वस्तु एवं सेवा कर से सोने की मांग प्रभावित। | 07 Jul 2017
संदर्भ
विश्व स्वर्ण परिषद (World Gold Council-WGC) का मानना है कि वस्तु एवं सेवा कर के कारण देश में लघु अवधि के लिये सोने की मांग प्रभावित हो सकती है। छोटे स्वर्ण आभूषण कारीगरों और खुदरा व्यापारियों को इस नई कर व्यवस्था को अपनाने में आरंभ में परेशानी आ सकती है।
प्रमुख बिंदु
- भारत विश्व का दूसरा सबसे बड़ा स्वर्ण उपभोक्ता देश है। यहाँ विवाह-समारोहों से लेकर निवेश उद्देश्य तक के लिये स्वर्ण का उपयोग होता है।
- भारत में सोने की दो-तिहाई मांग ग्रामीण क्षेत्रों से आती है।
- देश भर में 1 जुलाई से लागू नई बिक्री कर व्यवस्था में सोने पर वस्तु और सेवा कर पिछले 1.2% से बढ़ा कर 3% तक कर दिया गया है।
तस्करी
- कर की बढ़ोतरी से भारत में सोने की तस्करी बढ़ सकती है, क्योंकि यहाँ लाखों लोग संपत्ति के रूप में सोने के बुलियनों एवं आभूषणों में रखना पसंद करते हैं।
- इस बीच, डब्ल्यूजीसी ने कहा है कि सरकार के 1 अप्रैल से 2,00,000 रुपए ($ 3,090) से अधिक के नकदी के लेन-देन पर प्रतिबंध लगाने से ग्रामीण क्षेत्रों में सोने की मांग को नुकसान पहुँच सकता है, क्योंकि किसान अक्सर स्वर्ण खरीदने के लिये नकदी का उपयोग करते हैं। गौरतलब है कि सोने की दो-तिहाई मांग ग्रामीण क्षेत्रों में होती है।
- डब्ल्यूजीसी ने भारत के लिये स्वर्ण मांग का अनुमान 2017 के लिये 650 टन से 750 टन रखा है, जो पिछले पाँच वर्षों में 846 टन की औसत वार्षिक मांग से कम है।
क्या है विश्व स्वर्ण परिषद
- विश्व स्वर्ण परिषद, स्वर्ण उद्योग के लिये बाज़ार विकास संगठन है।
- यह स्वर्ण उद्योग के लिये स्वर्ण खनन से निवेश तक, सभी क्षेत्रों में काम करता है और इसका उद्देश्य सोने की मांग को प्रोत्साहित करना और बनाए रखना है।
- विश्व स्वर्ण परिषद अक्सर ऐसे शोध प्रकाशित करता है, जो निवेशकों और देशों दोनों के लिये धन के संरक्षक के रूप में सोने की ताकत को दर्शाता है।
- इसका मुख्यालय यू.के. में है तथा भारत, चीन, सिंगापुर, जापान और संयुक्त राज्य अमेरिका में कार्यालय हैं।
- विश्व स्वर्ण परिषद एक ऐसा संगठन है, जिसका सदस्य दुनिया की अग्रणी सोने की खनन कंपनियाँ हैं।