सोने के आभूषणों के लिये हॉलमार्किंग आवश्यक | 15 Jan 2020
प्रीलिम्स के लिये:भारतीय मानक ब्यूरो, हॉलमार्क मेन्स के लिये:स्वर्ण आभूषणों की हॉलमार्किंग का महत्त्व |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में उपभोक्ता मामलों के विभाग ने स्वर्ण आभूषणों या स्वर्ण कलाकृतियों को बेचने के लिये उनकी हॉलमार्किंग (Hallmarking) को अनिवार्य करने की घोषणा कर दी है।
प्रमुख बिंदु:
- उपभोक्ता मामलों के विभाग द्वारा यह घोषणा सोने के गहने या कलाकृतियों को खरीदते समय उपभोक्ताओं के साथ होने वाली धोखाधड़ी को रोकने के लिये की गई है।
- ज्वैलर्स को अधिसूचना पर कार्यान्वयन के लिये एक वर्ष का समय दिया जाएगा ताकि ज्वैलर्स/खुदरा विक्रेता अपने पुराने/मौजूदा स्टॉक को क्लियर कर सकें तथा भारतीय मानक ब्यूरो (Bureau of Indian Standards-BIS) के साथ खुद को पंजीकृत कर सकें।
- वर्तमान में देश में कुल 28,849 ज्वैलर्स ही BIS के साथ पंजीकृत हैं।
- इसके क्रियान्वयन के लिये BIS अपने हॉलमार्किंग केंद्रों का विस्तार करेगा तथा प्रत्येक ज़िले में एक BIS केंद्र स्थापित किया जाएगा ।
- 15 जनवरी, 2020 से अधिसूचना लागू होने के बाद सोने के आभूषणों को केवल तीन श्रेणियों- 14 कैरेट, 18 कैरेट और 22 कैरेट में ही बेचा जा सकेगा।
- इससे पहले 9 कैरेट की श्रेणी में भी आभूषण बेचे जाते थे।
- हॉलमार्किंग मानकों का पालन न करने वाले ज्वैलर्स जो बिना हॉलमार्क के स्वर्ण निर्मित वस्तुओं को बेचेंगे उन ज्वैलर्स पर 1 लाख रुपए या स्वर्ण वस्तु की कीमत का 5 गुना ज़ुर्माना लगाया जाएगा।
BIS हॉलमार्क :
- यह सोने के साथ-साथ चाँदी के आभूषणों के लिये एक हॉलमार्किंग प्रणाली है जो धातु की शुद्धता को प्रमाणित करती है।
- यह प्रमाणित करता है कि आभूषण (स्वर्ण/चाँदी) भारतीय मानक ब्यूरो द्वारा निर्धारित मानकों के अनुरूप हैं ।
- सोने के आभूषणों के लिये हॉलमार्किंग की BIS प्रणाली अप्रैल 2000 में शुरू की गई ।
- BIS हॉलमार्क युक्त सोने के आभूषणों की पहचान के चार घटक होते हैं-
- BIS लोगो (The BIS logo)
- ज्वैलर्स का लोगो/कोड (Logo/Code of the Jeweller)
- परख केंद्र का लोगो (Logo of the Assaying Centre)
- सोने की शुद्धता (Purity of Gold)