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जैव विविधता और पर्यावरण

हाई रेंज माउंटेन लैंडस्केप प्रोजेक्ट

  • 23 Dec 2019
  • 7 min read

प्रीलिम्स के लिये:

UNDP, हरित केरलम मिशन, हाई रेंज माउंटेन लैंडस्केप प्रोजेक्ट

मेन्स के लिये:

पर्यावरण और विकास से संबंधित मुद्दे

चर्चा में क्यों?

संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम द्वारा पोषित हाई रेंज माउंटेन लैंडस्केप प्रोजेक्ट (High Range Mountain Landscape Project) को केरल के 11 ग्राम पंचायतों में नए नाम से पुनः शुरू किया जा रहा है।

प्रमुख बिंदु:

Sustainable-Eco-Conservation-Project

  • स्थानीय लोगों और विशेषकर इडुकी ज़िले के लोगों के विरोध के कारण यह परियोजना वर्ष 2014 से लंबित थी जिसे अब 2,198 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में क्रियान्वित किया जा रहा है।
  • इस परियोजना का नया नाम ‘अंचुनाद गाँव और उसके आस-पास के क्षेत्र में बहु-उपयोगी प्रबंधन के माध्यम से सतत आजीविका और जैव विविधता संरक्षण’ (Sustainable Conservation Through Multiuse Management of Anchunad and Adjoining Landscape) रखा गया है।
  • इस परियोजना में हरित केरलम मिशन ग्राम पंचायत स्तर पर विशेष प्रयोजन वाहन है और परियोजना को वन क्षेत्रों के अंदर वन विभाग द्वारा एवं वन क्षेत्रों के अंतर्गत पंचायतों में पर्यावरण-विकास समितियों तथा वन संरक्षण समितियों के माध्यम से क्रियान्वित किया जा रहा है।
  • इस परियोजना को वर्ष 2022 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है।
  • यह परियोजना इडुकी ज़िले के देविकुलम ब्लॉक के एदामालाक्कुदी (Edamalakkuddy), मुन्नार, देविकुलम, चिन्नाकनाल, मांकुलम, मरायुर, कन्थाल्लुर और बत्तावड़ा ग्राम पंचायत तथा आदिमाली ब्लॉक के आदिमाली ग्राम पंचायत एवं कुट्टमपुझा (एर्नाकुलम ज़िला), अथिराप्पिल्ली (थ्रिशूर ज़िला) ग्राम पंचायतों में क्रियान्वित की जा रही है।
  • गौरतलब है कि इन 11 ग्राम पंचायतों में से 9 पंचायतें केवल इडुकी ज़िले की हैं।
  • यह परियोजना मुन्नार वन्यजीव डिवीज़न, मुन्नार प्रादेशिक डिवीज़न, मरायुर चंदन डिवीजन, मांकुलम, मलयत्तूर, वाझाचल, चालकुडी और थेट्टेकल पक्षी अभयारण्य के तहत आठ वन विकास एजेंसियों को भी कवर करेगी।
  • वर्ष 2014 में परियोजना के खिलाफ इडुकी ज़िले में कड़ा प्रतिरोध किया गया था जिसके कारण इस परियोजना को रोक दिया गया था।
  • UNDP कार्यक्रम के अंतर्गत आने वाले क्षेत्रों में व्यापक अपशिष्ट प्रबंधन, जल स्रोत का संरक्षण, सतत् कृषि, आजीविका कार्यक्रम और हरित केरलम मिशन को इस परियोजना के तहत लागू किया जाएगा।

हाई रेंज माउंटेन लैंडस्केप प्रोजेक्ट

भारत हाई रेंज माउंटेन लैंडस्केप प्रोजेक्ट पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (Ministry of Environment, Forest and Climate Change), केरल सरकार और संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP) के बीच एक साझेदारी तथा वैश्विक पर्यावरण सुविधा (Global Environment Facility) द्वारा समर्थित है। इस परियोजना का उद्देश्य पश्चिमी घाट के पर्वतीय परिदृश्य में जैव-विविधता के संरक्षण के लिये एक प्रभावी बहु-उपयोग प्रबंधन ढाँचा विकसित करना है।

प्रोजेक्ट के लक्ष्य:

  • पर्वतीय परिदृश्य के बहु-उपयोग के लिये प्रभावी प्रशासनिक रूपरेखा तैयार करना।
  • मुन्नार परिदृश्य की पारिस्थितिक अखंडता को सुरक्षित करना।
  • संसाधनों के समुदाय-आधारित सतत् उपयोग और प्रबंधन के लिये क्षमताओं को मज़बूत करना।

प्रोजेक्ट का महत्त्व:

  • यह प्रोजेक्ट विश्व स्तर पर महत्त्वपूर्ण भारत की पर्वतीय जैव-विविधता के स्थायी प्रबंधन में योगदान करेगा।
  • यह जैव-विविधता के संरक्षण संबंधी विचारों को उत्पादन क्षेत्रों से जोड़ने में मदद करेगा।
  • यह जलवायु परिवर्तन तथा अन्य संबद्ध समस्याओं के प्रत्याशित प्रभावों सहित प्रतिगामी कारकों को संबोधित करेगा।

हरित केरलम मिशन (Haritha Keralam Mission):

  • केरल सरकार द्वारा राज्य को स्वच्छ और हरित बनाने के लिये 8 दिसंबर, 2016 को ‘हरित केरलम मिशन’ शुरू किया गया था।
  • इसके तहत सरकारी कार्यालयों में हरित प्रोटोकॉल लागू किये जाने का प्रावधान है तथा इसके अंतर्गत CMO और सचिवालय स्थित अन्य कार्यालयों में किसी भी बैठक या कार्यक्रम में प्लास्टिक या डिस्पोज़ेबल सामग्री का इस्तेमाल नहीं किया जाएगा।
  • इसके तहत प्लास्टिक की बोतलों, कैरी बैग, पैकेज्ड पेयजल, डिस्पोजेबल प्लेट और फ्लेक्स बोर्ड के उपयोग की इजाज़त नहीं होगी। केवल पर्यावरण अनुकूल सामग्री ही CMO कार्यालय सहित सरकारी कार्यालयों में इस्तेमाल की जाएगी।

संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम

(United Nations Development Programme- UNDP):

  1. UNDP संयुक्त राष्ट्र के वैश्विक विकास का एक नेटवर्क है।
  2. इसका मुख्यालय न्यूयॉर्क में है।
  3. UNDP गरीबी उन्मूलन, असमानता को कम करने हेतु लगभग 70 देशों में कार्य करता है।
  4. इसके अलावा देश के विकास को बढ़ावा देने के लिये नीतियों, नेतृत्व कौशल, साझेदारी क्षमता तथा संस्थागत क्षमता को बढाने और लचीला बनाने में मदद करता है।

स्रोत: द हिंदू

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