जैव विविधता और पर्यावरण
जैवविविधता विरासत स्थल के रूप में गुप्तेश्वर वन
- 20 Feb 2024
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प्रिलिम्स के लिये:जैवविविधता विरासत स्थल (Biodiversity Heritage Site- BHS), जैवविविधता अधिनियम, 2002 मेन्स के लिये:जैवविविधता-विरासत स्थल (BHS), पर्यावरण प्रदूषण और गिरावट। |
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
चर्चा में क्यों?
ओडिशा के कोरापुट ज़िले में गुप्तेश्वर शिव मंदिर के निकट प्राचीन गुप्तेश्वर वन को राज्य का चौथा जैवविविधता विरासत स्थल (BHS) घोषित किया गया है।
गुप्तेश्वर वन से संबंधित प्रमुख तथ्य क्या हैं?
- क्षेत्र एवं महत्त्व:
- यह वन 350 हेक्टेयर के सीमांकित क्षेत्र को कवर करता है और जिसका स्थानीय समुदाय द्वारा पारंपरिक रूप से पूजनीय अपने पवित्र उपवनों के साथ अत्यधिक सांस्कृतिक महत्त्व है।
- वनस्पति एवं जैवविविधता:
- इस वन में वनस्पतियों और जीवों की उल्लेखनीय विविधता मौजूद है। यह वन स्तनधारियों की 28 प्रजातियों सहित कम-से-कम 608 जैव प्रजातियों का निवास स्थान है।
- महत्त्वपूर्ण प्रजातियाँ:
- वन में प्रलेखित उल्लेखनीय जीव-जंतु प्रजातियों में मगरमच्छ, कांगेर घाटी रॉक गेको, सेक्रेड ग्रोव बुश फ्रॉग और विभिन्न पक्षी जैसे काला बाजा, जेर्डन बाजा, मालाबेर ट्रोगोन, आम पहाड़ी मैना, सफेद पेट वाले कठफोड़वा और बैंडेड बे कोयल शामिल हैं।
- वन के भीतर चूना पत्थर की गुफाएँ चमगादड़ों की आठ प्रजातियों का आवास हैं, जिनमें से दो लगभग खतरे की श्रेणी में हैं।
- हिप्पोसाइडेरोस गैलेरिटस और राइनोलोफस रौक्सी IUCN की संकटापन्न (Near Threatened) की श्रेणी में हैं।
- पुष्प-विविधता:
- यह वन समृद्ध पुष्प विविधता का भी दावा करता है। इसमें भारतीय तुरही वृक्ष और भारतीय स्नैकरूट जैसे संकटग्रस्त औषधीय पौधे शामिल हैं।
जैवविविधता विरासत स्थल क्या है?
- परिचय:
- जैव विविधता विरासत (BHS) स्थल ऐसे पारिस्थितिक तंत्र होते हैं जिसमें अनूठे, सुभेद्य पारिस्थितिक तंत्र स्थलीय, तटीय एवं अंतर्देशीय जल तथा समृद्ध जैवविविधता वाले वन्य प्रजातियों के साथ-साथ घरेलू प्रजातियों, दुर्लभ एवं संकटग्रस्त, कीस्टोन प्रजाति पाई जाती हैं।
- कानूनी प्रावधान:
- जैवविविधता अधिनियम, 2002 की धारा 37(1) के प्रावधान के अनुसार, राज्य सरकार स्थानीय निकायों के परामर्श से समय-समय पर इस अधिनियम के अंतर्गत जैवविविधता के महत्त्व के क्षेत्रों को सरकारी राजपत्र में अधिसूचित कर सकती है।
- प्रतिबंध:
- जैवविविधता विरासत स्थल (BHS) के निर्माण से स्थानीय समुदायों की प्रचलित प्रथाओं और उपयोगों पर उनके द्वारा स्वेच्छा से तय की गई प्रथाओं के अतिरिक्त कोई प्रतिबंध अधिरोपित नहीं किया जा सकता है। इसका उद्देश्य संरक्षण उपायों के माध्यम से स्थानीय समुदायों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार करना है।
- भारत का प्रथम BHS:
- बेंगलुरु, कर्नाटक में स्थित नल्लूर इमली ग्रोव भारत का पहला जैवविविधता विरासत स्थल था, जिसे वर्ष 2007 में जैवविविधता विरासत स्थल घोषित किया गया था।
- राष्ट्रीय जैवविविधता प्राधिकरण के अनुसार फरवरी 2024 तक भारत में कुल 45 जैवविविधता विरासत स्थल मौजूद हैं।
- BHS में अंतिम पाँच परिवर्धन:
- हल्दी चार द्वीप पश्चिम बंगाल (मई 2023)
- बीरमपुर-बगुरान जलपाई पश्चिम बंगाल (मई 2023)
- तुंगकयोंग धो सिक्किम (जून 2023)
- गंधमर्दन हिल ओडिशा (मार्च 2023)
- गुप्तेश्वर वन ओडिशा (फरवरी 2024)
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न. दो महत्त्वपूर्ण नदियाँ- जिनमें से एक का स्रोत झारखंड है ( जो ओडिशा में दूसरे नाम से जानी जाती है) तथा दूसरी जिसका स्रोत ओडिशा में है- समुद्र में प्रवाह करने से पूर्व एक ऐसे स्थान पर संगम करती हैं जो बंगाल की खाड़ी से कुछ ही दूर है। यह वन्य जीवन तथा जैवविविधता का प्रमुख स्थल और सुरक्षित क्षेत्र है। निम्नलिखित में वह स्थल कौन-सा है? (a) भितरकनिका उत्तर: (a) प्रश्न. भारत की जैवविविधता के संदर्भ में सीलोन फ्रॉगमाउथ, कॉपरस्मिथ बार्बेट, ग्रे-चिन्ड मिनिवेट और ह्वाइट-थ्रोटेड रेडस्टार्ट क्या है? (2020) (a) पक्षी उत्तर: (a) मेन्स:प्रश्न. भारत में जैवविविधता किस प्रकार भिन्न है? जैवविविधता अधिनियम, 2002 वनस्पतियों और जीवों के संरक्षण में किस प्रकार सहायक है? (2018) |