नर्सिंग, प्रसूति विद्या और दंत चिकित्सा में सुधार के लिये स्वास्थ्य देखभाल विधेयक | 02 Aug 2023
प्रिलिम्स के लिये:राष्ट्रीय नर्सिंग और प्रसूति विद्या आयोग (NNMC) विधेयक, राष्ट्रीय दंत चिकित्सा आयोग विधेयक मेन्स के लिये:अर्थव्यवस्था में स्वास्थ्य क्षेत्र का महत्त्व, नर्सिंग, प्रसूति विद्या और दंत चिकित्सा से संबंधित चुनौतियाँ, सरकारी पहलें |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में लोकसभा ने राष्ट्रीय नर्सिंग और प्रसूति विद्या आयोग (National Nursing and Midwifery Commission- NNMC) विधेयक , 2023 तथा राष्ट्रीय दंत चिकित्सा आयोग विधेयक, 2023 पारित किया।
- इन विधेयकों का उद्देश्य मौजूदा अधिनियमों को निरस्त कर विभिन्न चिकित्सा क्षेत्रों में स्वास्थ्य देखभाल की गुणवत्ता में सुधार लाना है।
राष्ट्रीय नर्सिंग और प्रसूति विद्या आयोग विधेयक, 2023:
- परिचय:
- NNMC विधेयक एक महत्त्वपूर्ण स्वास्थ्य देखभाल कानून है जिसका उद्देश्य भारत में नर्सिंग और प्रसूति विद्या के क्षेत्र में सुधार एवं विस्तार करना है।
- इसके तहत नर्सिंग और प्रसूति विद्या पेशेवरों के लिये एक नियामक निकाय के रूप में राष्ट्रीय नर्सिंग और प्रसूति विद्या आयोग की स्थापना करने का निर्णय लिया गया है।
- भारतीय नर्सिंग काउंसिल अधिनियम, 1947 काफी पुराना है और नर्सिंग तथा प्रसूति विद्या पेशे की वर्तमान ज़रूरतों एवं मांगों के अनुरूप नहीं है। इसलिये शिक्षा, प्रशिक्षण, अभ्यास एवं सेवा मानक के मामले में पिछले कुछ वर्षों में महत्त्वपूर्ण विकास को देखते हुए इसमें सुधार किया गया है।
मुख्य विशेषताएँ:
- राष्ट्रीय नर्सिंग और प्रसूति विद्या आयोग:
- संरचना:
- इसमें 29 सदस्य होंगे।
- नर्सिंग और प्रसूति विद्या में स्नातकोत्तर डिग्री और 20 वर्षों के अनुभव के साथ अध्यक्ष।
- स्वास्थ्य और परिवार कल्याण विभाग, राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग, सैन्य नर्सिंग सेवा तथा स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय के पदेन सदस्य।
- नर्सिंग और प्रसूति विद्या पेशेवरों तथा धर्मार्थ संस्थानों के अन्य सदस्य।
- कार्य:
- नर्सिंग और प्रसूति विद्या हेतु शिक्षा के लिये नीतियाँ बनाना तथा मानकों को विनियमित करना।
- नर्सिंग और प्रसूति विद्या संस्थानों के लिये एक समान प्रवेश प्रक्रिया निर्धारित करना।
- नर्सिंग और प्रसूति विद्या संस्थानों को विनियमित करना।
- शिक्षण संस्थानों में संबद्ध संकाय के लिये मानक स्थापित करना।
- संरचना:
- स्वायत्त बोर्ड:
- नर्सिंग और प्रसूति विद्या स्नातक एवं स्नातकोत्तर शिक्षा बोर्ड: इसका कार्य स्नातक और स्नातकोत्तर स्तर पर शिक्षा तथा परीक्षा को विनियमित करना है।
- नर्सिंग और प्रसूति विद्या मूल्यांकन और रेटिंग बोर्ड: यह नर्सिंग तथा प्रसूति विद्या संस्थानों के मूल्यांकन एवं रेटिंग के लिये रूपरेखा प्रदान करता है।
- नर्सिंग और प्रसूति विद्या नैतिकता एवं पंजीकरण बोर्ड: पेशेवर आचरण को विनियमित करना तथा पेशे में नैतिकता को बढ़ावा देना।
- राज्य नर्सिंग और प्रसूति विद्या आयोग:
- इसका गठन राज्य सरकारों द्वारा किया जाना है।
- इसमें स्वास्थ्य विभाग और नर्सिंग/प्रसूति विद्या कॉलेजों के प्रतिनिधियों सहित 10 सदस्य शामिल होंगे।
- इसके कार्यों में पेशेवर आचरण लागू करना, राज्य रजिस्टरों में डेटा दर्ज करना, विशेषज्ञता प्रमाण-पत्र जारी करना तथा कौशल-आधारित परीक्षा का आयोजन करना शामिल है।
- संस्थाओं की स्थापना:
- नए नर्सिंग और प्रसूति विद्या संस्थान स्थापित करने अथवा सीटें/स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम बढ़ाने के लिये मूल्यांकन एवं रेटिंग बोर्ड से अनुमति लेना आवश्यक है।
- अस्वीकृति के मामले में राष्ट्रीय आयोग और केंद्र सरकार के पास अपील दायर करने की सुविधा उपलब्ध है।
- एक पेशेवर के रूप में अभ्यास हेतु:
- नर्सिंग या प्रसूति कार्य के लिये व्यक्तियों को राष्ट्रीय अथवा राज्य रजिस्टर में नामांकित होना अनिवार्य है।
- अनुपालन न करने पर कारावास अथवा ज़ुर्माना हो सकता है।
- सलाहकार परिषद:
- यह नर्सिंग और प्रसूति विद्या शिक्षा, सेवाओं, प्रशिक्षण और अनुसंधान पर राष्ट्रीय आयोग को सलाह एवं सहायता प्रदान करता है।
- इसमें प्रत्येक राज्य और केंद्रशासित प्रदेश, आयुष मंत्रालय, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग, राष्ट्रीय मूल्यांकन तथा प्रत्यायन परिषद, भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद एवं नर्सिंग/प्रसूति विद्याके पेशेवर प्रतिनिधि शामिल हैं।
राष्ट्रीय दंत चिकित्सा आयोग विधेयक, 2023:
- परिचय:
- राष्ट्रीय दंत चिकित्सा आयोग विधेयक भारत में दंत चिकित्सा के विनियमन और सुधार पर केंद्रित है।
- मुख्य विशेषताएँ:
- दंत चिकित्सा के पेशे को विनियमित करने के लिये राष्ट्रीय दंत चिकित्सा आयोग (National Dental Commission- NDC) की स्थापना।
- दंत चिकित्सक अधिनियम, 1948 का निरस्तीकरण।
प्रमुख बिंदु:
- राष्ट्रीय दंत चिकित्सा आयोग :
- संरचना:
- इसका गठन केंद्र सरकार द्वारा 33 सदस्यों के साथ किया जाएगा और इसकी अध्यक्षता एक प्रतिष्ठित व अनुभवी दंत चिकित्सक द्वारा की जाएगी।
- इसके अध्यक्ष की नियुक्ति खोज-सह-चयन (Search-Cum- Selection) समिति की सिफारिश पर केंद्र सरकार द्वारा की जाती है, जिसकी अध्यक्षता कैबिनेट सचिव करता है।
- आयोग के पदेन सदस्यों में तीन स्वायत्त बोर्डों के अध्यक्ष, स्वास्थ्य सेवाओं के महानिदेशक, दंत चिकित्सा और शैक्षिक अनुसंधान केंद्र, एम्स के प्रमुख शामिल हैं।
- अंशकालिक सदस्यों में सरकारी संस्थानों के दंत चिकित्सा संकाय और राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों के प्रतिनिधि शामिल हैं।
- कार्य:
- दंत चिकित्सा शिक्षा, संस्थानों, अनुसंधान और बुनियादी ढाँचे को विनियमित करना, साथ ही राष्ट्रीय पात्रता-सह-प्रवेश परीक्षा (NEET) के माध्यम से प्रवेश सुनिश्चित करना।
- संरचना:
- स्वायत्त बोर्ड:
- स्नातक और स्नातकोत्तर दंत चिकित्सा शिक्षा बोर्ड: इसका कार्य शिक्षा मानकों का निर्धारण, पाठ्यक्रम तैयार करना और दंत चिकित्सा संबंधी योग्यताओं को मान्यता देना है।
- दंत चिकित्सा मूल्यांकन और रेटिंग बोर्ड: यह दंत चिकित्सा संस्थानों के लिये अनुपालन मूल्यांकन प्रक्रिया निर्धारित करने, नए संस्थानों की स्थापना की अनुमति देने तथा निरीक्षण व रेटिंग का कार्य करता है।
- नैतिकता और दंत चिकित्सा पंजीकरण बोर्ड: यह दंत चिकित्सकों/दंत सहायकों के ऑनलाइन राष्ट्रीय रजिस्टरों के रख-रखाव, लाइसेंस निलंबन/रद्द करने और आचरण, नैतिकता तथा अभ्यास के दायरे के मानकों को विनियमित करने के लिये उत्तरदायी है।
- राज्य दंत चिकित्सा परिषद:
- इसकी स्थापना आगामी एक वर्ष के भीतर की जानी है, जो रजिस्टरों के रख-रखाव, शिकायतों के समाधान और प्रावधानों को लागू करने के लिये ज़िम्मेदार होगा।
- प्रवेश परीक्षा:
- बैचलर ऑफ डेंटल सर्जरी में प्रवेश के लिये NEET परीक्षा और लाइसेंसिंग तथा स्नातकोत्तर प्रवेश के लिये नेशनल एग्जिट टेस्ट (डेंटल) में उतीर्ण होना अनिवार्य है।
- नेशनल एग्जिट टेस्ट पास करने के बाद दंत चिकित्सा अभ्यास करने का लाइसेंस प्रदान किया जाता है, लेकिन अभ्यास शुरू करने से पहले राज्य/राष्ट्रीय रजिस्टर में पंजीकरण आवश्यक है।
- दंत चिकित्सा सलाहकार परिषद:
- इसका कार्य शिक्षा, प्रशिक्षण, अनुसंधान और दंत चिकित्सा शिक्षा तक समान पहुँच उपलब्ध कराने के संबंध में आयोग को सलाह देना है ।
- इस आयोग के पदेन सदस्य परिषद के पदेन सदस्य होते हैं।