शेख हसीना की पाँच सूत्री शांति योजना | 23 Sep 2017
चर्चा में क्यों?
बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने रोहिंग्या संकट के स्थायी हल हेतु संयुक्त राष्ट्र में पाँच सूत्री शांति प्रस्ताव पेश किया है।
प्रमुख बिंदु
- उन्होंने रोहिंग्या अल्पसंख्यक के नस्लीय संहार को समाप्त करने के लिये तत्काल कदम उठाए जाने की अपील की।
- ध्यातव्य है कि म्याँमार के रखाइन राज्य से हिंसा से कारण पलायन करने वाले तकरीबन 430,000 शरणार्थियों द्वारा सीमा पार शरण लेने के कारण बांग्लादेश में शरणार्थी संकट गहराता जा रहा है।
पाँच सूत्री शांति प्रस्ताव की प्रमुख विशेषताएँ
- म्याँमार को तत्काल रूप में हमेशा के लिये रखाइन राज्य में हिंसा और नस्लीय संहार को रोक देना चाहिये।
- संयुक्त राष्ट्र महासचिव द्वारा तत्काल म्याँमार में इस संबंध में जाँच पड़ताल हेतु एक दल भेजा जाना चाहिये।
- सभी नागरिक चाहे वे किसी भी धर्म और जाति के हो उन्हें म्याँमार में संरक्षित किया जाना चाहिये। इसके लिये संयुक्त राष्ट्र पर्यवेक्षण के तहत म्याँमार में एक 'सुरक्षित क्षेत्र' (Safe Zones) बनाया जा सकता है।
- बांग्लादेश में जबरन विस्थापित सभी रोहिंग्यायों की म्याँमार में उनके घरों में स्थाई वापसी सुनिश्चित की जानी चाहिये।
- साथ ही कोफी अन्नान आयोग रिपोर्ट (Kofi Annan Commission Report) की सिफारिश को तत्काल बिना किसी शर्त के पूरी तरह से लागू किया जाना चाहिये।
वर्तमान की स्थिति
- रखाइन राज्य में भड़की हिंसा के कारण हजारों की संख्या रोहिंग्या बांग्लादेश में शरण के लिये प्रवेश कर रहे हैं।
- हाल ही में आई.ओ.एम. (International Organisation for Migration) द्वारा प्रस्तुत एक अनुमान के अनुसार, पिछले तीन हफ़्तों में तकरीबन 430,000 से अधिक रोहिंग् ने बांग्लादेश में प्रवेश किया हैं।
- इसके अतिरिक्त ओ.आई.सी. (Organisation of Islamic Cooperation - OIC) की संपर्क समूह की बैठक में भी उन्होंने म्याँमार द्वारा शरणार्थियों को वापस लेने और 'राज्य के सिद्धांत’ (State Propaganda) जिसके अंतर्गत जातीय समूह को 'बंगालियों' के रूप में चिन्हित किया गया है, को तत्काल रूप से समाप्त करने की मांग की है।
(इस संबंध में अधिक जानकारी के लिये 16 सितंबर के वाद-प्रतिवाद-संवाद के ‘रोहिंग्या समस्या और समाधान के बिंदु’ लेख का अध्ययन कर सकते है ।)