भारतीय अर्थव्यवस्था
बैंक ऋण और जमा में वृद्धि: RBI
- 16 Mar 2021
- 7 min read
चर्चा में क्यों?
हाल ही में भारतीय रिज़र्व बैंक (Reserve Bank of India- RBI) द्वारा जारी किये गए आँकड़ों से पता चला है कि जनवरी 2021 की तुलना में फरवरी 2021 में बैंक ऋण (Credit) और जमा (Deposit) में वृद्धि हुई थी।
- फरवरी 2021 का ऋण और जमा आँकड़ा फरवरी 2020 (कोविड महामारी से पूर्व) के आँकड़े से अधिक था।
प्रमुख बिंदु
RBI का बैंक से संबंधित आँकड़ा:
- फरवरी 2021 के अंत में:
- बैंक ऋण 6.63% बढ़कर 107.75 लाख करोड़ रुपए हो गया जो फरवरी 2020 में 101.05 लाख करोड़ रुपए था।
- बैंक जमा 12.06% बढ़कर 149.34 लाख करोड़ रुपए हो गया जो फरवरी 2020 में 133.26 लाख करोड़ रुपए था।
- ऋण वृद्धि का कारण:
- बैंक ऋण में वृद्धि, खुदरा ऋण में वृद्धि से प्रेरित है।
- खुदरा ऋण में विभिन्न ऋणों की एक विशाल शृंखला शामिल है। व्यक्तिगत ऋण जैसे- कार ऋण, बंधक, क्रेडिट कार्ड आदि सभी खुदरा ऋण की श्रेणी में आते हैं, लेकिन व्यावसायिक ऋण भी खुदरा ऋण की श्रेणी में आ सकते हैं।
- समग्र खुदरा ऋण वृद्धि जो वर्तमान में 9% है, में बंधक (खुदरा ऋणों का 51% योगदान), असुरक्षित (कार्ड/व्यक्तिगत ऋण) और वाहन ऋण के कारण तेज़ी आने की उम्मीद है।
बैंक ऋण:
- बैंक और वित्तीय संस्थान अपने ग्राहकों को उधार दिये गए धन से लाभ कमाते हैं।
- इस प्रकार का धन ग्राहक के खाते में जमा धन या कुछ निवेश वाहनों जैसे कि जमा प्रमाणपत्र (Certificate of Deposit) में निवेश से दिया जाता है।
- जमा प्रमाणपत्र एक ऐसा उत्पाद है जो बैंकों और क्रेडिट यूनियनों द्वारा दिया किया जाता है, जो ग्राहक को एक पूर्व निर्धारित अवधि तक जमा राशि छोड़ने पर ब्याज प्रदान करता है।
- इस प्रकार का धन ग्राहक के खाते में जमा धन या कुछ निवेश वाहनों जैसे कि जमा प्रमाणपत्र (Certificate of Deposit) में निवेश से दिया जाता है।
- बैंक ऋण में वित्तीय संस्थानों द्वारा व्यक्तियों या व्यवसायों को दिये गए कुल राशि को शामिल किया जाता है। यह बैंकों और उधारकर्त्ताओं के बीच एक समझौता है जहाँ बैंक उधारकर्त्ताओं को ऋण देते हैं।
भारत में बैंक ऋण:
- भारत में बैंक ऋण का अर्थ अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों में अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों (Scheduled Commercial Bank) द्वारा दिये गए ऋण से है।
- बैंक ऋण को खाद्य ऋण (Food Credit) और गैर खाद्य ऋण (Non Food Credit) में वर्गीकृत किया जाता है।
- यह ऋण मुख्य रूप से बैंकों द्वारा भारतीय खाद्य निगम (Food Corporation of India) को खाद्यान्नों की खरीद के लिये दिये गए ऋण के रूप में दर्शाता है। यह कुल बैंक ऋण का एक छोटा हिस्सा है।
- बैंक ऋण का प्रमुख हिस्सा गैर-खाद्य ऋणों का है, जिसमें अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों (कृषि, उद्योग और सेवा) के ऋण और व्यक्तिगत ऋण शामिल हैं।
- RBI द्वारा मासिक आधार पर बैंक ऋण का आँकड़ा एकत्र किया जाता है।
बैंक जमा:
- बैंक जमा का अर्थ सुरक्षा के लिये बैंकिंग संस्थानों में रखे गए पैसे से है। ये जमा बचत खातों, चालू खातों और मुद्रा बाज़ार जैसे खातों में किये जाते हैं।
- खाता धारक को यह अधिकार है कि वह ज़रूरत पड़ने पर खाता समझौते को संचालित करने वाले नियमों और शर्तों के अनुसार जमा धन को निकल सकता है।
भारत में बैंक जमा : भारत में बैंक जमा के चार प्रमुख प्रकार हैं:
- चालू खाता:
- चालू खाता एक विशेष प्रकार का खाता है, जिसमें निकासी और लेनदेन पर बचत खाते की तुलना में कम प्रतिबंध होता है।
- इसे मांग जमा खाता (Demand Deposit Account) के रूप में भी जाना जाता है जो व्यवसायियों हेतु व्यापार में लेन-देन को सुचारू रूप से संचालित करने के लिये होता है।
- बैंक इन खातों पर ओवरड्राफ्ट (Overdraft- खाताधारकों के खातों में मौजूद धन से अधिक धन निकालने की सुविधा) की सुविधा भी प्रदान करते हैं।
- बचत खाता:
- यह खाता उच्च तरलता वाला होता है जो आम जनता के बीच अत्यधिक लोकप्रिय है। हालाँकि इसमें डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देने के लिये नकद निकासी और लेन-देन की सीमा निर्धारित है।
- बैंक एक ब्याज दर प्रदान करते हैं जो मुद्रास्फीति (Inflation) से थोड़ा अधिक होती है, इसलिये बचत खाता निवेश के लिये बहुत इष्टतम नहीं है।
- आवर्ती जमा:
- यह एक विशेष प्रकार का सावधि जमा है जहाँ एकमुश्त बचत करने की आवश्यकता नहीं होती है, बल्कि किसी व्यक्ति को हर महीने एक निश्चित राशि जमा करनी होती है।
- इस खाते में समय से पहले निकासी की अनुमति नहीं होती है, लेकिन जुर्माने के साथ जमा की परिपक्वता तिथि से पहले भी खाते को बंद किया जा सकता है।
- सावधि जमा:
- यह बैंकों, वित्तीय संस्थानों और गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों द्वारा प्रदत्त जमा योजना है, जिसमें एक नियत अवधि में जमा की गई धनराशि पर ब्याज दिया जाता है।
- इस प्रकार की जमाओं पर बचत खाते की तुलना में अधिक ब्याज मिलता है, जिसमें जमा की अवधि 7 दिन से लेकर 10 वर्ष तक हो सकती है।