मधुमेह रोग
- जब मानव शरीर में अग्नाशय (पैंक्रियाज) द्वारा इंसुलिन नामक हॉर्मोन का स्त्रावण कम हो जाता है अथवा इंसुलिन की कार्यक्षमता में कमी आ जाती है तो मधुमेह (Diabetes) रोग हो जाता है।
- इंसुलिन रक्त में शर्करा की मात्रा पर नियंत्रण करता है। इसमें मानव रक्त में ग्लूकोज़ (रक्तशर्करा) का स्तर बढ़ने लगता है।
- ग्लूकोज़ का बढ़ा हुआ स्तर शरीर के विभिन्न अंगों को नुकसान पहुँचाता है।
मधुमेह रोग के प्रकार
- टाइप-2 और टाइप-1 मधुमेह के सामान्य रूप हैं। मधुमेह के कुल मामलों में 90 से 95% टाइप-2 मधुमेह से संबंधित होते हैं।
- टाइप-2 मधुमेह आमतौर पर वयस्कों को प्रभावित करता है। इस स्थिति में ज़्यादा गंभीर स्थिति के अलावा हाइपर ग्लाइसीमिया (रक्त में ग्लूकोज़ के उच्च स्तर की स्थिति) के नियंत्रण के लिये इंसुलिन की आवश्यकता नहीं होती है।
- टाइप-1 मधुमेह आमतौर पर बच्चों को प्रभावित करता है तथा इस प्रकार के मधुमेह में इंसुलिन की पूर्ण कमी होती है। इसलिये उन्हें जीवन भर बाहर से इंसुलिन लेने की आवश्यकता होती है।
एथेरोस्क्लेरोसिस Atherosclerosis
- एथेरोस्क्लेरोसिस एक ऐसी बीमारी है, जिसमें धमनियों (Arteries) के अंदर 'प्लाक' जमने लगता है।
- धमनियाँ (Arteries) ऑक्सीजन युक्त रक्त को हृदय और शरीर के अन्य हिस्सों में ले जाती हैं।
- 'प्लाक' के निर्माण के लिये वसा, कोलेस्ट्रॉल, कैल्शियम और रक्त में पाए जाने वाले अन्य पदार्थ ज़िम्मेदार होते हैं।
- समय के साथ प्लाक धमनियों को कठोर और संकीर्ण बना देता है तथा शरीर के अन्य हिस्सों में ऑक्सीजन युक्त रक्त के प्रवाह को सीमित कर देता है।
- इससे गंभीर समस्याएँ उत्पन्न होती हैं, जैसे - दिल का दौरा, स्ट्रोक या फिर मृत्यु।
- अनुसंधान के दौरान मूत्र परीक्षण में धातुओं का स्तर जैसे- आर्सेनिक, क्रोमियम, एल्यूमीनियम और जस्ता का संबंध मधुमेह से है, वहीं आर्सेनिक और जिंक का संबंध प्री-डायबिटीज और एथेरोस्क्लेरोसिस की ओर संकेत करता है।
- ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज, नई दिल्ली की हालिया शोध के मुताबिक प्रतिवर्ष ग्रामीण आबादी के बीच प्रति 1000 की जनसंख्या पर 2.02 की दर से मधुमेह के प्रसार में वृद्धि हुई है।
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