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सामाजिक न्याय

हिडन एपिडेमिक (डायबिटीज)

  • 01 Dec 2020
  • 5 min read

चर्चा में क्यों?

हाल ही में ‘डायबेटोलोगिया’ (Diabetologia) जो मधुमेह के अध्ययन के लिये यूरोपीय संघ की एक पत्रिका है, में प्रकाशित एक नए शोध में मधुमेह के प्रति भारतीय युवाओं की भेद्यता (Vulnerability) पर प्रकाश डाला गया है।

प्रमुख बिंदु

  • ‘भारत में महानगरीय शहरों में मधुमेह का लाइफटाइम रिस्क’ (Lifetime Risk of Diabetes in Metropolitan Cities in India) शीर्षक पर शोध भारत, यू.के. और यू.एस. ए. में लेखकों की एक टीम द्वारा किया गया, जिसका नेतृत्त्व शम्मी लुहार, सार्वजनिक स्वास्थ्य एवं प्राथमिक देखभाल विभाग तथा कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय द्वारा किया गया।
  • अध्ययन का निष्कर्ष:
    • भारत में 20 वर्ष की आयु के आधे से अधिक पुरुषों (55%) और दो-तिहाई (65%) महिलाओं में मधुमेह होने की संभावना अधिक पाई जाती है, इनमें से अधिकांश मामलों में (लगभग 95%) टाइप-2 मधुमेह (Type 2 Diabetes) होने की संभावना होती है।
      • टाइप-2 मधुमेह: यह मानव शरीर के इंसुलिन के उपयोग के तरीके को प्रभावित करता है। इस अवस्था में टाइप-1 के विपरीत अग्न्याशय में इंसुलिन तो बनता है लेकिन शरीर की कोशिकाएँ इस इन्सुलिन का स्वस्थ शरीर की तरह प्रभावी ढंग से उपयोग नहीं कर पाती (प्रतिक्रिया नहीं देती हैं)।
        • टाइप-2 मधुमेह ज़्यादातर 45 वर्ष से अधिक आयु के लोगों में पाया जाता है।
        • यह लोगों में तेज़ी से बढ़ते मोटापे (Obesity) का कारण बनता है।
    • 20 साल के पुरुषों एवं महिलाओं में मधुमेह के प्रसार से मुक्ति का लाइफटाइम रिस्क क्रमशः 56% एवं 65% होता है।
    • मोटापा मधुमेह के प्रति लोगों को संवेदनशील बनता है।
      • यह महानगरीय क्षेत्र के 20 साल की महिलाओं (86%)  और  पुरुषों (87%) में अधिक  पाया जाता है।
    • भारत में वर्तमान में 77 मिलियन वयस्क मधुमेह से पीड़ित हैं और यह संख्या वर्ष 2045 तक लगभग दोगुनी होकर 134 मिलियन हो सकती है।
    • महिलाओं में आमतौर पर अपने पूरे जीवनकाल में मधुमेह होने का खतरा सबसे अधिक होता है।
    • उम्र बढ़ने के साथ मधुमेह का खतरा कम होता जाता है। शोधकर्त्ताओं के अनुसार, जो लोग वर्तमान में 60 वर्ष की आयु के हैं और मधुमेह से मुक्त हैं, उनके शेष जीवन में मधुमेह होने की संभावना कम है।
  • अध्ययन के लिये डेटा स्रोत:
    • वर्ष 2010 से वर्ष 2018 के मध्य ‘सेंटर फॉर कार्डियो मेटाबोलिक रिस्क रिडक्शन इन साउथ एशिया’ (Centre for Cardio metabolic Risk Reduction in South Asia) से लिये गए आँकड़ों के आधार पर शहरी भारत में मधुमेह का आकलन लिंग एवं BMI-विशिष्ट घटनाओं की दर के आधार पर किया गया।
    • भारत सरकार द्वारा अधिसूचित अवधि (2014) से आयु, लिंग एवं शहरी विशिष्ट मृत्यु दर संबंधी आँकड़े। 
    • वर्ष 2008 से वर्ष 2015 तक ‘इंडियन काउंसिल फॉर मेडिकल रिसर्च इंडिया डायबिटीज़ स्टडी’ (Indian Council for Medical Research India Diabetes Study) से लिये गए मधुमेह के प्रसार संबंधी आँकड़े।
  • मधुमेह की उच्च संभावनाओं का प्रभाव:
    • देश में पहले से ही तनावग्रस्त स्वास्थ्य ढाँचे पर अतिरिक्त दबाव बढ़ेगा।
    • मधुमेह के उपचार के लिये रोगियों पर अतिरिक्त जेब खर्च भी बढ़ेगा।
  • उच्च मधुमेह की घटनाओं का कारण:
    • शहरीकरण
    • आहार की गुणवत्ता में कमी
    • शारीरिक गतिविधि के स्तर में कमी
  • प्रभावी जीवन-शैली द्वारा मधुमेह को रोकना जैसे:
    • स्वस्थ आहार
    • शारीरिक गतिविधियों में वृद्धि
    • मोटे या अधिक वज़न वाले लोगों को वज़न कम करने के लिये प्रेरित करना

At-high-risk

स्रोत: द हिंदू

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