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विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी

नवजात ब्लैकहोल में गुरुत्वीय तरंगों का पता लगाने में कामयाबी

  • 16 Sep 2019
  • 5 min read

चर्चा में क्यों?

हाल ही में Physical Review Letters नामक एक जर्नल में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, पहली बार वैज्ञानिकों ने एक नवजात ब्लैकहोल (Newly Born Black Hole) में गुरुत्वीय तरंगों का पता लगाने में सफलता प्राप्त की है।

प्रमुख बिंदु

  • शोधकर्त्ताओं ने पाया कि इन तरंगों का रिंगिंग पैटर्न ब्लैक होल के द्रव्यमान और घूर्णन गति के विषय में जानकारी प्रदान करता है जो आइंस्टीन के जनरल थ्योरी ऑफ रिलेटिविटी यानी सापेक्षता के सिद्धांत (Einstein’s General Theory of Relativity) और अधिक प्रमाणित करती है। 

आइंस्टीन का अनुमान

  • दो बड़े ब्लैक होल की टक्कर से निर्मित होने वाला नवजात ब्लैक होल टक्कर के पश्चात् किसी घंटी की तरह ‘रिंग’ करना चाहिये, जो कई आवृत्तियों वाली गुरुत्वाकर्षण तरंगों का उत्सर्जन करता है।
  • आइंस्टीन की जनरल थ्योरी ऑफ रिलेटिविटी के अनुसार, किसी निश्चित द्रव्यमान तथा घूर्णन वाले ब्लैक होल द्वारा उत्सर्जित गुरुत्वाकर्षण तरंगों की पिच और उनका क्षय भी निश्चित होता हैं।

Blackhole

क्यों महत्त्वपूर्ण है यह अध्ययन

  • शोधकर्त्ताओं की टीम ने नवजात ब्लैक होल से प्राप्त गुरुत्वाकर्षण तरंगों और आइंस्टीन के समीकरणों का उपयोग कर ब्लैक होल के द्रव्यमान तथा घूर्णन की माप की। 
  • शोधकर्त्ताओं ने पाया कि यह माप और पूर्व में विभिन्न तरीकों से की गई माप दोनों लगभग समान हैं जो यह प्रदर्शित करता है कि आइंस्टीन की जनरल थ्योरी ऑफ रिलेटिविटी सही है।
  • इससे पहले वैज्ञानिकों द्वारा आइंस्टीन की जनरल थ्योरी ऑफ रिलेटिविटी के सही होने की संभावना व्यक्त की जाती थी, यह पहली बार है जब इसकी पुष्टि की गई है। वैज्ञानिकों के अनुसार आइंस्टीन के सिद्धांत का सीधे परीक्षण करने वाला यह पहला प्रायोगिक अध्ययन था।
  • अध्ययन की सफलता से इस बात की संभावना और बढ़ गई है कि ब्लैक होल केवल तीन अवलोकनीय गुणों मसलन द्रव्यमान, घूर्णन (स्पिन) और विद्युत् आवेश को प्रदर्शित करता है। 
  • उक्त तीनों गुणों की विशेषता यह है कि इनका अवलोकन किया जा सकता है, जबकि अन्य सभी गुण ब्लैक होल में ही समा जाते हैं।

पूर्व की खोज

  • इससे पहले भी वैज्ञानिकों ने दो स्पायरलिंग ब्लैक होल में गुरुत्वीय तरंगों का पता लगाया था, जो बाद में आपस में टकराने के बाद एक ब्लैक होल में समा गए थे।
  • इस दौरान वैज्ञानिकों ने पाया कि जब दोनों ब्लैक होल एक-दूसरे से टकराए तो उस समय गुरुत्वीय तरंगों की गति सबसे अधिक तीव्र हो गई थी।

ब्लैक होल क्या है?

ब्लैक होल (कृष्ण छिद्र/कृष्ण विवर) शब्द का इस्तेमाल सबसे पहले अमेरिकी भौतिकविद् जॉन व्हीलर ने 1960 के दशक के मध्य में किया था।

  • ब्लैक होल्स अंतरिक्ष में उपस्थित ऐसे छिद्र हैं जहाँ गुरुत्व बल इतना अधिक होता है कि यहाँ से प्रकाश का पारगमन नहीं होता।
  • चूँकि इनसे प्रकाश बाहर नहीं निकल सकता, अतः हमें ब्लैक होल दिखाई नहीं देते, वे अदृश्य होते हैं।
  • हालाँकि विशेष उपकरणों से युक्त अंतरिक्ष टेलिस्कोप की मदद से ब्लैक होल की पहचान की जा सकती है।
  • ये उपकरण यह बताने में भी सक्षम हैं कि ब्लैक होल के निकट स्थित तारे अन्य प्रकार के तारों से किस प्रकार भिन्न व्यवहार करते हैं।

स्रोत: द हिंदू

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