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बाढ़ के पूर्वानुमान के लिये गूगल के साथ काम करेगी सरकार

  • 19 Jun 2018
  • 6 min read

चर्चा में क्यों?

मानसून के चलते केंद्रीय जल संसाधन मंत्रालय ने बाढ़ चेतावनी के संबंध में Google के साथ मिलकर काम करने का निर्णय लिया है। जल संसाधन के क्षेत्र में भारत के शीर्ष प्रौद्योगिकी संगठन केंद्रीय जल आयोग (Central Water Commission - CWC) ने गूगल के साथ एक सहयोग समझौता किया है।

वर्तमान स्थिति

  • वर्तमान में CWC जलाशयों में बढ़ते पानी के स्तर के आधार पर बाढ़ की चेतावनी देता है। पिछले साल आयोग ने 3 दिवसीय बाढ़ का पूर्वानुमान संबंधी एक परीक्षण कार्यक्रम भी शुरू किया था।
  • फिलहाल भारत मौसम विज्ञान विभाग (India Meteorological Department) द्वारा CWC को इस संबंध में जानकारी दी जा रही है कि कहाँ-कहाँ भारी बारिश होने की संभावना है, ताकि इससे यह अनुमान लगाया जा सके कि किन-किन क्षेत्रों में भारी मात्रा में बारिश का पानी नदियों और तटबंधों को पार करते हुए एक आपदा का रूप धारण कर सकता है।
  • इसमें Google का सहयोग मिल जाने के बाद यह कार्य और भी आसन हो जाएगा क्योंकि Google बाढ़ का विज़ुअलाइजेशन प्रदान करेगा, जो कि आपदा से होने वाले नुकसान को कम करने में लाभदायक साबित होगा। 
  • निकटस्थ बाढ़ के संकेतों को ध्यान में रखते हुए Google मानचित्र उपयोगकर्त्ता यह देखने में सक्षम होगा कि पहले किन क्षेत्रों में जल भराव की संभावना है और कौन-कौन से क्षेत्र खतरे में हैं।

समझौते के प्रमुख बिंदु

  • गूगल के साथ गठबंधन से भारत में बाढ़ का कारगर या प्रभावकारी प्रबंधन करने में मदद मिलेगी।
  • CWC जल संसाधनों के कारगर प्रबंधन, विशेषकर बाढ़ का पूर्वानुमान लगाने एवं बाढ़ संबंधी सूचनाएँ आम जनता को सुलभ कराने के लिये कृत्रिम बुद्धिमत्ता (आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस), मशीन लर्निंग एवं भू-स्थानिक मानचित्रण के क्षेत्र में गूगल द्वारा की गई अत्याधुनिक प्रगति का उपयोग करेगा।
  • इस पहल से आपदा प्रबंधन एजेंसियों को जल विज्ञान (हाइड्रोलॉजिकल) संबंधी समस्याओं से बेहतर ढंग से निपटने में मदद मिलने की आशा है।
  • इसकी सहायता से बाढ़ पूर्वानुमान प्रणालियों को बेहतर किया जा सकेगा, जिससे स्थान-लक्षित आवश्यक कार्रवाई से उपयुक्त बाढ़ चेतावनी जारी करने में मदद मिलेगी।
  • साथ ही इसके अंतर्गत बाढ़ प्रबंधन की परिकल्पना करने एवं इसमें बेहतरी के लिये गूगल अर्थ इंजन का उपयोग करने से जुड़ी उच्च प्राथमिकता वाली अनुसंधान परियोजना को शामिल किया जा सकेगा।

इसके लाभ क्या-क्या होंगे?

  • गूगल उच्च स्तरीय डिजिटल तकनीक जिसमें वह अपनी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस विशेषज्ञता के साथ CWC द्वारा प्रदत्त जानकारी के सहयोग से बाढ़ की सटीक जानकारी देगा।
  • अब संभवतः बाढ़ आने के तीन दिन पहले ही लोगों को जानकारी मिल सकेगी। इस समझौते के बाद सरकार को करोड़ों रुपए की बचत होगी।
  • इससे सरकार और आपदा प्रबंधन संगठनों को बाढ़ प्रभावित स्थानों और जनसंख्या की बेहतर जानकारी प्राप्त होगी। यह पहल बेहतर बाढ़ प्रबंधन और बाढ़ से होने वाले नुकसान को रोकने में मील का पत्थर साबित होगी।

राष्ट्रीय जल विज्ञान परियोजना

  • मंत्रालय ने इससे पहले वर्ष 2016-17 के दौरान एक महत्त्वाकांक्षी कार्यक्रम ‘राष्ट्रीय जल विज्ञान परियोजना (National Hydrology Project’ - NHP)’ शुरू किया था। NHP विश्व बैंक से सहायता प्राप्त केंद्रीय क्षेत्र की योजना है, जिसमें पूरे देश को कवर किया गया है।
  • राष्ट्रीय जल विज्ञान परियोजना का उद्देश्य जल संसाधन संबंधी सूचनाओं, बाढ़ से जुड़े निर्णय, सहायता प्रणाली एवं बेसिन स्तरीय संसाधन आकलन/नियोजन के विस्तार, गुणवत्ता एवं पहुँच को बेहतर करना और लक्षित जल संसाधन प्रोफेशनलों एवं भारत के प्रबंधन संस्थानों की क्षमता को मज़बूत करना है।
  • लंबे समय से बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों के लोग बाढ़ आने से पहले समय रहते सटीक चेतावनी दिये जाने की मांग करे रहे थे। इस पहल से उनकी यह मांग पूरी होगी।
  • विदित हो कि 2016 तक केन्द्रीय जल आयोग अधिकतम एक दिन पहले के बाढ़ के स्तर के बारे में जानकारी प्रदान कर रहा था। 2017 में बाढ़ के दौरान CWC ने बारिश आधारित मॉडल के सहारे परीक्षण के आधार पर तीन दिन पहले बाढ़ के चेतावनी जारी की।
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