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शासन व्यवस्था

गन वायलेंस

  • 21 Sep 2022
  • 7 min read

प्रिलिम्स के लिये:

शस्त्र (संशोधन) अधिनियम, 2019

मेन्स के लिये:

समाज से संबंधित चुनौतियाँ और मुद्दे, शस्त्र (संशोधन) अधिनियम, 2019

चर्चा में क्यों?

गन वायलेंस एक ऐसा मुद्दा है जिस पर विभिन्न देशों में अक्सर गरमा-गरम बहस होती रहती है।

  • बंदूक (Gun) विरोधी कार्यकर्त्ताओं ने अक्सर सार्वजनिक स्थानों पर सामूहिक गोलीबारी में निर्दोष लोगों की हत्या की ओर ध्यान आकर्षित किया है तथा अमेरिका में नागरिकों द्वारा बंदूक की खरीद पर प्रतिबंध लगाने का आह्वान किया है, साथ ही भारत में बढ़ती बंदूक की संस्कृति पर भी चिंता जताई है।

बंदूक तक पहुँच के पक्ष में तर्क:

  • कुछ लोगों का मानना है कि बंदूक वास्तव में अपराध करने की लागत बढ़ाकर अपराध की संभावना को कम कर सकती हैं। उनका मानना है कि बंदूक रखने वाले नागरिकों द्वारा संभावित रूप से बचाए गए जीवन की संख्या का आकलन करना मुश्किल है (केवल उन अपराधों को छोड़कर जो कभी नहीं हुए क्योंकि संभावित पीड़ितों के पास बंदूक थी)।
  • कुछ शोधकर्त्ताओं ने पाया है कि अमेरिका में अश्वेतों के बीच आग्नेयास्त्रों की पहुँच और लिंचिंग की घटनाओं के बीच एक मज़बूत नकारात्मक संबंध है। इसका तात्पर्य है कि आग्नेयास्त्रों तक पहुँच ने अश्वेतों को लिंचिंग की घटनाओं से बेहतर ढंग से बचाने में मदद की।

भारत में बंदूक रखने वालों की स्थिति:

  • वर्ष 2018 के स्मॉल आर्म्स सर्वे ने दावा किया कि भारत में असैन्य बंदूक का स्वामित्व आश्चर्यजनक रूप से 70 मिलियन है, जो अमेरिका के बाद दूसरे स्थान पर है।
    • यह आँकड़ा अजीब लगता है, यह देखते हुए कि भारत में बंदूक लाइसेंसों की संख्या सिर्फ 3.4 मिलियन है, उनमें से एक-तिहाई से अधिक उत्तर प्रदेश में हैं।
  • वर्ष 2016 में भारत बंदूक से की गई हत्याओं के मामले में तीसरे स्थान पर था, जिसमें 90% से अधिक मामलों में बिना लाइसेंस वाले हथियारों का प्रयोग शामिल था जो इंगित करता है कि अवैध बंदूकों की ज़ब्ती, एक बड़ी समस्या के लिये कम प्रभावशाली कदम है।
  • राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो की वर्ष 2020 की रिपोर्ट के अनुसार, उस वर्ष लगभग 75,000 आग्नेयास्त्रों को ज़ब्त किया गया था, जिनमें से लगभग आधे उत्तर प्रदेश से थे, जो व्यापक रूप से अवैध हथियारों के निर्माण के केंद्र के रूप में जाना जाता है।

भारत में शस्त्र नियंत्रण कानून:

  • शस्त्र अधिनियम, 1959:
    • परिचय: इसका उद्देश्य भारत में हथियारों और गोला-बारूद के अधिग्रहण, कब्ज़े, निर्माण, बिक्री, आयात, निर्यात एवं परिवहन से संबंधित सभी पहलुओं को शामिल करना है।
    • भारत में बंदूक का लाइसेंस प्राप्त करने के लिये अर्हताएँ:
      • भारत में बंदूक लाइसेंस प्राप्त करने के लिये न्यूनतम आयु सीमा 21 वर्ष है।
      • आवेदन करने से पांँच वर्ष पूर्व आवेदक को हिंसा या नैतिकता से जुड़े किसी भी अपराध का दोषी नहीं ठहराया गया हो, वह 'विकृत दिमाग' का न हो, न ही सार्वजनिक सुरक्षा और शांति के लिये खतरा हो।
      • संपत्ति योग्यता बंदूक लाइसेंस प्राप्त करने के लिये एक मानदंड नहीं है।
      • कोई आवेदन प्राप्त होने पर लाइसेंसिंग प्राधिकरण (अर्थात, गृह मंत्रालय), निकटतम पुलिस स्टेशन के प्रभारी अधिकारी को निर्धारित समय के भीतर पूरी तरह से जांँच के बाद आवेदक के बारे में एक रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिये कहता है।
    • अधिनियम की अन्य विशेषताएंँ:
      • यह 'निषिद्ध हथियार' को उन हथियारों के रूप में परिभाषित करता है जो या तो कोई भी हानिकारक तरल या गैस छोड़ते हैं, या ऐसे हथियार जिन्हें चलाने के लिये ट्रिगर दबाने की आवश्यकता होती है।
      • यह फसल सुरक्षा या खेल के लिये कम-से-कम 20 इंच के बैरल के साथ चिकनी बोर बंदूक के उपयोग की अनुमति देता है।
      • किसी भी संस्था को ऐसी किसी भी प्रकार की बंदूक को बेचने या स्थानांतरित करने की अनुमति नहीं है, जिस पर निर्माता का नाम, निर्माता का नंबर या कोई मुहर लगी पहचान चिह्न नहीं है।
  • आयुध संशोधन अधिनियम, 2019:
    • 2019 में संशोधित आयुध अधिनियम में एक व्यक्ति द्वारा खरीदी जा सकने वाले आग्नेयास्त्रों की संख्या को 3 से घटाकर 2 किया गया।
    • लाइसेंस की वैधता को वर्तमान के 3 वर्ष से बढ़ाकर 5 वर्ष कर दिया गया है।
    • यह सामाजिक सद्भाव सुनिश्चित करने के लिये लाइसेंस प्राप्त हथियारों के उपयोग को कम करने के लिये विशिष्ट प्रावधानों को भी सूचीबद्ध करता है।
    • बिना लाइसेंस के प्रतिबंधित गोला-बारूद के अधिग्रहण, हथियाने या ले जाने के अपराध के लिये जुर्माने के साथ-साथ कारावास की सज़ा को 7 से 14 साल के बीच कर दिया गया है।
      • यह बिना लाइसेंस के आग्नेयास्त्रों की एक श्रेणी को दूसरी श्रेणी में बदलने पर रोक लगाता है।
      • गैरकानूनी निर्माण, बिक्री और हस्तांतरण के लिये कम-से-कम सात साल के कैद की सज़ा दी जा सकती है, जिसे ज़ुर्माने के साथ-साथ आजीवन कारावास तक बढ़ाया जा सकता है।

आगे की राह

  • एक तरीका यह है कि सख्त़ बंदूक नियंत्रण लागू किया जाए और गंभीरता के साथ प्रतिबंधित किया जाए कि कौन हथियार खरीद सकता है। इस संबंध में अमेरिकी कानून बहुत लचीले और उदार हैं।
  • भारत को भी आग्नेयास्त्रों के अधिग्रहण और कब्ज़े से संबंधित कानूनों की समीक्षा करने और उन्हें कड़ा करने की आवश्यकता है।

स्रोत: द हिंदू

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