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विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी

उच्च तापमान से उड़ान संचालन पर प्रभाव

  • 05 Aug 2024
  • 10 min read

प्रिलिम्स के लिये:

ग्लोबल वार्मिंग, विमानन के मूल तथ्य, उड़ान संचालन

मेन्स के लिये:

विमानन उद्योग पर ग्लोबल वार्मिंग का प्रभाव, कारण, विमान दुर्घटनाओं का प्रभाव, निहितार्थ और आगे का रास्ता।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस 

चर्चा में क्यों?

हाल ही में कई एयर ऑपरेटरों ने क्षेत्र में उच्च तापमान का हवाला देते हुए लेह के लिये अपनी उड़ानें रद्द कर दीं, जिसके कारण रनवे प्रतिबंधित हुए हैं।

  • भारत के शीत मरुभूमियों में जलवायु परिवर्तन के कारण पहाड़ी क्षेत्र में तापमान में वृद्धि देखी गई है।

विमान संचालन पर उच्च तापमान का क्या प्रभाव पड़ता है?

  • लिफ्ट में कमी: हवा का घनत्व कम हो जाने से विमान के पंखों को मिलने वाले सहारे में कमी आती है, जिस कारण टेकऑफ के लिये उच्च गति और लंबे रनवे की आवश्यकता पड़ जाती है। लिफ्ट-टू-ड्रैग अनुपात प्रतिकूल रूप से प्रभावित होता है, जिससे समग्र विमान दक्षता प्रभावित होती है।
  • इंजन के प्रदर्शन में गिरावट: विरल हवा में ऑक्सीजन की मात्रा कम होने के कारण विमान के इंजन के अंदर दहन प्रक्रिया प्रभावित होती है। इसके परिणामस्वरूप इंजन का थ्रस्ट (प्रणोदन) कम हो जाता है, जिससे टेकऑफ के लिये चुनौतियाँ और भी बढ़ जाती हैं।
  • लैंडिंग दूरी में अवांछनीय विस्तार: कम घनत्व वाली हवा में रिवर्स थ्रस्ट की कम प्रभावशीलता के कारण लैंडिंग प्रक्रिया में विलंब बढ़ जाता है, जिससे मंदन के लिये अधिक रनवे की लंबाई की आवश्यकता पड़ती है।
    • वर्ष 2023 के एक अध्ययन से पता चला है कि ग्लोबल वार्मिंग के कारण वर्ष 1991-2000 की तुलना में वर्ष 2071-2080 की अवधि के दौरान बोइंग 737-800 विमानों के लिये टेक-ऑफ दूरी औसतन 6% बढ़ने की उम्मीद है। 
      • यह परिवर्तन विशेष रूप से कम ऊँचाई वाले हवाई अड्डों पर महत्त्वपूर्ण है, जिससे आने वाले समय में गर्मियों के दौरान टेक-ऑफ के लिये अतिरिक्त 113-222 मीटर की आवश्यकता होगी।
  • परिचालन बाधाएँ: अधिक ऊँचाई पर स्थित हवाई अड्डे, जहाँ हवा का घनत्व स्वाभाविक रूप से कम होता है, तापमान-प्रेरित उड़ान प्रतिबंधों के लिये विशेष रूप से सुभेद्य होते हैं। अत्यधिक गर्मी की अवधि के दौरान टेकऑफ वज़न की सीमाएँ लागू की जा सकती हैं और उड़ान संचालन पूरी तरह से निलंबित भी किया जा सकता है।

नोट:

  • वर्ष 1880 के बाद से वैश्विक औसत तापमान में कम-से-कम 1.1 डिग्री सेल्सियस की वृद्धि हुई है, भारत में वर्ष 1900 के स्तर की तुलना में लगभग 0.7 डिग्री सेल्सियस की वृद्धि हुई है।

विमान उड़ान संचालन का सिद्धांत क्या है?

  • पंखों/डैनों की सहायता से उड़ान भरने वाली सभी वस्तुओं को हवा की आवश्यकता होती है, क्योंकि चलती हवा पतंगों, हवाई जहाज़ों और गुब्बारों की उड़ान को बनाए रखने के लिये आवश्यक एक लिफ्ट बल उत्पन्न करती है।
  • एक विमान पर 4 आधारभूत बल लगते हैं:

    • लिफ्ट (Lift): विमान पर लगने वाला वह उर्ध्वगामी बल (Upward Force) जो हवाई जहाज़ को उड़ान के लिये/ टेक ओफ के लिये ऊपर की ओर उठने में मदद करता है।
    • ड्रैग (Drag): वायु प्रवाह के प्रतिरोध के कारण लगने वाला पश्चदिशिक बल (Backward Force)।
    • थ्रस्ट (Thrust): विमान के इंजन द्वारा उत्पन्न अग्रदिशिक बल (Forward force)
    • वज़न (Weight): विमान की बॉडी और कार्गो वज़न नीचे की दिशा में कार्य करता है।

  • विमान तब उड़ान भरता है जब इसके पंखों द्वारा उत्पन्न लिफ्ट बल उसके वज़न पर नियंत्रण कर लेता है अर्थात् इससे अधिक होता है। इसके लिये विमान को पर्याप्त अग्रदिशिक गति की आवश्यकता होती है।
  • विमान को आगे बढ़ाने के लिये इंजन द्वारा थ्रस्ट लगाया जाता है। जैसे-जैसे विमान आगे बढ़ता है, एयरफॉइल के आकार के पंखों का हवा के साथ संपर्क होता है, जिससे लिफ्ट बनता है। यह लिफ्ट विंग की ऊपरी और निचली सतहों के बीच दाब के अंतर के कारण उत्पन्न होती है। 
  • एयरफॉइल की ऊपरी वक्र सतह इसके ऊपर बहने वाली हवा को तेज़ करती है, जिससे दाब (बर्नौली के सिद्धांत के अनुसार) कम हो जाता है। साथ ही, विंग के नीचे बहने वाली हवा थोड़ी संपीड़ित हो जाती है, जिससे दाब बढ़ जाता है। दाब का यह अंतर एक उर्ध्वगामी बल (Upward Force) बनाता है, जिससे विमान ऊपर की ओर उठता है। 

  • विंग और आने वाली हवा के बीच का कोणआक्रमण कोण (Angle of Attack), लिफ्ट को महत्त्वपूर्ण रूप से प्रभावित करता है। आक्रमण कोण में थोड़ी वृद्धि अधिक लिफ्ट उत्पन्न करती है, लेकिन अत्यधिक कोण इंजन के बंद होने का कारण बन सकते हैं। 
  • उड़ान के स्तर को बनाए रखने के लिये लिफ्ट बल को विमान के वज़न के बराबर होना चाहिये। पायलट नियंत्रण पृष्ठों का प्रयोग करके विंग के आक्रमण कोण और आकार को समायोजित करके लिफ्ट को नियंत्रित करते हैं।

लेह-लद्दाख क्षेत्र में उच्च तापमान के क्या कारण हैं?

  • ऊँचाई: लेह-लद्दाख की लगभग 3,000 मीटर की ऊँचाई के कारण वायुमंडलीय घनत्व कम हो जाता है।
    • इसके अलावा, क्षेत्र का साफ आसमान, न्यूनतम बादल कवर एवं वनस्पतियों की विरलता जो सौर विकिरण प्रवेश को बढ़ाती है और गर्मियों में दिन के दौरान तापमान में वृद्धि करती है।
  • स्थलाकृति: हिमालय और ज़ांस्कर पर्वतमाला आर्द्र हवाओं को रोककर वर्षा छाया प्रभाव (वर्षा छाया मरुभूमि बनाती है) बनाती है, जिसके परिणामस्वरूप न्यूनतम वर्षा होती है।
    • यह शुष्क हवा तापमान में उतार-चढ़ाव को बढ़ाती है, जिससे दिन के तापमान में वृद्धि होती है।
  • जलवायु परिवर्तन: ग्लोबल वार्मिंग ने वैश्विक स्तर पर तापमान में वृद्धि की है, जिसका असर शीत मरुभूमियों पर भी पड़ा है। यह घटना से स्थानीय मौसम के पैटर्न में भी परिवर्तन हुआ है, जिससे संभावित रूप से लेह-लद्दाख में गर्मी की स्थिति उत्पन्न हो सकती है।
  • मानव गतिविधियाँ: लेह और आस-पास के क्षेत्रों में शहरीकरण और बुनियादी ढाँचे का विकास स्थानीयकृत वार्मिंग प्रभाव उत्पन्न करता है, जिसे नगरीय ऊष्मा द्वीप प्रभाव के रूप में जाना जाता है।
    • ‘नगरीय  ऊष्मा द्वीप’ तब बनते हैं जब शहरों में प्राकृतिक भूमि आवरण की जगह फुटपाथ, इमारतों और अन्य आवरण की सघनता बढ़ जाती हैं जो ऊष्मा को अवशोषित कर इसे बनाए रखते हैं, जिससे ऊर्जा लागत, वायु प्रदूषण एवं गर्मी से संबंधित बीमारी व मृत्यु दर बढ़ जाती है।
    • इसके अतिरिक्त, पर्यटन और सैन्य आवागमन सहित बढ़ती मानवीय गतिविधियाँ तापमान की वृद्धि में योगदान देती हैं।

दृष्टि मेन्स प्रश्न:

प्रश्न: ग्लोबल वार्मिंग क्या है और विश्व भर में विमानन क्षेत्र पर इसका क्या प्रभाव पड़ेगा?

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स

प्रश्न. ‘मोमेंटम फॉर चेंज: क्लाइमेट न्यूट्रल नाउ’’ यह पहल किसके द्वारा प्रवर्तित की गई है? (2018)

(a)जलवायु परिवर्तन पर अन्तर-सरकारी पैनल
(b)UNEP सचिवालय
(c)UNFCCC सचिवालय
(d)विश्व मौसमविज्ञान संगठन

उत्तर: (c)


मेन्स

प्रश्न. 'जलवायु परिवर्तन' एक वैश्विक समस्या है। भारत जलवायु परिवर्तन से किस प्रकार प्रभावित होगा? जलवायु परिवर्तन के द्वारा भारत के हिमालयी और समुद्रतटीय राज्य किस प्रकार प्रभावित होंगे ?  (2017)

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