कुछ समय से हॉन्गकॉन्ग में अव्यवस्था की स्थिति देखने को मिल रही है। हाल ही में प्रस्तावित नए प्रत्यर्पण कानून के खिलाफ एक बार फिर हज़ारों की संख्या में प्रदर्शनकारियों ने पूरे शहर का चक्का जाम कर दिया।

  • उल्लेखनीय है कि इस प्रस्तावित कानून में आरोपितों और संदिग्धों पर मुकदमा चलाने के लिये उन्हें चीन में प्रत्यर्पित करने का प्रावधान किया गया है।
  • इस संबंध में विशेषज्ञों का मानना है कि इस कानून के अनुपालन से हॉन्गकॉन्ग की स्वायत्तता और यहाँ रहने वाले लोगों के मानवाधिकार खतरे में आ जाएंगे।

प्रमुख बिंदु

  • हॉन्गकॉन्ग के आंतरिक मामलों में चीन के कम्युनिस्ट शासन के हस्तक्षेप और उसकी दमनकारी नीतियों ने हाल के दिनों में स्वायत्तता के लिये विभिन्न लोकतंत्र समर्थक विरोध प्रदर्शनों को जन्म दिया है।
  • हॉन्गकॉन्ग में होने वाला इस तरह का सामूहिक प्रदर्शन शहर के अब तक के इतिहास में सबसे बड़े प्रदर्शन में से एक है जो नागरिक स्वतंत्रता को कम किये जाने पर बढ़ते भय और क्रोध का एक आश्चर्यजनक प्रदर्शन है।
  • इससे पहले वर्ष 1997 में हॉन्गकॉन्ग को चीन को सौंपे जाने पर सबसे बड़ा प्रदर्शन हुआ था।
  • प्रदर्शनकारियों ने सरकार से प्रत्यर्पण कानून की अपनी योजना को वापस लेने की मांग की। इसके लिये हॉन्गकॉन्ग में बहुत बड़े पैमाने पर भारी भीड़ जमा हो गई।
  • प्रदर्शनकारियों में इस बात का भय है कि यदि चीन मनमाने ढंग से कुछ लोगों को मुख्य भू-भाग में प्रत्यर्पित करता है तो इससे हॉन्गकॉन्ग में रहने वाले लोगों का जीवन बुरी तरह प्रभावित होगा, साथ ही इनकी अर्थव्यवस्था पर भी नकारात्मक प्रभाव पडेगा।

freedoms in Hong-Kong

अंब्रेला आंदोलन

  • यह पहली बार नहीं है जब हॉन्गकॉन्ग में इतने बड़े स्तर पर विरोध प्रदर्शन हुए हैं। इससे पहले भी ऐसी ही भीड़ हॉन्गकॉन्ग में सड़कों पर उतकर प्रदर्शन कर चुकी है।
  • इस बार के प्रदर्शन में बस इतना अंतर है कि पिछले सबसे बड़े प्रदर्शन के मुकाबले इस बार करीब दोगुने लोग सड़कों पर उतरे थे।
  • वर्ष 2014 में हुए एक आंदोलन 'अंब्रेला आंदोलन' में कुछ हज़ार लोग सड़कों पर उतरे थे लेकिन यह आंदोलन नाकाम हो गया था क्योंकि इसे नागरिकों के बड़े वर्ग का समर्थन नहीं मिल पाया था।
  • उल्लेखनीय है कि 2014 का 'अंब्रेला आंदोलन' भी लोकतंत्र के बचाव के नाम पर किया गया था। इस बार प्रत्यर्पण कानून मसौदे के खिलाफ हुए आंदोलन को भी 'प्रो डेमोक्रेसी' कहा गया है।

हॉन्गकॉन्ग की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि

  • वर्ष 1842 में चीन राजवंश के प्रथम अफीम युद्ध में पराजित होने के बाद चीन ने बिटिश साम्राज्य को हॉन्गकॉन्ग द्वीप सौंप दिया था, उसके बाद हॉन्गकॉन्ग का (एक अलग भू-भाग) आस्तित्व सामने आया।
  • लगभग 6 दशक के दौरान चीन के लगभग 235 अन्य द्वीप भी ब्रिटेन के कब्जे में आ गए और हॉन्गकॉन्ग अंतर्राष्ट्रीय व्यापारिक केंद्र बन गया।
  • 20वीं सदी के प्रारंभ में यहाँ भारी संख्या में शरणार्थियों का आगमन हुआ जिनमें चीनी लोगों की संख्या सबसे ज़्यादा थी।
  • बड़ी संख्या में प्रवासियों के आगमन ने हॉन्गकॉन्ग के लिये एक प्रमुख विनिर्माण केंद्र के रूप में एक नई भूमिका निभाने में मदद की।
  • चीन की अर्थव्यवस्था एवं भौगोलिक स्थिति के प्रभाव के कारण वर्तमान में हॉन्गकॉन्ग सेवा-आधारित अर्थव्यवस्था के साथ-साथ दुनिया के सबसे बड़े बाज़ारों के लिये एक महत्त्वपूर्ण प्रवेश द्वार बन गया है।
  • वर्ष 1997 तक हॉन्गकॉन्ग ब्रिटिश साम्राज्य के नियंत्रण में था।
  • 'वन कंट्री, टू सिस्टम्स' (One Country, Two Systems) के सिद्धांत के तहत, हॉन्गकॉन्ग 1 जुलाई, 1997 को पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना का एक विशेष प्रशासनिक क्षेत्र (Special Administrative Region-SAR) बन गया।
  • इस व्यवस्था से शहर को अपनी पूँजीवादी व्यवस्था को बनाए रखने के लिये स्वायत्तता, स्वतंत्र न्यायपालिका और कानून का शासन, मुक्त व्यापार एवं बोलने की स्वतंत्रता, आदि की अनुमति मिलती है।

भौगोलिक अवस्थिति

  • चीन के दक्षिण-पूर्वी तट पर स्थित, पर्ल नदी डेल्टा और दक्षिण चीन सागर पर स्थित।
  • अपनी भौगोलिक स्थिति की रणनीतिक विशेषता के कारण यह दुनिया के सबसे संपन्न और महानगरीय शहरों में से एक है।
  • अपनी भौगोलिक अवस्थिति, विभिन्न एतिहासिक परम्पराओं, विविध संस्कृतियों और पूर्व-पश्चिम का सम्मिश्रण ही इसकी प्रमुख विशेषता है।

HongkongHongkong Asia

स्रोत- डिस्कवर हॉन्गकॉन्ग वेबसाइट, बीबीसी वेबसाइट

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