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जैव विविधता और पर्यावरण

सकल घरेलू जलवायु जोखिम रैंकिंग

  • 22 Feb 2023
  • 13 min read

प्रिलिम्स के लिये:

सकल घरेलू जलवायु जोखिम रैंकिंग, RCP8.5

मेन्स के लिये:

जलवायु जोखिम, अनुकूलन और शमन

चर्चा में क्यों?

क्रॉस डिपेंडेंसी इनिशिएटिव (Cross Dependency Initiative- XDI) की सकल घरेलू जलवायु जोखिम रैंकिंग के अनुसार, भारत के 50 सबसे अधिक जोखिम वाले राज्यों में नौ राज्य- पंजाब, बिहार, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान, तमिलनाडु, गुजरात, केरल और असम शामिल हैं।

  • XDI एक वैश्विक संगठन है जो क्षेत्रों, बैंकों और कंपनियों हेतु जलवायु जोखिम विश्लेषण में विशेषज्ञता रखता है। 

रिपोर्ट के संदर्भ में: 

  • सूचकांक में वर्ष 2050 तक दुनिया भर में 2,600 राज्यों और प्रांतों में इमारतों और संपत्तियों जैसे निर्मित परिवेश के 'भौतिक जलवायु जोखिम' का विश्लेषण किया गया है।
  • सूचकांक ने प्रत्येक क्षेत्र हेतु समग्र क्षति अनुपात (Aggregated Damage Ratio- ADR) निर्दिष्ट किया है, जो वर्ष 2050 तक क्षेत्र में पर्यावरण को होने वाली क्षति की कुल मात्रा को दर्शाता है। उच्च ADR अधिक जोखिम को दर्शाता है। 

प्रमुख बिंदु 

  • भेद्यता (Vulnerabilities): 
    • 8 जलवायु आपदाओं के कारण उत्पन्न जोखिम: नदी और सतह की बाढ़, तटीय बाढ़, अत्यधिक गर्मी, वनाग्नि, मृदा संचलन (सूखा संबंधित), पवन तथा बर्फ का तेज़ी से पिघलना एवं जमना आदि सभी चरम मौसमी घटनाओं के उदाहरण हैं।
      • विश्व स्तर पर निर्मित बुनियादी ढाँचे को सबसे अधिक क्षति "नदी और सतह की बाढ़ या तटीय बाढ़ के साथ संयुक्त बाढ़" के कारण होती है। 
  • वैश्विक निष्कर्ष:  
    • रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2050 तक अपने भौतिक बुनियादी ढाँचे हेतु उच्चतम जलवायु जोखिम का सामना करने वाले 50 प्रांतों में से अधिकांश (80%) चीन, अमेरिका और भारत में हैं।
    • चीन की दो सबसे बड़ी उप-राष्ट्रीय अर्थव्यवस्थाएँ जियांगसू और शेडोंग वैश्विक रैंकिंग में शीर्ष पर हैं, इसके बाद अमेरिका का स्थान है जिसके 18 क्षेत्र शीर्ष 100 की सूची में हैं।
    • इस सूची में एशिया महाद्वीप के शीर्ष 200 क्षेत्रों में से 114 क्षेत्र हैं, जिसमें पाकिस्तान, इंडोनेशिया और अधिकांश दक्षिण-पूर्व एशियाई देश शामिल हैं। 
      • वर्ष 2022 में विनाशकारी बाढ़ ने पाकिस्तान के 30% क्षेत्र को प्रभावित किया और सिंध प्रांत में 9 लाख से अधिक घरों को आंशिक या पूरी तरह से क्षतिग्रस्त कर दिया।
  • भारत विशिष्ट निष्कर्ष: 
    • प्रतिनिधि संकेंद्रण मार्ग (Representative Concentration Pathway- RCP) 8.5 जैसे उच्च उत्सर्जन परिदृश्यों के तहत उच्च जोखिम वाले प्रांतों में वर्ष 2050 तक क्षतिकारक जोखिम में औसतन 110% की वृद्धि देखी जाएगी।
      • वर्तमान में तापमान में 0.8 डिग्री की वृद्धि के साथ भारत के 27 राज्य और इसके तीन-चौथाई से अधिक ज़िले चरम घटनाओं के केंद्र हैं, जो सकल घरेलू उत्पाद में 5% की हानि हेतु ज़िम्मेदार हैं।
    • यदि ग्लोबल वार्मिंग 2-डिग्री तापमान की सीमा/थ्रेशोल्ड तक सीमित नहीं रही, तो भारत के जलवायु-संवेदनशील राज्यों के सकल राज्य घरेलू उत्पाद (Gross State Domestic Product- GSDP) में 10% की गिरावट हो सकती है।
    • अन्य भारतीय राज्यों में बिहार, असम और तमिलनाडु का SDR सबसे अधिक है। असम, विशेष रूप से जलवायु जोखिम में अधिकतम वृद्धि का सामना करेगा, जिसका जलवायु जोखिम वर्ष 2050 तक 330% तक बढ़ जाएगा।
      • असम ने वर्ष 2011 के बाद से बाढ़ की घटनाओं में एक घातांकीय वृद्धि देखी है तथा इसमें जलवायु परिवर्तन के प्रति अत्यधिक संवेदनशील भारत के 25 ज़िलों में से 15 शामिल हैं।
    • महाराष्ट्र के 36 में से 11 ज़िले चरम मौसमी घटनाओं, सूखे और घटती जल सुरक्षा के प्रति "अत्यधिक संवेदनशील" पाए गए।

रिपोर्ट का महत्त्व:

  • यह रैंकिंग डेटा निवेशकों के लिये भी महत्त्वपूर्ण हो सकती है, क्योंकि व्यापक निर्मित क्षेत्र, आर्थिक गतिविधियों और धन- संपत्ति के उच्च स्तर के साथ ओवरलैप करते हैं। 
    • यह राज्य और प्रांतीय सरकारों द्वारा किये गए अनुकूलन उपायों एवं बुनियादी ढाँचा योजनाओं के संयोजन के साथ जलवायु लचीला निवेश को संबोधित कर सकता है।
  • वित्त उद्योग, वैश्विक आपूर्ति शृंखलाओं की भेद्यता की जाँच के लिये एक समान पद्धति का उपयोग कर मुंबई, न्यूयॉर्क और बर्लिन जैसे वैश्विक औद्योगिक केंद्रों की सीधे तुलना कर सकता है। 

जलवायु परिवर्तन के संबंध में भारत द्वारा उठाए गए कदम:

  • वैश्विक नेतृत्त्व:
  • परिवहन क्षेत्र में सुधार:
  • इलेक्ट्रिक वाहनों को भारत का समर्थन:
    • भारत उन गिने-चुने देशों में शामिल है जो वैश्विक ‘EV30@30 अभियान’ का समर्थन करते हैं, जिसका लक्ष्य वर्ष 2030 तक नए वाहनों की बिक्री में इलेक्ट्रिक वाहनों की हिस्सेदारी को कम-से-कम 30% करना है।  
    • ग्लासगो में आयोजित COP26 में जलवायु परिवर्तन शमन के लिये भारत द्वारा पाँच तत्त्वों (जिसे ‘पंचामृत’ कहा गया है) की वकालत इसी दिशा में जताई गई प्रतिबद्धता है। 
  • सरकारी योजनाओं की भूमिका:
  • कम कार्बन संक्रमण में उद्योगों की भूमिका:
    • भारत में सार्वजनिक और निजी क्षेत्र पहले से ही जलवायु चुनौती के समाधान करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं, जो ग्राहक एवं निवेशक जागरूकता बढ़ाने के साथ-साथ नियामक तथा प्रकटीकरण आवश्यकताओं में मदद करते हैं। 
  • हाइड्रोजन ऊर्जा मिशन:
    • हरित ऊर्जा संसाधनों से हाइड्रोजन के उत्पादन पर ध्यान केंद्रित। 
  • प्रदर्शन, उपलब्धि और व्यापार (PAT):
    • यह बड़े ऊर्जा-गहन उद्योगों में ऊर्जा दक्षता को बढ़ाने के साथ-साथ प्रोत्साहित करने के लिये एक बाज़ार-आधारित तंत्र है।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स:

प्रश्न. निम्नलिखित में से कौन-सा भारत सरकार के 'हरित भारत मिशन' के उद्देश्य का सबसे अच्छा वर्णन करता है? (2016)

  1. पर्यावरणीय लाभों और लागतों को संघ एवं राज्य के बजट में शामिल करके 'ग्रीन एकाउंटिंग' को लागू करना।
  2. कृषि उत्पादन को बढ़ाने के लिये दूसरी हरित क्रांति की शुरुआत करना ताकि भविष्य में सभी के लिये खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।
  3. अनुकूलन और शमन उपायों के संयोजन द्वारा वन आवरण को बहाल करना और बढ़ाना तथा जलवायु परिवर्तन का उत्तर देना।

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये:

(a) केवल 1
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 3
(d) 1, 2 और 3

उत्तर: (c)

  • ग्रीन इंडिया के लिये राष्ट्रीय मिशन, जिसे ग्रीन इंडिया मिशन (GIM) के रूप में भी जाना जाता है, जलवायु परिवर्तन पर भारत की राष्ट्रीय कार्ययोजना के तहत उल्लिखित आठ मिशनों में से एक है। इसे फरवरी 2014 में लॉन्च किया गया था। 
  • 5 मिलियन हेक्टेयर की सीमा तक वन/वृक्ष आच्छादन में वृद्धि करना और अन्य 5 मिलियन हेक्टेयर वन/गैर-वन भूमि पर वन/वृक्ष आच्छादन की गुणवत्ता में सुधार करना। मौजूद विभिन्न वन प्रकारों एवं पारिस्थितिक तंत्रों (जैसे, आर्द्रभूमि, घास का मैदान, घने जंगल आदि) के लिये अलग-अलग उप-लक्ष्य निर्धारित करना। अतः कथन 3 सही है। 

प्रश्न. वैज्ञानिक दृष्टिकोण यह है कि वैश्विक तापमान में वृद्धि पूर्व औद्योगिक स्तर से 2 डिग्री सेल्सियस से अधिक नहीं होनी चाहिये। यदि वैश्विक तापमान पूर्व औद्योगिक स्तर से 3 डिग्री सेल्सियस से अधिक बढ़ जाता है, तो विश्व पर इसका संभावित प्रभाव क्या हो सकता है? (2014)

  1. स्थलीय जीवमंडल शुद्ध कार्बन स्रोत की ओर उन्मुख होंगे।
  2. व्यापक प्रवाल मृत्यु दर घटित होगी।
  3. सभी वैश्विक आर्द्रभूमियाँ स्थायी रूप से लुप्त हो जाएंगी।
  4. विश्व में कहीं भी अनाज की खेती संभव नहीं होगी। 

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये:

(a) केवल 1
(b) केवल 1 और 2
(c) केवल 2, 3 और 4
(d) 1, 2, 3 और 4

उत्तर: (b)


मेन्स:

प्रश्न. भारत के वन संसाधनों की स्थिति और जलवायु परिवर्तन पर इसके परिणामी प्रभाव की जाँच कीजिये। (2020)

प्रश्न. "विभिन्न प्रतिस्पर्द्धी क्षेत्रों और हितधारकों के बीच नीतिगत विरोधाभासों के परिणामस्वरूप पर्यावरण के अपर्याप्त 'संरक्षण एवं गिरावट की रोकथाम' हुई है।" प्रासंगिक दृष्टांतों के साथ टिप्पणी कीजिये। (2018) 

स्रोत: द हिंदू

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