HIV और LGBTQ+ समुदाय सहित सभी मरीज़ों का बिना भेदभाव के समान रूप से चिकित्सा उपचार | 14 Sep 2018
चर्चा में क्यों?
हाल ही में केंद्र सरकार द्वारा पेश किये गए एक चार्टर का लक्ष्य है कि एचआईवी रोगियों और LGBTQ+ समुदाय सहित सभी मरीज़ों को बिना किसी भेदभाव के समान रूप से चिकित्सा सुबिधा उपचार प्राप्त हो।
चार्टर संबंधी प्रमुख बिंदु
- मरीज़ों के अधिकारों से संबंधित यह चार्टर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) द्वारा तैयार किया गया है।
- उल्लेखनीय है कि विभिन्न हितधारकों की टिप्पणियों पर विचार करने के बाद मसौदे को अंतिम रूप देने हुए स्वास्थ्य मंत्रालय इसे राज्य सरकारों के माध्यम से लागू करने की योजना बना रहा है।
- इस चार्टर का उद्देश्य चिकित्सकीय प्रतिष्ठानों द्वारा LGBTQ+ समुदाय और एचआईवी रोगियों समेत सभी मरीज़ों को उचित स्वास्थ्य सेवा प्रदान करना है।
- इस चार्टर के मुताबिक, अस्पताल प्रबंधन का यह कर्त्तव्य है कि अस्पताल से प्राप्त होने वाली सुविधाओं में किसी भी व्यक्ति के साथ किसी भी प्रकार का भेदभावपूर्ण व्यवहार न हो।
क्यों महत्त्वपूर्ण है चार्टर?
- समलैंगिक पुरुष और ट्रांसजेंडर, भारत में एचआईवी/एड्स से प्रभावित महत्त्वपूर्ण समूहों में से हैं।
- इसके अलावा LGBTQ + समुदाय और एचआईवी रोगियों को सामाजिक भेदभाव का शिकार होना पड़ता है जो स्वास्थ्य देखभाल के अपने अधिकार को भी प्राप्त नहीं कर पाते हैं।
- लगभग डेढ़ साल तक PLHIVs (एचआईवी ग्रसित लोग) समुदायों ने स्वास्थ्य देखभाल प्रदाताओं, अस्पतालों या क्लीनिकों द्वारा सकारात्मक परीक्षण किये जाने के बाद भी कई चुनौतियों का सामना किया है।
- आज भी LGBTQ + समुदाय PLHIVs समुदाय, का हिस्सा होने के दोहरे कलंक का सामना कर रहा है।
- उनके इस कलंक को दूर करने और उन्हें सर्वोत्तम चिकित्सा उपचार प्रदान करने की सख्त आवश्यकता थी, अतः सरकार LGBTQ+ समुदाय और एचआईवी/एड्स रोगियों के स्वास्थ्य देखभाल अधिकारों पर ध्यान केंद्रित कर रही है।
एचआईवी और एड्स सिंड्रोम (रोकथाम और नियंत्रण) अधिनियम, 2017 के बारे में
- हाल ही में स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने एचआईवी और एड्स सिंड्रोम (रोकथाम और नियंत्रण) अधिनियम, 2017 के प्रवर्तन की घोषणा की है।
अधिनियम का उद्देश्य
- इस अधिनियम का उद्देश्य एचआईवी के शिकार और प्रभावित लोगों को सुरक्षा प्रदान करना है।
- इस अधिनियम के प्रावधानों में एचआईवी से संबंधित भेदभाव, कानूनी दायित्त्व को शामिल करके वर्तमान कार्यक्रम को मज़बूत बनाना तथा शिकायतों और शिकायत निवारण के लिये औपचारिक व्यवस्था करना है।
- इस अधिनियम का उद्देश्य एचआईवी/एड्स के प्रसार को रोकना और नियंत्रित करना है।
- यह अधिनियम एचआईवी और एड्स से पीड़ित व्यक्तियों को उनके उपचार के संबंध में सूचित करने के साथ ही गोपनीयता प्रदान करता है और अपने अधिकारों की रक्षा के लिये प्रतिष्ठानों को उनके दायित्वों के लिये उत्तरदायी ठहराता है।
- उल्लेखनीय है कि इस अधिनियम को 20 अप्रैल, 2017 को राष्ट्रपति की सहमति प्राप्त हुई थी।