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धारा 370 की वजह से जम्मू-कश्मीर में देरी से लागू हुआ जीएसटी

  • 11 Jul 2017
  • 6 min read

संदर्भ
सारे देश में 1 जुलाई से वस्तु एवं सेवा कर यानी जीएसटी लागू हो गया था, लेकिन जम्मू-कश्मीर में यह 8 जुलाई से लागू हुआ। ऐसा क्यों हुआ, सारे देश के साथ वहाँ जीएसटी क्यों लागू नहीं हुआ? 8 दिन तक जम्मू-कश्मीर नए टैक्स शासन का हिस्सा नहीं रहा । दरअसल, वहाँ समस्या यह थी कि सभी दलों में इसको लेकर सहमति नहीं थी। जम्मू -कश्मीर में पीडीपी-बीजेपी की गठबंधन सरकार पर अन्य राजनीतिक दलों ने जीएसटी लागू करने को लेकर आम लोगों को गुमराह करने के आरोप लगाए।

प्रमुख बिंदु

  • भारत के राष्ट्रपति ने जब 8 जुलाई को दो अध्यादेशों (केन्द्रीय वस्‍तु एवं सेवा कर (जम्मू-कश्मीर में विस्तार) अध्यादेश, 2017 और एकीकृत वस्‍तु एवं सेवा कर (जम्मू-कश्मीर में विस्तार) अध्यादेश, 2017) को मंज़ूरी दी तो जम्मू-कश्मीर भी जीएसटी टैक्स व्यवस्था का हिस्सा बन गया। 
  • भारत के संविधान में 101वाँ संशोधन अधिनियम, 2016, जिसने देश में जीएसटी लागू करने का मार्ग प्रशस्त किया, जम्मू-कश्मीर पर भी लागू हो गया।
  • देश के अन्य राज्यों के विपरीत जम्मू-कश्मीर पर लागू विशेष प्रावधानों के कारण राज्य को जीएसटी प्रणाली में शामिल होने से पहले कुछ अतिरिक्त कदम उठाना आवश्‍यक था। 
  • जीएसटी पर सभी राजनीतिक दलों की सहमति बनाने के लिये 4 जुलाई से विधानसभा का सत्र बुलाया गया।
  • 6 जुलाई को जम्मू-कश्मीर राज्य ने जीएसटी व्‍यवस्‍था को अपनाने की दिशा में पहला कदम उठाया था, क्‍योंकि भारत के राष्ट्रपति ने संविधान (जम्मू-कश्मीर पर लागू) संशोधन आदेश, 2017 को मंज़ूरी दे दी।
  • 7 जुलाई को जम्मू-कश्मीर वस्‍तु एवं सेवा कर विधेयक, 2017 राज्य विधानसभा और विधान परिषद में पारित हुआ और इसके फलस्‍वरूप राज्य को 8 जुलाई से राज्‍य के भीतर होने वाली आपूर्ति पर राज्य जीएसटी लगाने का अधिकार मिल गया। 
  • जीएसटी लागू होने को लेकर उठी आशंकाओं के लिये राज्य सरकार ने कहा कि यह राज्य के व्यापारियों के हित में है और राज्य के विशेष दर्जे पर कोई खतरा नहीं है। 
  • अन्य राज्यों के विपरीत, जम्मू-कश्मीर के कराधान के अधिकार राज्य संविधान में निहित हैं, न कि भारत के संविधान की सातवीं अनुसूची में।
  • राष्ट्रपति के आदेश का नियम-3 स्पष्ट करता है कि जम्मू-कश्मीर के संविधान की धारा-5 के अनुसार राज्य की शक्तियाँ बरकरार रहेंगी। 
  • धारा 246 ए (1) के तहत राज्य के विधानमंडल को वस्तुओं और सेवाओं के संबंध में कानून बनाने की शक्तियाँ प्राप्त हैं। 
  • राज्य की विशेष स्थिति और विशेष कराधान अधिकारों के चलते जम्मू-कश्मीर संविधान की धारा 5 के माध्यम से विधायिका को कर लगाने संबंधी कानून बनाने की विशेष शक्तियाँ होंगी। 

क्या होता अगर लागू नहीं होता?

  • अगर जम्मू-कश्मीर में जीएसटी लागू नहीं होता तो उसका जो भी इनपुट-क्रेडिट होता वह यहाँ के व्यापारियों को नहीं मिल पाता अर्थात उनको दोगुनी क़ीमत अदा करनी पड़ती। 
  • कश्मीर में किसी उत्पाद को ले जाने में दो बार कर अदा करना पड़ता, पहला जीएसटी होगा और दूसरा राज्य का टैक्स।
  • ऐसे में या तो जम्मू-कश्मीर को अपना एक टैक्स कानून बनाना पड़ता या फिर राज्य सरकार को ही केंद्र का सीजीएसटी और राज्य का एसजीएसटी काटना पड़ता।

धारा 370 देती है कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा
विभाजन के कुछ समय बाद पाकिस्तान समर्थित कबायलियों के आक्रमण के बाद कश्मीर के तत्कालीन राजा हरि सिंह ने जब कश्मीर के भारत में विलय का प्रस्ताव रखा था, तब विलय की संवैधानिक प्रक्रिया पूरी करने का समय नहीं था। तब संघीय संविधान सभा में गोपालस्वामी आयंगर ने धारा 306-ए का प्रारूप प्रस्तुत किया था, जो बाद में धारा 370 बन गई।

  • धारा 370 के तहत आज़ादी मिलने के बाद से लेकर अब तक जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा मिला हुआ है। 
  • यहां की विधानसभा का कार्यकाल 6 वर्षों का होता है, जबकि भारत के अन्य राज्यों की विधानसभाओं का कार्यकाल 5 वर्ष का होता है।
  • धारा 370 के प्रावधानों के तहत संसद को जम्मू-कश्मीर के बारे में रक्षा, विदेश मामले और संचार के विषय में कानून बनाने का अधिकार है। 
  • किसी अन्य विषय से सम्बन्धित क़ानून को लागू करवाने के लिये केन्द्र को राज्य सरकार का अनुमोदन लेना पड़ता है।
  • जम्मू-कश्मीर पर संविधान की धारा 356 लागू नहीं होती, इस कारण राष्ट्रपति के पास राज्य के संविधान को बर्ख़ास्त करने का अधिकार नहीं है। 
  • भारतीय संविधान की धारा 360 यानी देश में वित्तीय आपातकाल लगाने वाला प्रावधान जम्मू-कश्मीर पर लागू नहीं होता।
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