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भारतीय राजनीति

विधानसभा सदस्य की सदस्यता रद्द

  • 21 Dec 2019
  • 4 min read

प्रीलिम्स के लिये:

जन-प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951

मेन्स के लिये:

न्यापालिका और विधायिका के पृथक्करण से संबंधित मुद्दे

चर्चा में क्यों?

16 दिसंबर, 2019 को इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने उत्तर प्रदेश के रामपुर ज़िले की स्वार विधानसभा सीट से निर्वाचित विधानसभा सदस्य अब्दुल्ला आज़म खान की सदस्यता रद्द कर दी।

क्या था मामला?

  • स्वार विधानसभा सीट पर वर्ष 2017 के चुनाव में पराजित उम्मीदवार द्वारा वर्ष 2017 में ही दाख़िल याचिका पर सुनवाई करते हुए 16 दिसंबर, 2019 को उच्च न्यायालय ने यह फैसला सुनाया। उच्च न्यायालय ने प्रस्तुत साक्ष्यों और गवाहों के आधार पर पाया कि चुनाव के वक्त (वर्ष 2017) में विजयी उम्मीदवार की आयु संविधान द्वारा निर्धारित आयु (25 वर्ष) से कम थी।
  • उच्च न्यायालय की जाँच में विजयी उम्मीदवार के चुनावी हलफ़नामे (30 सितंबर, 1990) और हाई स्कूल अंकतालिका (1 जनवरी, 1993) में दर्ज जन्मतिथियों में अंतर पाया गया।

संविधान के अनुसार राज्य विधानसभा चुनाव लड़ने की न्यूनतम योग्यता:

भारतीय संविधान में किसी भी व्यक्ति के राज्य विधानसभा चुनाव लड़ने के लिये निम्नलिखित अनिवार्यताएँ प्रस्तावित हैं -

  • वह भारत का नागरिक हो। (संविधान के अनुच्छेद 173 (1) के अनुसार)
  • आवेदन करते समय प्रत्याशी की आयु न्यूनतम 25 वर्ष हो। (संविधान के अनुच्छेद 173(2) के अनुसार)
  • प्रत्याशी को निर्वाचन आयोग द्वारा अधिकृत व्यक्ति के सामने निम्नलिखित शपथ अथवा प्रतिज्ञा लेनी अनिवार्य है -
    • वह भारत के संविधान के प्रति सच्ची निष्ठा रखेगा तथा इसके प्रति वफादार रहेगा।
    • वह भारत की संप्रभुता और अखंडता को बनाए रखने के लिये प्रतिबद्ध रहेगा।

इसके अलावा प्रत्याशियों को संसद द्वारा पारित जन-प्रतिनिधित्व अधिनियम (Representation of peoples Act) 1951 की निम्न धाराओं का पालन करना अनिवार्य है-

  • प्रत्याशी संबंधित राज्य की किसी विधानसभा का एक निर्वाचक हो। [जन-प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 5 (3)]
  • वह आरक्षित जाति या आरक्षित जनजाति से संबंधित हो यदि वह उपरोक्त जातियों के लिये आरक्षित किसी सीट से चुनाव लड़ना चाहता है।

प्रत्याशी की अयोग्यता से संबंधित प्रावधान :

  • यदि वह किसी राज्य अथवा केंद्रशासित प्रदेश में किसी लाभ के पद (Office of Profit) पर हो।
  • यदि उसे किसी न्यायालय द्वारा मानसिक रूप से बीमार घोषित किया गया हो।
  • यदि वह अघोषित रूप से दिवालिया हो।
  • यदि वह भारत का नागरिक न हो अथवा उसके पास किसी विदेशी राष्ट्र की स्वेच्छा से ग्रहण की गई नागरिकता हो।

यदि वह संसद द्वारा पारित जन-प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की निम्नलिखित में से किसी धारा के अनुसार अयोग्य हो-

  • यदि वह किसी अपराध का दोषी है तथा उसे 2 वर्ष या इससे अधिक की सज़ा दी गई है। [जन-प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 8(3)]
  • जेल में बंद कोई भी ऐसा व्यक्ति निर्वाचन में मत नहीं डाल सकता, जिसे कारावास की सज़ा दी गई हो, देश निकाला हो या पुलिस की कानूनी हिरासत में हो। [जन-प्रतिनिधित्व, अधिनियम, 1951 की धारा 62(5)]
  • प्रत्याशी ने आवेदन के समय अपनी आय व संपत्ति का सही ब्यौरा न दिया हो।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

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