इंदौर शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 11 नवंबर से शुरू   अभी कॉल करें
ध्यान दें:

डेली अपडेट्स


भूगोल

हीट डोम

  • 02 Jul 2021
  • 6 min read

प्रिलिम्स के लिये:

हीट डोम

मेन्स के लिये:

जलवायु परिवर्तन और हीट डोम्स

चर्चा में क्यों?

हाल ही में प्रशांत नॉर्थवेस्ट और कनाडा के कुछ हिस्सों में तापमान 47 डिग्री के आसपास दर्ज किया गया, जिससे "ऐतिहासिक" गर्मी की लहर पैदा हुई।

  • यह घटना "हीट डोम" (Heat Dome) का परिणाम है।

प्रमुख बिंदु 

हीट डोम के विषय में:

  • यह घटना तब शुरू होती है जब समुद्र के तापमान में प्रबल परिवर्तन (चढ़ाव या उतार) होता है। संवहन के कारण समुद्र के सतह की गर्म हवा ऊपर उठती है।
  • जैसे-जैसे प्रचलित हवाएँ गर्म हवा को पूर्व की ओर ले जाती हैं, वैसे-वैसे जेट स्ट्रीम की उत्तरी शिफ्ट हवा को भूमि की ओर मोड़ देती  है, जहाँ यह समाप्त हो जाती है, जिसके परिणामस्वरूप गर्म लहरों का जन्म होता है।
    • जेट स्ट्रीम वायुमंडल के ऊपरी स्तरों में तेज़ हवा की अपेक्षा संकीर्ण बैंड (Narrow Band) हैं। जेट धाराओं में हवाएँ पश्चिम से पूर्व की ओर चलती हैं लेकिन इनका प्रवाह अक्सर उत्तर और दक्षिण में बदल जाता है।
  • पश्चिम से पूर्व की ओर समुद्र के तापमान में यह तीव्र परिवर्तन हीट डोम का कारण है।
    • पश्चिमी प्रशांत महासागर के तापमान में पिछले कुछ दशकों में वृद्धि हुई है और यह पूर्वी प्रशांत महासागर के तापमान से अपेक्षाकृत अधिक है।
  • हीट डोम बादलों को बनने से भी रोकता है, जिससे सूर्य के अधिक विकिरण धरती तक पहुँच जाते हैं।
  • हीट डोम उच्च दबाव क्षेत्र है जो उस बर्तन की तरह होता है जिस पर लगा ढक्कन गर्मी को रोककर रखता है। वर्ष 2021 जैसे ला नीना (La Niña) बनने की संभावना अधिक होती है, जब पूर्वी प्रशांत क्षेत्र में पानी ठंडा होता है और पश्चिमी प्रशांत क्षेत्र में गर्म होता है।

Heat-dome

ग्रीष्म लहर (Heat Waves) :

  • ग्रीष्म लहर असामान्य रूप से उच्च तापमान की वह स्थिति है, जिसमें तापमान सामान्य से अधिक रहता है। यह दो दिनों से अधिक समय तक रहता है।
  • ग्रीष्म लहर मार्च-जून के बीच चलती है परंतु कभी-कभी जुलाई तक भी चला करती है। 
  • ग्रीष्म लहरें उच्च आर्द्रता वाली और बिना आर्द्रता वाली भी हो सकती हैं तथा यह एक बड़े क्षेत्र को कवर करने की क्षमता रखती हैं, इसकी भीषण गर्मी'  बड़ी संख्या में लोगों को प्रभावित करती है।

मनुष्यों पर प्रभाव (आर्द्र बल्ब' के तापमान पर):

  • जब तक शरीर से पसीने का उत्सर्जन और तीव्र वाष्पन होता रहेगा तब तक शरीर उच्च तापमान में भी ठंडा रहने में सक्षम होगा। 
  • वेट-बल्ब तापमान (WBT) एक ऐसी सीमा है जो ऊष्मा और आर्द्रता दोनों पर विचार करती है जिसके आगे मनुष्य उच्च तापमान को सहन नहीं कर सकता है।
  • WBT से अधिक तापमान ऊष्मा से संबंधित बीमारियों का कारण बन सकता है, जिसमें हीट स्ट्रोक, हीट थकावट, सनबर्न और हीट रैश शामिल हैं। कई बार ये जानलेवा भी साबित हो सकती हैं।

‘हीट डोम’ के प्रभाव:

  • बिना एयर कंडीशनर के रहने वाले लोग अपने घरों के तापमान को असहनीय रूप से बढ़ते हुए देखते हैं, जिससे अचानक मृत्यु हो सकती है।
  • गर्मी के कारण फसलों को भी नुकसान हो सकता है, वनस्पति सूख सकती है और इसके परिणामस्वरूप सूखा पड़ सकता है।
  • प्रचंड गर्मी की लहर से ऊर्जा की मांग में भी वृद्धि होगी, विशेष रूप से बिजली की जिससे इसकी मूल्य दरों में वृद्धि होगी।
  • ‘हीट डोम’ जंगल की आग के लिये ईंधन के रूप में भी काम कर सकते हैं, जो हर साल अमेरिका में बहुत सारे भूमि क्षेत्र को नष्ट कर देता है।

जलवायु परिवर्तन और ‘हीट डोम्स’:

  • मौसम वैज्ञानिक अधिक भीषण गर्मी की लहरों के संबंध में जलवायु परिवर्तन के प्रभावों पर प्रकाश डालते रहे हैं।
    • वर्ष 2017 के NOAA (नेशनल ओशनिक एंड एटमॉस्फेरिक एडमिनिस्ट्रेशन) सर्वेक्षण के अनुसार, 19वीं सदी के उत्तरार्द्ध से औसत अमेरिकी तापमान में वृद्धि हुई है।
  • हालाँकि वैज्ञानिक आमतौर पर जलवायु परिवर्तन को किसी भी समकालीन घटना से जोड़ने से सावधान रहते हैं।

स्रोत- इंडियन एक्सप्रेस

close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2