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विकास दर पिछले तीन साल में सबसे निचले स्तर पर

  • 02 Sep 2017
  • 3 min read

चर्चा में क्यों ?

नोटबंदी का असर नए वित्त वर्ष की पहली तिमाही में भी दिखा है। चालू वित्त वर्ष 2017-18 की पहली तिमाही में आर्थिक विकास दर में बड़ी गिरावट दर्ज़ की गई है और यह तीन साल के सबसे निचले स्तर पर पहुँच गई है।  अप्रैल से जून की तिमाही में जीडीपी की विकास दर महज 5.7 फीसदी रही है।  

पिछले वित्त वर्ष की पहली तिमाही में जीडीपी की विकास दर 7.9 फीसदी थी, यानी पिछले वित्त वर्ष के मुकाबले इसकी पहली तिमाही में विकास दर में दो फीसदी से अधिक की गिरावट दर्ज़ की गई है। जीडीपी की रिपोर्ट आने के बाद वित्त मंत्री ने इस पर बड़ी चिंता जताई है।  

प्रमुख बिंदु

  • ये आँकड़े केंद्रीय सांख्यिकीय संगठन द्वारा गुरुवार को ज़ारी किये गए थे। 
  • चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में जीडीपी 5.7% की वृद्धि दर के साथ 31.10 लाख करोड़ रुपए की रही। यह बाज़ार की उम्मीदों के विपरीत है। उम्मीद थी कि यह पिछली तिमाही के स्तर 6.1% से अधिक रहेगी। 

गिरावट का कारण 

  • जानकारों के अनुसार विकास दर में गिरावट की प्रमुख वज़ह उद्योग क्षेत्र के निराशाजनक प्रदर्शन से है, जो पिछले साल 7.4% की तुलना में 1.6% पर आ गई है। पिछली तिमाही में औद्योगिक उत्पादन में 3.1% की वृद्धि हुई थी। 
  • विश्लेषकों ने गत पाँच साल में विनिर्माण क्षेत्र के लिये इसे सबसे खराब तिमाही माना है। 
  • विनिर्माण क्षेत्र ने पिछली तिमाही में 5.3% की तुलना में इस बार 1.2% की वृद्धि दर्ज़ की और पिछले साल की इसी तिमाही में यह 10.7% थी। 
  • खनन गतिविधि में भी पिछली तिमाही में 6.4% की वृद्धि के मुकाबले इस बार 0.7% की गिरावट आई है। 
  • सेवा क्षेत्र का प्रदर्शन संतोषजनक रहा, परंतु कृषि क्षेत्र ने निराश किया है।  
  • नोटबंदी के कारण नकदी की कमी से उद्योग-धंधों पर असर पड़ा था। 
  • यद्यपि सरकार द्वारा 1 जुलाई से जीएसटी लागू किया गया था, परंतु इसे लेकर पहले से ही बाज़ार में अनिश्चितता फैल गई थी। विनिर्माण, उत्पादन व अन्य क्षेत्रों कामकाज ठप्प हो गया था। 
  • विकास दर में गिरावट का एक बड़ा हिस्सा इनपुट की लागत में वृद्धि से भी है। 

आगे की राह 

  • अर्थव्यस्था की यह स्थिति वाकई चिंताजनक है। इन आँकड़ों को सुधारने के लिये सरकार को नीतिगत और निवेश के स्तर पर कई कार्य करने होंगे।
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