पीएम केयर्स के तहत विदेशी सहयोग को स्वीकृति | 03 Apr 2020
प्रीलिम्स के लिये:पीएम केयर्स (PM-CARES) मेन्स के लियेआपदा प्रबंधन, COVID-19 से निपटने हेतु भारत सरकार के प्रयास |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में COVID-19 की चुनौती से निपटने के लिये भारत सरकार ने ‘प्रधानमंत्री नागरिक सहायता एवं आपातकालीन स्थिति राहत कोष (Prime Minister’s Citizen Assistance and Relief in Emergency Situations or PM-CARES) के तहत विदेशी सहयोग को स्वीकार करने का निर्णय लिया है।
मुख्य बिंदु:
- सरकार के इस निर्णय के बाद अन्य देशों के नागरिक, संस्थाएँ और सरकार भी इस राहत कोष में अपना सहयोग कर सकेंगे।
- ध्यातव्य है कि भारत सरकार ने पिछले 16 वर्षों से आपदा प्रबंधन के लिये ‘प्रधानमंत्री राष्ट्रीय आपदा कोष’ (Prime Minister's National Relief Fund- PMNRF) के तहत किसी भी प्रकार की विदेशी सहायता को स्वीकार नहीं किया था।
- हालाँकि वर्तमान में केवल पीएम केयर्स (PM-CARES) के तहत ही विदेशी सहयोग/अनुदान की अनुमति दी गई है अन्य किसी भी प्रकार के फंड या राहत कोष जैसे- PMNRF में विदेशी सहयोग पर अभी भी पाबंदी बनी रहेगी।
पीएम केयर्स (PM-CARES) फंड:
- पीएम केयर्स फंड की स्थापना 27 मार्च, 2020 एक सार्वजनिक धर्मार्थ ट्रस्ट (Public Charitable Trust) के रूप में की गई थी।
- देश का प्रधानमंत्री इस फंड का अध्यक्ष होगा तथा केंद्रीय गृह मंत्री, केंद्रीय रक्षा मंत्री और केंद्रीय वित्त मंत्री भी इस फंड के सदस्य होंगे।
- इस फंड के तीन अन्य ट्रस्टियों को प्रधानमंत्री द्वारा नामित किया जाएगा, जो अनुसंधान, स्वास्थ्य, विज्ञान, सामाजिक कार्य, कानून, लोक प्रशासन और परोपकार (Philanthropy) के क्षेत्र में प्रतिष्ठित व्यक्ति होंगे।
- इस फंड के उद्देश्यों में सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल या कोई अन्य आपात स्थिति, आपदा या संकट, चाहे वह मानव निर्मित या प्राकृतिक, में किसी भी प्रकार की राहत या सहायता पहुँचाना।
- इसमें स्वास्थ्य सेवा या दवा सुविधाओं का निर्माण या उन्नयन, अन्य आवश्यक बुनियादी ढाँचे, प्रासंगिक अनुसंधान या किसी अन्य उद्देश्य के लिये आर्थिक सहायता उपलब्ध करना आदि शामिल है।
PMNRF के तहत विदेशी सहयोग स्वीकार का करने के कारण:
- वर्ष 2004 में हिंद महासागर में आयी सुनामी के समय भारत सरकार ने प्रधानमंत्री राष्ट्रीय आपदा कोष के तहत किसी भी प्रकार की विदेशी सहायता को लेने से इनकार कर दिया था। हालाँकि इस दौरान सहायता के इच्छुक राष्ट्र, विदेशी नागरिक आदि स्वयंसेवी संस्थाओं जैसे अन्य माध्यमों से सहायता भेज सकते थे।
- वर्ष 2004 में भारत सरकार की नीति में हुए इस बड़े बदलाव के बाद अब तक इसका अनुसरण किया जाता रहा है।
- पिछले कुछ वर्षों में भारत ने अन्य क्षेत्रों में प्रगति के साथ ही आपदा प्रबंधन और पुनर्वास में अपनी क्षमता में महत्त्वपूर्ण विकास किया है।
- विशेषज्ञों के अनुसार, आपदा में राहत के अतिरिक्त विदेशी सहायता देने वाले देशों की अन्य राजनीतिक/रणनीतिक अपेक्षाएँ होती हैं, ऐसे में अन्य देशों से सहायता न लेने का निर्णय भारतीय विदेश नीति को मज़बूती प्रदान करता है।
- हालाँकि इस दौरान भारत ने अन्य देशों में आपदा या किसी अन्य संकट की स्थिति में आर्थिक तथा अन्य आवश्यक सहायता उपलब्ध करायी है। उदाहरण- वर्ष 2005 में चक्रवात कट्रीना (Hurricane Katrina) के बाद अमेरिका को 25 टन राहत सामग्री की सहायता, वर्ष 2005 में पाकिस्तान को भूकंप से उबरने के लिये अन्य सहयोगों के साथ 25 मिलियन अमेरिकी डॉलर की आर्थिक मदद, वर्ष 2008 चीन में भूकंप के बाद राहत सामग्री भेजी गई थी।
पीएम केयर्स के तहत विदेशी सहायता की स्वीकृति के कारण:
- COVID-19 महामारी से उत्पन्न चुनौतियाँ पहले कभी नहीं देखी गई, किसी प्रमाणिक उपचार के अभाव तथा इस बीमारी की अनिश्चितता को देखते हुए सरकार ने ‘पीएम केयर्स’ के तहत विदेशी सहायता स्वीकार करने का फैसला लिया है।
- इस फंड की स्थापना से पहले कई विदेशी संस्थाओं, नागरिकों आदि ने COVID-19 की चुनौती से निपटने में सरकार के प्रयासों में सहायता देने की इच्छा व्यक्त की थी।
निष्कर्ष:
पिछले कुछ वर्षों में भारत ने आपदा-प्रबंधन के लिये स्वास्थ्य, तकनीकी और अन्य क्षेत्रों में महत्त्वपूर्ण प्रगति की है, देश में किसी आपदा के लिये PMNRF में विदेशी सहायता को स्वीकार न करना भारत को बिना किसी दबाव के विदेश नीति स्पष्ट करने में सहायता प्रदान करता है। परंतु वर्तमान में COVID-19 के कारण उत्पन्न हुई अनिश्चितता की स्थिति में सभी प्रकार की सहायता के लिये मार्ग खोलना इस आपदा से निपटने के प्रयासों को मज़बूती प्रदान करेगा।