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जैव विविधता और पर्यावरण

गुजरात में पेयजल की समस्या का समाधान

  • 21 May 2019
  • 3 min read

चर्चा में क्यों?

हर साल गुजरात के उत्तरी क्षेत्र और सौराष्ट्र (North Gujarat and Saurashtra) को पेयजल की भारी किल्लत का सामना करना पड़ता है। गौरतलब है कि ये दोनों राज्य के सूखे से प्रभावित क्षेत्र हैं किंतु अब इस समस्या से निपटने के लिये गुजरात सरकार एक विस्तृत योजना लाने की तैयारी कर रही है।

प्रमुख बिंदु

  • गुजरात सरकार की इस योजना के तहत अब स्वच्छ जल का इस्तेमाल केवल पेयजल के रूप में तथा सिंचाई के लिये किया जाएगा और उद्योगों की जल संबंधी आवश्यकताओं को उपचारित अपशिष्ट जल से पूरा किया जाएगा।
  • अगले 3-4 वर्षों में उद्योगों की आवश्यकताओं का 80% से अधिक जल की आपूर्ति उपचारित अपशिष्ट जल (Treated Waste Water- TWW) के माध्यम से की जाएगी। उपचारित अपशिष्ट जल (TWW) की आपूर्ति सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट्स (Sewerage Treatment Plants- STPs) से की जाएगी।
  • गुजरात में सीवेज से कुल 4,000 मिलियन लीटर जल प्रतिदिन निकलता है, जबकि इसकी जल उपचार क्षमता 3,500 मिलियन लीटर प्रतिदिन (Million Litres per Day- MLD) है।
  • अगले 2-3 वर्षों में नए सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट्स की स्थापना तथा मौजूदा प्लांट्स के विस्तार द्वारा इस क्षमता को बढ़ाते हुए 5000 मिलियन लीटर प्रतिदिन (MLD) कर दिया जाएगा।

क्यों महत्त्वपूर्ण है यह योजना?

  • गुजरात में ताज़े जल के सीमित स्रोत हैं, जबकि मांग लगातार बढ़ रही है। ऐसी स्थिति में पेयजल की समस्या के समाधान के लिये उचित तरीके अपनाने की सख्त आवश्यकता है जिसके मद्देनज़र गुजरात सरकार यह योजना बना रही है।
  • इस योजना के परिणामस्वरूप शहरों और कस्बों में बढ़ते प्रदूषण की समस्या से भी निपटा जा सकेगा।

सीवरेज ट्रीटमेंट

  • सीवरेज ट्रीटमेंट प्रक्रिया में घरेलू अपशिष्ट जल, गंदे जल से संदूषित पदार्थों को हटाया जाता है।
  • इस प्रक्रिया में ऐसे विभिन्न भौतिक, रासायनिक और जैविक पदार्थों को हटाया जाता है जो जल को हानिकारक बनाते हैं।
  • सीवरेज ट्रीटमेंट में विभिन्न भौतिक, रासायनिक और जैविक प्रक्रियाएँ अपनाई जाती हैं।

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स्रोत- द हिंदू

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