भारतीय अर्थव्यवस्था
घरेलू संवृद्धि दर मज़बूत बनी रहेगी
- 17 Aug 2018
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चर्चा में क्यों?
भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) के गवर्नर उर्जित पटेल के अनुसार, घरेलू संवृद्धि दर अच्छे मानसून के कारण उचित रूप से मज़बूत बनी रहेगी जो कि इस महीने की शुरुआत में हुई मौद्रिक समिति की बैठक की रिपोर्ट में अब तक सामान्य मानी जा रही थी। यह कृषि क्षेत्र के लिये एक शुभ संकेत है।
प्रमुख बिंदु
- रिज़र्व बैंक के गवर्नर के अनुसार, विनिर्माण क्षेत्र मज़बूत रहा है और विगत कुछ महीनों में सेवाओं की गतिविधि के कई उच्च आवृत्ति संकेतक तेज़ी से बढ़े हैं।
- बढ़ते व्यापार संरक्षणवाद के कारण भारत के निर्यात में कमी आने से घरेलू निवेश और संवृद्धि की संभावनाओं पर असर पड़ सकता है।
- 1 अगस्त को हुई बैठक में आरबीआई ने चालू वित्त वर्ष में सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर को 7.4% के अपने पूर्वानुमान पर बरकरार रखा और 2019-20 की पहली तिमाही के लिये 7.5% की दर का अनुमान लगाया।
- ध्यातव्य है कि गृह किराया भत्ते के प्रभाव को छोड़कर, उपभोक्ता मूल्य मुद्रास्फीति ने जून माह में लगातार तीसरे महीने में बढ़त हासिल की।
- खरीफ फसलों के लिये किये गए न्यूनतम समर्थन मूल्य में बदलाव से मुद्रास्फीति पर पड़ने वाले प्रभाव में अनिश्चितता देखी गई। इन पर पड़ने वाले प्रभावों की स्पष्ट तस्वीर आने वाले कुछ महीनों में दिखने की संभावना व्यक्त की गई है।
- 1 अगस्त को आरबीआई ने बेंचमार्क रेपो दर में 25 आधार अंकों (BPS) की बढ़ोत्तरी की थी, जहाँ मौद्रिक समिति के छह में से पाँच सदस्यों ने वृद्धि के लिये मतदान किया था।
अन्य जोखिम
- रिज़र्व बैंक द्वारा किये गए परिवार संबंधी मुद्रास्फीति प्रत्याशा सर्वेक्षण (IES) के पिछले तीन दौरों में 3 महीने और 12 महीने आगे की मुद्रास्फीति की प्रत्याशा में क्रमशः 110 बीपीएस और 150 बीपीएस के वृद्धि की उम्मीद है।
- यह भी ध्यान देने योग्य है कि मई और जून माह के लिये मासिक हेडलाइन मुद्रास्फीति आरबीआई द्वारा अनुमानित मुद्रास्फीति की अपेक्षा कम हो गई।