इंदौर शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 11 नवंबर से शुरू   अभी कॉल करें
ध्यान दें:

डेली अपडेट्स


विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी

हर्बिसाइड टॉलरेंट (HT) बीटी कॉटन

  • 21 Jun 2021
  • 5 min read

प्रिलिम्स के लिये:

हर्बिसाइड टॉलरेंट (HT) बीटी कॉटन

मेन्स के लिये:

HTBT कपास से संबंधित मुद्दे

चर्चा में क्यों?

हर्बिसाइड टॉलरेंट (HT) बीटी कपास की अवैध खेती में भारी उछाल देखा गया है क्योंकि अवैध बीज पैकेटों की बिक्री वर्ष 2020 के 30 लाख से बढ़कर वर्ष 2021 में 75 लाख हो गई है।

प्रमुख बिंदु:

बीटी कॉटन:

  • बीटी कपास एकमात्र ट्रांसजेनिक फसल है जिसे भारत में व्यावसायिक खेती के लिये केंद्र द्वारा अनुमोदित किया गया है।
  • कपास के बोलवर्म का एक सामान्य कीट का मुकाबला करने हेतु कीटनाशक का उत्पादन करने के लिये आनुवंशिक रूप से संशोधित (GM) किया गया है।

हर्बिसाइड टॉलरेंट बीटी (HTBt) कपास:

  • HTBt कपास संस्करण संशोधन की एक और परत को जोड़ता है, जिससे पौधा हर्बिसाइड ग्लाइफोसेट के लिये प्रतिरोधी बन जाता है, लेकिन नियामकों द्वारा इसे अनुमोदित नहीं किया गया है।
  • आशंकाओं में ग्लाइफोसेट का कार्सिनोजेनिक प्रभाव होता है, साथ ही परागण के माध्यम से आस-पास के पौधों में जड़ी-बूटियों के प्रतिरोध का अनियंत्रित प्रसार होता है, जिससे विभिन्न प्रकार के सुपरवीड बनते हैं।

HTBt कपास का उपयोग करने की आवश्यकता:

  • लागत में कमी: बीटी कपास के लिये कम-से-कम दो बार की निराई करने हेतु आवश्यक श्रम की कमी है।
    • HTBt के साथ बिना निराई के केवल एक राउंड ग्लाइफोसेट छिड़काव की आवश्यकता होती है। यह किसानों के लिये 7,000 से  8,000 रुपए प्रति एकड़ की बचत करता है। 
  • वैज्ञानिकों का सहयोग: वैज्ञानिक भी इस फसल के पक्ष में हैं और यहाँ तक ​​कि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी कहा है कि इससे कैंसर नहीं होता है।
    • लेकिन सरकार ने अभी भी HTBt मंज़ूरी नहीं नहीं दी है।

एचटीबीटी कपास की अवैध बिक्री से उत्पन्न मुद्दे:

  • चूँकि यह जेनेटिक इंजीनियरिंग मूल्यांकन समिति (जीईएसी) द्वारा अनुमोदित नहीं है, इसलिये भारतीय बाज़ारों में इसकी अवैध बिक्री होती है।
  • कपास के बीज की इस तरह की अवैध बिक्री से किसानों को खतरा है क्योंकि बीज की गुणवत्ता की कोई जवाबदेही नहीं है, यह पर्यावरण को प्रदूषित करता है, यह उद्योग वैध बीज बिक्री को खो रहा है और सरकार को कर संग्रह के मामले में राजस्व का भी नुकसान होता है।
  • यह न केवल छोटी कपास बीज कंपनियों को नष्ट कर देगा बल्कि भारत में कानूनी कपास बीज के पूरे बाज़ार को भी खतरा होगा।

जेनेटिक इंजीनियरिंग मूल्यांकन समिति:

  • जेनेटिक इंजीनियरिंग मूल्यांकन समिति पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के तहत कार्य करती है।
  • यह पर्यावरण के दृष्टिकोण से अनुसंधान और औद्योगिक उत्पादन में खतरनाक सूक्ष्मजीवों तथा पुनः संयोजकों के बड़े पैमाने पर उपयोग से जुड़ी गतिविधियों के मूल्यांकन के लिये ज़िम्मेदार है।
  • GEAC की अध्यक्षता MoEF&CC का विशेष सचिव/अतिरिक्त सचिव करता है और जैव प्रौद्योगिकी विभाग (DBT) के एक प्रतिनिधि द्वारा सह-अध्यक्षता की जाती है।

आगे की राह:

  • नियामक केवल लाइसेंस प्राप्त डीलरों और बीज कंपनियों के लिये अपने चेकिंग/विनियमन को सीमित करते हैं, जबकि HT बीज बिक्री की अवैध गतिविधि ज़्यादातर असंगठित और ‘फ्लाई-बाय-नाइट’ ऑपरेटरों द्वारा की जाती है।
    • इस प्रकार उन्हें पकड़ने और मज़बूत दंडात्मक कार्रवाई करने पर ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिये।
  • केंद्र और राज्य सरकार दोनों की सामूहिक कार्रवाई की आवश्यकता है। केंद्र ने इस वेरिएंट पर प्रतिबंध लगाने की नीति बनाई है, लेकिन राज्य सरकारों को केंद्र सरकार के साथ मिलकर काम करना चाहिये।
  • पर्यावरणीय प्रभाव का आकलन स्वतंत्र पर्यावरणविदों द्वारा किया जाना चाहिये, क्योंकि किसान पारिस्थितिकी और स्वास्थ्य पर जीएम फसलों के दीर्घकालिक प्रभाव का आकलन नहीं कर सकते हैं।

स्रोत- द हिंदू

close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2