अब होगी पेट्रोल डीजल की होम डिलीवरी | 22 Apr 2017
समाचारों में क्यों?
हाल ही में पेट्रोलियम मंत्रालय ने ट्विटर पर जानकारी दी है कि अब पेट्रोलियम उत्पादों को ग्राहकों के घर तक पहुँचाने के विकल्पों पर विचार किया जा रहा है। अभी तक पेट्रोलियम उत्पादों में रसोई गैस सिलिंडर की ही होम डिलीवरी होती है जबकि कई शहरों में बगैर सब्सिडी वाला केरोसीन तेल भी ग्राहकों के दरवाजे पर पहुँचाया जाता है।
ज्ञात हो कि भारत में लगभग 35 करोड़ वाहन रोजाना पेट्रोल पंपों पर पहुँचते हैं, और इन पंपों पर सालाना 25 अरब रुपए का लेन-देन होता है। पेट्रोल-डीज़ल समेत पेट्रोलियम पदार्थों के उपभोग के मामले में भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा देश है।
कैसे होगी पेट्रोल डीज़ल की होम डिलीवरी
गौरतलब है कि पूरी दुनिया कंज्यूमर डिलीवरी की सुविधा पर ध्यान दे रही है, भारत भी इसी क्रम में अब इ-कॉमर्स पोर्टल पर पेट्रोल और डीज़ल लाने जा रहा है। इस पोर्टल पर जाकर कोई भी अपनी डिलीवरी बुक करा सकता है, ऑनलाइन भुगतान के बाद दूसरे दिन तय समय पर उपभोक्ता के घर पेट्रोल या डीज़ल पहुँच सकता है। इसके अलावा सरकार लोगों की सुविधा के लिये ‘मिनी पेट्रोल पंप’ भी लांच करने जा रही है जो टैंकर के जरिये लोगों के घर तक पहुँचेगा।
क्या होगा प्रभाव
तेल मंत्रालय का कहना है कि तेल उत्पादों की होम डिलीवरी से ग्राहकों को पेट्रोल पम्प की लंबी कतारों से बचाया जा सकेगा। इस समय देश भर में 59 हजार 595 पेट्रोल पम्प हैं, जहाँ पर पेट्रोल और डीजल बिकते हैं, तेल मंत्रालय के इस योजना का मकसद नोटबंदी को समर्थन देते हुए डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देने के साथ पेट्रोल पंप पर लंबी कतार में लगने से ग्राहकों को बचाना है। नोटबंदी के पहले करीब 20 फीसद बिक्री डिजिटल माध्यमों के जरिये होती थी जो अब बढ़कर 50 फीसद से भी अधिक हो चुकी है।
फिलहाल देश में 38,128 पेट्रोल पंपों पर पीओएस मशीन है और 86 फीसदी से अधिक में डिजिटल भुगतान की व्यवस्था है। नोटबंदी के बाद तेल विपणन कंपनियाँ कैशलेस माध्यम से तेल की खरीद पर उपभोक्ताओं को 0.75 फीसदी छूट दे रही हैं जबकि 72,000 से अधिक ई-वॉलेट से लेनदेन चालू हो गया है। लेकिन इस योजना का वास्तविक स्वरूप क्या होगा और इसे कब ज़मीन पर उतारा जाएगा, इस पर अभी अंतिम फैसला होना है।