जैव विविधता और पर्यावरण
हरित ऊर्जा वित्त के लिये ‘ग्रीन विंडो'
- 14 Dec 2019
- 8 min read
प्रीलिम्स के लिये:
ग्रीन विंडो, COP 25, IREDA, IRDA
मेन्स के लिये:
ग्रीन विंडो का पर्यावरण संरक्षण में महत्त्व तथा ‘नवीकरणीय ऊर्जा सुलभ कराने में इसका महत्त्व
चर्चा में क्यों?
भारतीय अक्षय ऊर्जा विकास एजेंसी (इरेडा) ‘नवीकरणीय ऊर्जा की सुविधा से वंचित तबकों को ऊर्जा सुलभ कराने के लिये ग्रीन विंडो’ का निर्माण करेगी।
प्रमुख बिंदु
- स्पेन के मैड्रिड में आयोजित संयुक्त राष्ट्र जलवायु सम्मेलन (COP 25) में केंद्रीय नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय द्वारा प्रदत्त जानकारी के अनुसार, इरेडा ग्रीन विंडो का निर्माण करेगी।
- भारत के रणनीतिक हितों के लिये नवीकरणीय ऊर्जा निरंतर सस्ती एवं बेहतर होती जा रही है और यह इरेडा की ग्रीन विंडो नवीकरणीय ऊर्जा के बाज़ार को काफी बढ़ावा देगी।
- भारत 5 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने की ओर अग्रसर है, ऐसे में 450 गीगावाट की नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता स्थापित करने संबंधी भारत का लक्ष्य देश में आर्थिक विकास की गति तेज़ करने में एक प्रमुख वाहक साबित होगा।
- ग्रीन विंडो के लिये लगभग 20 मिलियन अमेरिकी डॉलर के आवंटन पर विचार किया जा रहा है।
- इतना ही नहीं, 100 मिलियन अमेरिकी डॉलर की सुविधा सुनिश्चित करने के लिये अन्य एजेंसियों से 80 मिलियन अमेरिकी डॉलर जुटाने की योजना की परिकल्पना की गई है।
- विशेषकर स्वच्छ ऊर्जा की अपेक्षाकृत कम मात्रा वाले बाज़ारों के साथ-साथ स्वच्छ ऊर्जा वाली नई प्रौद्योगिकियों का बड़े पैमाने पर उपयोग सुनिश्चित करने में आवश्यक सहायता प्रदान करने के लिये ग्रीन विंडो की स्थापना की जाएगी।
- निजी घरेलू बैंकों और अंतर्राष्ट्रीय स्रोतों दोनों से ही पूंजी के अतिरिक्त स्रोतों से लाभ उठाने के लिये आरंभिक पूंजी का उपयोग किया जाएगा।
वैश्विक स्तर पर भारत की स्थिति
- भारत भी उन शीर्ष तीन देशों में शामिल है, जो वैश्विक स्तर पर नवीकरणीय ऊर्जा के विकास में अगुवाई कर रहे हैं। अक्तूबर 2019 तक भारत की स्थापित नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता पहले ही 175 गीगावाट के अपने वर्ष 2022 के लक्ष्य के लगभग आधे हिस्से को प्राप्त कर चुकी है।
- 175 गीगावाट के लक्ष्य को हासिल कर लेने से लाखों भारतीयों की हरित ऊर्जा तक पहुंच बढ़ जाएगी।
- इतना ही नहीं, इससे वर्ष 2022 तक देश में 3,00,000 से भी अधिक कामगारों के लिये एक मिलियन तक रोजगार अवसर सृजित हो सकते हैं।
- प्रधानमंत्री ने वर्ष 2022 तक के लिये तय लक्ष्य से भी काफी आगे बढ़ जाने और 450 गीगावाट की नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता स्थापित करने संबंधी भारतीय प्रतिबद्धता की घोषणा की है, जो नवीकरणीय ऊर्जा की मौजूदा स्थापित क्षमता से पाँच गुने से भी अधिक है।
भारतीय अक्षय ऊर्जा विकास एजेंसी लिमिटेड (इरेडा)
(Indian Renewable Energy Development Agency Ltd-IREDA)
- यह भारत सरकार के ‘नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय’ के प्रशासनिक नियंत्रण के अधीन कार्यरत एक मिनीरत्न (श्रेणी 1) प्रकार की कंपनी है।
- इसका कार्य नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों से संबंधित परियोजनाओं को प्रोत्साहित करना तथा इनके विकास हेतु इन्हें वित्तीय सहायता प्रदान करना है।
- इसे ‘कंपनी अधिनियम, 1956’ की धारा 4’ए’ के तहत ‘सार्वजनिक वित्तीय संस्थान’ (Public Financial Institution) के रूप में अधिसूचित किया गया है।
- इसे ‘भारतीय रिज़र्व बैंक’ के नियमों के अंतर्गत ‘गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी’ (Non-Banking Financial Company) के रूप में पंजीकृत किया गया है।
- इसे वर्ष 1987 में ‘गैर-बैंकिंग वित्तीय संस्था’ के रूप में एक पब्लिक लिमिटेड कंपनी के तौर पर गठित किया गया था।
- इसका उद्देश्य नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों से संबंधित परियोजनाओं को प्रोमोट करना, इनका विकास करना तथा इन्हें वित्तीय सहायता प्रदान करना है।
- कुछ समय पहले भारतीय अक्षय ऊर्जा विकास एजेंसी लिमिटेड (आई.आर.ई.डी.ए.) द्वारा तैयार किये जा रहे सोलर पार्कों के आंतरिक बुनियादी ढाँचे के विकास के लिये विश्व बैंक द्वारा 100 मिलियन अमेरिकी डॉलर का ऋण प्रदान किया गया है, जिसे आई.आर.ई.डी.ए. के माध्यम से सोलर पावर पार्क डेवलपर्स (Solar Power Park Developers - SPPDs) को प्रदान कराया जाएगा।
[नोट: भारत में इरेडा और इरडा नाम से दो अलग-अलग निकाय मौजूद हैं। इन दोनों निकायों के बीच आपको किसी प्रकार की विभ्रांति न हो, इसके लिये हमने उक्त दोनों निकायों के विषय में संक्षिप्त में विवरण प्रस्तुत किया है।]
‘इरडा’
(Insurance Regulatory and Development Authority-IRDA)
- यह एक सांविधिक निकाय है, जिसका गठन ‘इरडा अधिनियम, 1999’ के द्वारा किया गया है, जो भारतीय बीमा क्षेत्र का विनियमन करता है।
- इस प्रधिकरण के कुछ महत्त्वपूर्ण उद्देश्य निम्नलिखित हैं-
- पॉलिसीधारकों के हितों की रक्षा करना।
- अर्थव्यवस्था के विकास में तेज़ी लाने हेतु दीर्घकालिक धन उपलब्ध कराने तथा आम आदमी के हितों को सुनिश्चित करने के लिये बीमा उद्योग की त्वरित एवं व्यवस्थित वृद्धि के लिये।
- बीमा धोखाधड़ी और अन्य कदाचारों को रोकने तथा इनके लिये प्रभावी शिकायत निवारण मशीनरी को लागू करने हेतु वास्तविक दावों का शीघ्र निपटान सुनिश्चित करना।
- विनियमन अथवा इसके नियंत्रण के क्षेत्र में कार्यरत लोगों में उच्च स्तर की अखंडता, वित्तीय सुदृढ़ता और निष्पक्ष व्यवहार की योग्यता को स्थापित करना आदि।
- इस अधिनियम की धारा 4 इस प्राधिकरण की संरचना के संदर्भ में बताती है।
- इसके अनुसार, यह एक 10 सदस्यीय प्राधिकरण है, जिसमें 1 अध्यक्ष, 5 पूर्णकालिक सदस्य तथा 4 अंशकालिक सदस्य होते हैं तथा सभी को भारत सरकार द्वारा नियुक्त किया जाता है।